VIDEO: नजूल संपत्तियों का झमेला ! सरकार को करोड़ों के राजस्व का हो रहा नुकसान, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राजस्थान की राजधानी जयपुर के पॉश इलाकों से लेकर राज्य भर में 3000 से ज्यादा नजूल संपत्तियां बेकार पड़ी हैं. इनमें से बहुत सी संपत्ति का तो सही ढंग से पता भी नहीं है. 6000 करोड़ से भी ज्यादा की इन संपत्तियों का उपयोग न हो पाने से सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है. राज्य सरकार की नजूल संपत्ति राजधानी के पॉश इलाके से लेकर प्रदेश भर में और प्रदेश से बाहर भी हैं.

नजूल संपत्तियां का झमेला:
इन नजूल संपत्तियों में अधिकतर के किसी न किसी हिस्से पर कब्जा है, लेकिन 496 ऐसी है, जो खाली पड़ी हुई है यानि बेकार है. इन संपत्तियों का ना तो सरकार बेचान कर पा रही है और न ही सालों से इनके किराए की वसूली हो रही है. इन संपत्तियों का बेचान कर सरकारी खजाने को भरने की सरकार ने कई बार योजना तैयार की, लेकिन धरातल पर नहीं आ सकी. यहां तक कि इन कब्जे वाली संपत्तियों के निपटारे को लेकर सरकार ने एक मंत्रिमण्डलीय कमेटी भी बना रखी है.

3000 नजूल संपत्तियां बेकार, डीएलसी दर से भी बेचे तो मिल सकते हैं 6000 करोड़:

इन नजूल संपत्तियों की देखरेख सार्वजनिक निर्माण विभाग करता है.ऐसी संपत्तियां जिनका राजकीय और सार्वजनिक हित में  उपयोग नहीं हो सकता उन्हें खुली नीलामी से बेचा जा सकता है. इसके लिए पहले जिला कलेक्टरों से प्रस्ताव लिया जाता है और फिर राज्य सरकार के स्तर पर निर्णय लेकर जरूरी कार्रवाई की जाती है.

कलेक्टर को हैं पावर:
नजूल संपत्तियों के निपटारे को लेकर सरकार ने योजना तैयार की, जिसके तहत जिलों में इन संपत्तियों के बेचान के लिए कलेक्टरों को अधिकार दिए गए यानि कलेक्टर एक करोड़ तक कीमत की संपत्ति का अपने स्तर पर ही निपटारा कर सकता है. इससे ज्यादा की राशि के मामलों को सरकार में भेजना होगा,लेकिन यह योजना भी कारगर नहीं हो पाई.

अब क्या है कार्ययोजना:
कब्जे वाली सरकारी नजूल संपत्तियों को 25 प्रतिशत राशि लेकर उसे किराए पर या लीज डीड पर कब्जा धारी व्यक्ति को दिया जा सकता है जिससे सरकार को कुछ आय हो सके. हालांकि यह कार्य योजना उच्च स्तर पर अनुमोदन के बाद ही सिरचन सकती है.

क्या होती हैं नजूल संपत्तियां:
देश में 1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजी हुकुमत का विरोध करने वाले विद्रोहियों को जेल में डाल दिया गया और उनकी संपत्तियों को जब्त कर लिया गया. इसके बाद यह सिलसिला जारी रहा. ऐसे में 1857 से लेकर देश की आजादी से पहले तक इस तरह जो भी संपत्तियां जब्त की गई, उन्हें नजूल संपत्तियां कहा जाता है.

नजूल संपत्तियों की संख्या:
जयपुर ग्रामीण 31
जयपुर शहर 10
दौसा 12
अलवर 68
सीकर 00
झुंझुनूं 02
अजमेर  00
भीलवाड़ा 06
टोंक 04
नागौर 17
 कोटा 11
बारां 13
झालावाड़ 11
बूंदी 04
 उदयपुर 00
राजसमंद 02
चित्तौडगढ़ 03
प्रतापगढ़ 18
डूंगरपुर 02
बांसवाड़ा 00
भरतपुर 85
करौली 135
सवाईमाधोपुर 29
धौलपुर 06
 बीकानेर 01
हनुमानगढ़ 00
गंगानगर 01
चूरू 02

जोधपुर 13
पाली 06
जैसलमेर 03
जालोर 00
बाड़मेर 00
सिरोही 01
कुल 496
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इन संपत्तियों में से काफी संपत्तियां प्रदेश के बाहर भी बताई जाती हैं.