सदन में बोले योगी CM- विरासत में सत्ता तो मिल सकती है लेकिन बुद्धि नहीं, जानिए अखिलेश पर कैसे साधा निशाना

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव के बहाने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर कई कटाक्ष किये और उन्हें समुचित सम्मान देने की सलाह दी.

आदित्यनाथ ने विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण को लेकर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए सदन में सपा और विपक्ष के नेता अखिलेश यादव से मुखातिब होते हुए कहा कि मैं सबका साथ, सबका विकास की बात करता हूं लेकिन कम से कम इधर के बहाने आपने काका श्री को भी सम्मान देना शुरू कर दिया.

उन्होंने कहा, ‘‘...और शिवपाल जी मैं जब आपको देखता हूं तो मुझे महाभारत का दृश्य याद आने लगता है. आप जैसे अनुभवी व्यक्ति सचमुच हर बार छले जाते हैं. बार-बार अपमानित होते हैं. हम आपका सम्मान करते हैं. आप हमारे वरिष्ठ सदस्य हैं और उनको सम्मान मिलना भी चाहिए.’’मुख्यमंत्री ने अखिलेश से मुखातिब होते हुए कहा कि आपने क्यों उनका (शिवपाल) इतना अपमान कर दिया. उनका जो सरल स्वभाव है उसके नाते मैं कहना चाहता हूं कि उन्हें सम्मान देना शुरू करें. आदित्यनाथ ने अखिलेश पर तंज करते हुए कहा कि विरासत में सत्ता तो मिल सकती है लेकिन बुद्धि नहीं मिल सकती. नेता विरोधी दल अगर अपना गुस्सा कम कर लें तो वह राज्य को तो एकजुट नहीं कर पाए लेकिन परिवार को एकजुट कर लेंगे.

गौरतलब है कि वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उस वक्त कैबिनेट मंत्री रहे उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच पार्टी और सरकार पर वर्चस्व को लेकर संघर्ष हुआ था. शिवपाल ने वर्ष 2018 में सपा से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया का गठन किया था. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में वह फिरोजाबाद सीट से सपा के प्रत्याशी अक्षय यादव के खिलाफ मैदान में उतरे थे, मगर उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था.

आजीवन सपा में ही रहकर उसे मजबूत करेंगे:
पिछले साल हुए राज्य विधानसभा चुनाव के वक्त अखिलेश और शिवपाल फिर करीब आये और शिवपाल सपा के टिकट पर जसवंतनगर सीट से चुनाव जीते थे. उसके बाद दोनों के रिश्तों में फिर तल्खी आ गयी थी. इसी बीच, पिछले साल अक्टूबर में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनकी मैनपुरी लोकसभा सीट पर दिसंबर में हुए उपचुनाव में शिवपाल ने अखिलेश की पत्नी सपा उम्मीदवार डिम्पल यादव की जीत में अहम भूमिका निभायी थी. उसके बाद शिवपाल ने अपनी पार्टी का सपा में विलय कर दिया था और कहा था कि वह अब आजीवन सपा में ही रहकर उसे मजबूत करेंगे. सोर्स- भाषा