Aditya L1 Launch: सूर्य के पास जाने के लिए भारत का मिशन आदित्य एल1 लॉन्च, लैग्रेंजियन-1 बिंदु तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे; लाखों लोग बने गवाह

Aditya L1 Launch: सूर्य के पास जाने के लिए भारत का मिशन आदित्य एल1 लॉन्च, लैग्रेंजियन-1 बिंदु तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे; लाखों लोग बने गवाह

नई दिल्ली: चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद  अब सूर्य के पास जाने के लिए भारत का मिशन आदित्य एल1 लॉन्च हो गया है. प्रक्षेपण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के रॉकेट पीएसएलवी से किया गया. सूर्य के अध्ययन के लिए ‘आदित्य एल-1’ को धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर ‘लैग्रेंजियन-1’ बिंदु तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे.

देश के साथ-साथ विश्व देश की निगाहें ISRO के सूर्य मिशन यानी Aditya-L1 पर टिकी हैं. इसकी कामयाबी से दुनिया को 'सूरज' के वे तूफानी राज मालूम चलेंगे, जिनसे अभी पर्दा उठना बाकी है. अगर यह पता लगाने में हम कामयाब हो जाते हैं तो मानव जाति के विकास से जुड़ी कई समस्याओं का हल हो सकता है. 

आपको बता दें कि आदित्य L1 पृथ्वी से 15 लाख किमी दूर लैगरेंज पॉइंट तक जाएगा. आदित्य L1 सूर्य की स्टडी करने वाला पहला भारतीय मिशन होगा. ये स्पेसक्राफ्ट लॉन्च होने के 4 महीने बाद लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) तक पहुंचेगा. इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता. जिसके चलते यहां से सूरज की स्टडी आसानी से की जा सकती है. इस मिशन की अनुमानित लागत 378 करोड़ रुपए है. यदि मिशन सफल रहता है और आदित्य L1 लैग्रेंजियन पॉइंट 1 पर पहुंच गया तो 2023 में ISRO के नाम ये दूसरी बड़ी उपलब्धि होगी. 

आदित्य-L1 जिस खास काम के लिए भेजा जा रहा:
इसरो का सूर्यमिशन सूर्य से जुड़े कई रहस्यों को उजागर करने के लिए काम करने वाला है. आदित्य-L1 जिस खास काम के लिए भेजा जा रहा है उनमें सबसे पहले तो ये शामिल है कि, सौर तूफानों के आने की वजह क्या है और सौर लहरों और उनका धरती के वायुमंडल पर क्या असर पड़ता है,  यह भी पता लगाएगा. सूरज की सतह से थोड़ा ऊपर यानी फोटोस्फेयर का तापमान करीब 5500 डिग्री सेल्सियस रहता है. उसके केंद्र का तापमान अधिकतम 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस रहता है. ऐसे में किसी यान या स्पेसक्राफ्ट का वहां जाना संभव नहीं है. धरती पर इंसानों द्वारा बनाई गई कोई ऐसी वस्तु नहीं है, जो सूरज की गर्मी बर्दाश्त कर सके. 

 

फरवरी में पहली तस्वीर भेजेगा:
आदित्य L-1 जनवरी में L-1 पाइंट पर स्थापित होने के बाद फरवरी में पहली तस्वीर भेजेगा. 'आदित्य एल1 मिशन' के जरिए हम 'सोलर स्ट्रॉम' का पता लगा सकते हैं. ये तूफान संचार तकनीक पर असर डालते हैं. कम्युनिकेशन सिस्टम को बाधित कर देते हैं. यदि हमें सूरज के मिजाज और वहां आने वाले तूफान का पता चल जाएगा तो दुनिया में संचार तकनीक की बाधाओं को दूर करने में बड़ी सफलता मिलेगी.

आदित्य-L1 16 दिनों तक धरती के चारों तरफ चक्कर लगाएगा:
आदित्य-L1 16 दिनों तक धरती के चारों तरफ चक्कर लगाएगा. इस दौरान पांच ऑर्बिट मैन्यूवर होंगे, ताकि सही गति मिल सके. इसके बाद आदित्य-L1 का ट्रांस-लैरेंजियन 1 इंसर्शन (Trans-Lagrangian 1 Insertion - TLI) होगा. फिर यहां से उसकी 109 दिन की यात्रा शुरू होगी. जैसे ही आदित्य-L1 पर पहुंचेगा, वह वहां पर एक ऑर्बिट मैन्यूवर करेगा. ताकि L1 प्वाइंट के चारों तरफ चक्कर लगा सके.

पड़ोसी मुल्क चीन भी सोलर मिशन लॉन्च कर चुका:
बता दें कि पड़ोसी मुल्क चीन भी सोलर मिशन लॉन्च कर चुका है. चीन द्वारा भेजा गया मिशन धरती के ऑर्बिट में है, जबकि 'इसरो' का 'आदित्य एल1 मिशन' उससे बाहर होगा. 'आदित्य एल1 मिशन' एक प्रतिशत दूरी तक ही जाएगा. मतलब, सूरज 15 करोड़ किलोमीटर दूर है तो यह मिशन 15 लाख किलोमीटर दूरी तक जाएगा. सूरज के तापमान से उपकरणों को नुकसान न पहुंचे, इसके लिए स्पेशल अलॉय इस्तेमाल किया गया है. सूरज पर कई तरह के कण और ऊर्जा रहती है.