VIDEO: चार जिलों में बंटने से बदल गया जयपुर का भूगोल, क्या मिलेगा आमजन को लाभ ? देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: जयपुर जिला चार जिलों में बंटने के साथ जिले का भूगोल बदल गया हैं. जयपुर जिले से टूटकर बने जयपुर और जयपुर ग्रामीण, दूदू और कोटपूतली अब नया पडौसी जिला हो गया हैं. अब इन चार जिलों में चार कलक्टर बैठेंगे.

राजस्थान में जिलों की हाफ सेंचुरी हो गई हैं. अब राजस्थान में 33 से बढकर 50 जिले और सात से बढकर दस संभाग होने से पूरा नक्शा बदल गया हैं. नए जिले बनाने के लिए राजधानी जयपुर को दूसरी बार तोड़ा गया है. इससे पहले 1991 में दौसा को जयपुर से अलग कर जिला बनाया गया था. अब जयपुर जिले को फिर से 32 साल बाद चार जिलों में बांट दिया गया है. अब जयपुर जिले से टूटकर बने जयपुर, कोटपूतली-बहरोड,  दूदू और जयपुर ग्रामीण जिला अस्तित्व में आ गया हैं. जयपुर के मूल नाम से कोई छेडछाड नहीं की गई हैं. पहले जयपुर शहर नए जिले का नाम करने की चर्चा थी. जयपुर से टूटकर बना दूदू जिला राजस्थान का सबसे छोटा जिला रहेगा. 

जिसमें तीन उपखंड और एक विधानसभा क्षेत्र रहेगा. वहीं अब जयपुर संभाग में जयपुर, बहरोड-कोटपूतली, खैरथल, जयपुर ग्रामीण, दूदू, दौसा और अलवर जिला आएगा. इसमें सबसे ज्यादा पॉवरफुल और सबसे बडा क्षेत्र जयपुर कलक्टर के कंधों पर रहेगी. वहीं जयपुर के कलक्टर का काम मॉनिटरिंग और प्रॉटोकॉल का ज्यादा रहेगा. क्योंकि जयपुर में नगर निगम, जेडीए का क्षेत्र हैं. जिसमें कलक्टर का ज्यादा दखल नहीं रहता हैं. उधर इसके इतर जयपुर जिले के चार भागों में बंटने से सभी लोगों को दस्तावेजों में स्थायी पता में जिला बदलना होगा. एक्सपर्ट की माने तो आधार कार्ड से लेकर जनाधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी, पासपोर्ट सहित अन्य दस्तावेज़ों में बदलाव कराना पड़ेगा.

जयपुर संभाग में अब ये आएंगे जिले
जयपुर, बहरोड-कोटपूतली, खैरथल, जयपुर ग्रामीण, दूदू, दौसा और अलवर जिला 

नए जिलों के गठन का राज्य सरकार का निर्णय प्रशासनिक दृष्टि से उचित लग रहा है. जयपुर ग्रामीण ज़िले में सरकार ने आईएएस विश्राम मीणा को OSD लगाया है. वहीं मौजूदा जयपुर कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित को जयपुर ग्रामीण कलेक्टर का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है, नए जिले बनाने से सुविधाएं बढ़ेंगी लोगों को प्रशासनिक काम में आसानी होगी. प्रशासन के विक्रेंद्रीकरण से तंत्र को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने में मदद मिलेगी. भौगोलिक दृष्टि से अभी दूरियां बहुत थी. जिला मुख्यालय दूर होने से लोगों का स्वाभाविक रूप से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. 

अब उम्मीद की जानी चाहिए कि जिला मुख्यालय निकट होने से लोगों को काफी राहत मिलेगी. बड़े जिले अथवा जिला मुख्यालय से दूरी कई बार अपराधों की रोकथाम में सरकार की असफलता का बड़ा कारण रही है. नए जिलों की स्थापना से प्रशासनिक दक्षता में वृद्धि होगी. इससे क़ानून व्यवस्था में सुधार होगा यह एक तरह से प्रशासन को जनता के द्वार तक ले जाने वाला कदम ही माना जाना चाहिए नए अस्पताल, नए परिवहन कार्यालय, नए उपखंड आदि की स्थापना से सरकारी नौकरी के अवसर बढ़ेंगे जिला मुख्यालयों को जोड़ने के लिए नए राज्य मार्ग बढ़ेंगे इससे प्रशासन की गति तथा रिस्पोंस में तीव्रता आएगी. 

ये जिलों की स्थापना से लोकसभा या विधानसभा सीटों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. नए जिले बनाना राज्य सरकार का क्षेत्राधिकार है, जबकि लोक सभा व विधान सभा सीटों का निर्धारण केंद्र सरकार के हाथ में है. नए जिले तथा नए संभाग की स्थापना से सुविधाओं के विस्तार की संभावना है. अब सरकार के पास सुनियोजित आधारभूत ढांचे के विकास का भी अवसर है. नए जिलों में एक स्थान पर ही सभी कार्यालय स्थापित कर सरकार एक नई प्रकार की गवर्नेंस दे सकती है. इससे जनता को दूर दूर तक शहर के एक कोने से दूसरे कोने तक चक्कर काटने नहीं पड़ेंगे लेकिन इसके लिए सरकार को संकल्पित होकर कार्य करना होगा एक ही छत के नीचे सभी सरकारी कार्यालय अथवा एक स्थान पर ही सभी कार्यालय की स्थापना से शहरों को व्यवस्थित किया जा सकेगा.

इन नवीन जिलों से राज्य के विकास को एक नई गति मिलेगी तथा आमजन की सुगमता बढेगी विकास संबंधी योजनाओं का क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग अधिक प्रभावी ढंग से होगी. जिससे आमजन को सरकारी योजनाओं, सुविधाओं और सेवाओं का लाभ शीघ्र मिल सकेगा. प्रदेश के पिछड़े और दूरस्थ क्षेत्रों तक जिला प्रशासन एवं उसके माध्यम से सरकार की पहुंच और अधिक सुगम होगी. जिससे इन क्षेत्रों के लोगो की समस्याओं का शीघ्र निराकरण होगा.