जयपुर: रणथंभौर में वनराज को दिखाने की एवज में चांदी काटने वालों पर जंगलात महकमा कब गरजेगा ? यह सवाल इन दिनों वन्यजीव प्रेमियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. तीन महीने पहले सौंपी गई जांच को अरण्य भवन में दफन कर दिया गया है. आचार संहिता का लाभ उठाकर दोषी लगातार सिस्टम का मख़ौल उड़ा रहे हैं, लेकिन कब तक. ? शायद हफ्ते-दस दिन या एक महीना ! आइए इस गंभीर विषय पर परत दर परत श्रृंखला की पहली कड़ी में आपको रूबरू कराते हैं चंद अफसर और उनके दलालों की काली करतूतों से. हम खबरदार कर रहे हैं और सिस्टम करेगा कार्रवाई ! रणथंभौर में वीआईपी कोटे से जिप्सी बुक करने के मामले का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है. तीन महीने पहले जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बावजूद दोषी अधिकारियों को बचाया जा रहा है और जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा.
यह है पूरा मामला:
रणथम्भौर में टाइगर सफारी के दौरान पर्यटन वाहनों को वीआईपी कोटे के नाम पर गलत तरीके से बुक कराकर पर्यटकों से मोटी राशि वसूलने की कई गड़बड़ी मिली थी. मामले की जांच पीसीसीएफ हॉफ मुनीष गर्ग को अगस्त में ही सौंप दी गई थी लेकिन पूरे मामले में न तो जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की गई न ही दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की गई. रणथम्भौर के तत्कालीन फील्ड डायरेक्टर सेडूराम यादव की भूमिका की भी जांच की गई थी. दरअसल 11 मार्च 2023 को राजस्थान राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के उपाध्यक्ष दीपक डड़ोरिया ने अपने परिचितों के लिए तत्कालीन FD सेडूराम यादव को फोन करके वीआईपी कोटे में ऑन पेमेंट एक जिप्सी उपलब्ध कराने को कहा था. जिस पर यादव ने उन्हें टूरिस्ट का नाम मैसेज करने को कहा था. मैसेज करने के कुछ देर के बाद यादव ने VIP कोटा फुल होने का हवाला देकर 11 मार्च को शाम की पारी में जिप्सी उपलब्ध कराने से इंकार कर दिया और उन्हें 12 मार्च 2023 को सुबह की पारी में वीआईपी कोटे में एक जिप्सी ऑन पेमेंट उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया.
इस पर टूरिस्ट राजी हो गए लेकिन 12 मार्च को जब संबंधित टूरिस्ट जिप्सी के लिए शिलपग्राम स्थित बुकिंग विंडो पर पहुंचे तो कर्मचारियों ने टूरिस्ट से जिप्सी की जगह कैंटर से सफारी पर जाने को कहा. इस पर टूरिस्ट्स ने कैंटर में सफारी पर जाने से मना कर दिया. टूरिस्ट ने पांच सितारा होटल में जिप्सी के लिए संपर्क किया. होटल मैंनेजमेंट ने 12 मार्च 2023 को शाम की पारी में वीआईपी कोटे में पर्यटकों को टाइगर सफारी के लिए जिप्सी उपलब्ध कराई. होटल मैंनेजमेंट की ओर से 12 मार्च 2023 को शाम की पारी में टूरिस्ट को जिप्सी तो उपलब्ध करा दी लेकिन जिप्सी की एवज में होटल मैनेजमेंट ने संबंधित टूरिस्ट से 49 हजार और 18 प्रतिशत जीएसटी की राशि वसूल की. उस समय एक जिप्सी से सफारी पर जाने की कुल कीमत उस करीब 7830 ही थी. पूरे मामले में दीपक डंडोरिया ने मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायत की इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से जांच के आदेश जारी किए गए. साथ ही जांच की जिम्मेदारी रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के वर्तमान CCF पी. काथिरवेल को सौंपी गई. इसके बाद विभाग की ओर से जांच की गई.
जांच में क्या:
जांच में रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के तत्कालीन FD और होटल मैंनेजमेंट को दोषी माना गया है. सूत्रों का कहना है की जांच में कुल 148 बार वीआईपी कोटे से जिप्सी की बुकिंग करा कर पर्यटकों को अधिक दामों पर उपलब्ध कराई गई. इस एवज में होटल प्रबंधन की ओर से पर्यटकों से कल 57.87 लाख रुपए की राशि वसूल की गई. जा 17 पेज की जांच रिपोर्ट में किसी विजय मीणा और अनुज जैन का नाम भी सामने आ रहा है. इस संबंध विभाग की ओर से उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भी भेज दी गई है. पूरे मामले में मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई. सूत्रों की माने तो सेडूराम यादव को तोमर के नजदीकी माना जाता है.
ऐसे होता है फर्जीवाड़ा:
दरअसल रणथंभौर में जिप्सी बुकिंग में ऑनलाइन तरीके से फर्जीवाड़ा किया जा रहा है. बड़े होटल समूहों द्वारा पूरे साल की जिप्सी की एडवांस बुकिंग की जाती है. ऐसे में वीकेंड यानी शनिवार रविवार, विशेष अवसर, सार्वजनिक अवकाश, नया साल, क्रिसमस, होली, दीपावली के दौरान के सभी दिनों की जिप्सी की एडवांस बुकिंग फर्जी नाम से कर ली जाती है. ऐसे में आम पर्यटक इन दिनों में रणथंभौर में जिप्सी बुक करना चाहता है तो उसे ऑनलाइन तरीके से संबंधित तारीख पर जिप्सी बुकिंग फुल दिखाई देती है. यहीं से अल फर्जीवाड़ा शुरू होता है और नाम चेंज होटल और एजेंट मिलकर हर साल करोड़ों रुपए का घोटाला कर जाते हैं. दरअसल पर्यटक से मोटी रकम वसूल करके संबंधित होटल समूह और उनके लिए काम कर रही टीम फर्जी नाम से कराई बुकिंग को रद्द करते हैं और बुकिंग रद्द करते ही वेटिंग के लिए पहले से ही नाम दे देते हैं. जिससे उनको एडवांस बुकिंग का अधिकांश रिफंड भी मिल जाता है और वेटिंग क्लियर होने से वह मोटे दामों में पर्यटक को जिप्सी बेच देते हैं.