Alwar: डॉक्टर की लापरवाही से गर्भवती की मौत, परिजनों ने चिकित्सकों पर लगाया आरोप

अलवर: जिला (Alwar) शिशु अस्पताल, सामान्य चिकित्सालय और महिला चिकित्सालय में डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की लापरवाही से अगर किसी की मौत हो जाए और वह पीड़ित परिजन पुलिस में मुकदमा दर्ज करा दे तो अलवर का मेडिकल बोर्ड किस तरह पीड़ितों को धमकाता है यह बात आज सामने आई है. कुछ दिन पहले महिला चिकित्सालय में एक गर्भवती महिला दौसा जिला निवासी आशा को भर्ती कराया गया था. 

प्रसव के उपरांत महिला आशा देवी के परिजनों की स्वीकृति के बिना डॉक्टरों ने उसके कोपर टी लगा दी. कॉपर टी लगाने के बाद वह लगातार पीड़ा से परेशान रही. जब भी डॉक्टर को दिखाते थे यही कहते ठीक हो जाएगी. एक दिन अचानक पेट में दर्द हुआ तो उसे महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. डॉक्टरों ने उसकी छुट्टी कर दी. घर जाने के बाद फिर उसकी तबीयत खराब हुई है. उसे अस्पताल लेकर आए तो डॉक्टरों ने उसकी भर्ती करने से मना कर दिया कि आज सुबह ही तो छुट्टी दी है दवा ले लो और फायदा हो जाएगा. 

परेशान और पीड़ित परिवार आशा देवी को घर ले आया उसके बाद रात को अचानक तबियत खराब हुई और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही के चलते उसकी दूसरे दिन ही मौत हो गई. डॉक्टरों ने लगाई कोपर टी को अंतिम दिन निकाला जब वह पूरी तरह बहुत परेशान हो चुकी थी. इस घटना को लेकर परिजनों ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाया और अलवर शहर कोतवाली पुलिस पहुंची. इस संबंध में  परिजनों ने पुलिस में मुकदमा दर्ज करा दिया. इसके बाद 3 दिन पहले ही परिजनों को प्रमुख चिकित्सा अधिकारी द्वारा एक पत्र प्राप्त हुआ.

जिसमें कहा कि एक मेडिकल बोर्ड गठित किया गया है जिसमें आप अपने बयान दर्ज कराएं. आज जब परिजन तय समय के अनुसार बयान दर्ज कराने गए तो मेडिकल बोर्ड में बैठे डॉक्टर ही उन पीड़ितों को धमकाने लगे. परिजन पप्पू राम योगी ने बताया कि प्रमुख चिकित्सा अधिकारी के पत्र मिलने के बाद आज हम मेडिकल बोर्ड के समक्ष बयान दर्ज कराने आए हैं. यहां बयान दर्ज करने से पहले हमें मेडिकल बोर्ड में बैठी महिला डॉक्टर कल्पना माथुर सहित अन्य डॉक्टरों ने धमकाया कि तुम्हारी जूतियां घिस जाएंगी और तुम 420 के केस में फंस जाओगे. 

धमकी देने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई:

डॉक्टरों को पीड़ित परिवार ने जब जो बयान दिए उसकी फोटो मोबाइल से फोटो खींचने चाहा तो मेडिकल बोर्ड में बैठे डॉक्टरों ने अभद्र व्यवहार किया और कहा कि तुम्हें 420 में फंसा दिया जाएगा. जैसा हम कहते हैं वैसा करो और खाली कागजों पर साइन कराने लगे. पीड़ित परिवार ने खाली कागजों पर साइन कराने से इनकार कर दिया. अब पीड़ित परिवार ने जिला कलेक्टर से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने के लिए मांग की है और कहा है कि धमकी देने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.