VIDEO: कब दूर होगी वेतन विसंगति ? फिर जोर पकड़ने लगी सरकारी कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर करने की मांग, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: नई सरकार में फिर एक बार फिर सरकारी कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर करने को लेकर मांग जोर पकड़ने लगी है. इसके साथ ही वेतन विसंगति दूर करने को लेकर पूर्व की सरकारों में बनीं कमेटियां इसलिए असर नहीं छोड़ पाईं कि उनकी रिपोर्ट ही सार्वजनिक नहीं की गई. पूर्व सीएम अशोक गहलोत की ओर से पिछले कार्यकाल में साल में दो बार प्रमोशन के मौके और एसीपी सहित कुछ बिंदुओं को लेकर जरूर कोशिशें की गईं लेकिन वेतन विसंगति को लेकर सिर्फ कमेटी बनाने के अलावा सरकारों की ओर से ठोस कवायद सामने नहीं आ पाई. आलम यह है कि एक सरकार को जब कोई कमेटी की ओर से जब रिपोर्ट दी गई तो दूसरे दल की सरकार ने फिर कमेटी बना दी और दोनों ही सरकारों की कमेटी रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है. 

राज्य के करीब आठ लाख कर्मचारियों की विसंगति एवं वेतन सुधार को लेकर पूर्ववर्ती दो सरकारों के समय कमेटियां बनी. दोनों ही कमेटियों की ओर से विभिन्न पहलुओं पर परीक्षण के बाद सरकारों को अपनी रिपोर्ट सौंप दी, लेकिन इन रिपोर्ट को लागू करने या सार्वजनिक करने को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई.  विधायक हनुमान बेनीवाल की ओर से हाल ही विधानसभा में लगाए गए सवाल के जवाब में वित्त विभाग ने बताया है कि दोनों समितियों की ओर से दी गई सिफारिश रिपोर्ट राज्य सरकार में परीक्षणाधीन है. इन रिपोर्ट पर निर्णय होने के बाद गुणावगुण के आधार पर वेतन विसंगति व वेतन सुधार के संबंध में निर्णय लिया जाएगा. विधायक हनुमान बेनीवाल की ओर से हाल ही विधानसभा में लगाए गए सवाल के जवाब में वित्त विभाग ने बताया है कि दोनों समितियों की ओर से दी गई सिफारिश रिपोर्ट राज्य सरकार में परीक्षणाधीन है.

सामंत कमेटी:
राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम, 2017 को लागू किए जाने के बाद राज्य कर्मचारी संघों से वेतन विसंगति व वेतन सुधार संबंधी ज्ञापन समय समय पर राज्य सरकार को प्राप्त होते रहें हैं. इन प्रतिवेदनों का परीक्षण करने के लिए  3 नवंबर, 2017 को डी.सी. सामंत (सेवानिवृत आईएएस) की अध्यक्षता में वेतन विसंगति निवारण समिति का गठन किया गया था.इस समिति ने 5 अगस्त, 2019 को राज्य सरकार को अपनी सिफारिश रिपोर्ट प्रस्तुत की. यह रिपोर्ट राज्य सरकार में परीक्षणाधीन हैं. सामंत कमेटी ने  कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों से कई दौर की बैठकें कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी.

खेमराज कमेटी:
इसी तरह कर्मचारियों की वेतन विसंगति व वेतन सुधार को लेकर पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने 5 अगस्त, 2021 को खेमराज चौधरी  की अध्यक्षता में कर्मचारी वेतन विसंगति परीक्षण समिति का गठन किया. समिति की ओर से विभिन्न कर्मचारी संगठनों, विभागों से वेतन विसंगति व वेत सुधार के संबंध में प्रस्तुत ज्ञापनों सहित अन्य मांगों का परीक्षण किया गया. समिति ने 30 दिसंबर, 2022 को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत कर दी. यह रिपोर्ट भी राज्य सरकार में परीक्षणाधीन है.

क्या हैं विसंगतियां ?:
कर्मचारियों के अनुसार वेतन विसंगति में सबसे मुख्य यह है कि एक ही भर्ती प्रक्रिया में चयनित होते है, लेकिन वेतन और पदोन्नति में विसंगति है. सचिवालय में 4200 और सचिवालय के बाहर चयनित कर्मचारियों को 3600 वेतन श्रृंखला मिलती है. इसी तरह केन्द्र और राज्य कर्मचारियों के वेतन को लेकर दोहरी प्रक्रिया बनी हुई है. आलम यह है कि अब इन विसंगतियों को लेकर फिर अधीनस्थ मंत्रालयिक कर्मी महापड़ाव शुरू करते हुए आंदोलन की राह पर हैं.