नई दिल्लीः चंद्रयान-3 की चांद से दूरी हर पल घटती जा रही है. 14 जुलाई को लॉन्च हुआ चंद्रयान-3 अब महज कुछ घंटों में चांद पर उतरने वाला है. जो कि ना सिर्फ भारत के लिए उपलब्धि होगी बल्कि देश की निगाहें भी इस पर रहने वाली है. दरअसल जहां भारत का चंद्रयान-3 लैंड करने वाला है उस साउथ पोल पर अभी तक दुनिया का कोई भी देश पैर नहीं जमा पाया हैं ऐसे में अगर 23 अगस्त को होने वाली सॉफ्ट लैंडिंग में भारत सफल होता है तो ये पहला देश बन जायेगा.
वहीं इस मिशन में अब एक खास बात ये भी है कि चंद्रयान-3 का संपर्क 4 साल पहले लॉन्च किये चंद्रयान-2 से हो गया है ऐसे में लैंडिंग के अंदर चंद्रयान-2 का भी अहम रोल रहने वाला है जिसको लेकर इसरो की तरफ से भी कहा गया है कि हम लगातार दोनों के बीच संपर्क बनाये हुए हैं. जो हमें स्थिति का आंकलन करके बतायेगा की. ऐसे में अगर परिस्थितियां अनुकूल होती है तो चंद्रयान-3 तय समय 23 अगस्त को शाम 6ः04 बजे लैंड करेगा. नहीं तो फिर इसे 27 अगस्त को उतारने का प्रयास किया जायेगा.
जापान के बााद भारत के पास होगा मौकाः
जापान के मिशन लूना 25 के फेल होने के बाद भारत के पास एक बड़ा मौका है जो कि ना सिर्फ भारत के नाम को इतिहास में दर्ज करेगा. बल्कि चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन जायेगा. दरअसल 10 अगस्त को लॉन्च हुआ लूना 25 रविवार को किसी तकनीकी खराबी के चलते फेल हो गया. तकनीकी खराबी के चलते महज कुछ समय पहले ही संपर्क तुटने से जापान का सपना अधूरा रह गया है.
जिस पोल की आज हम बात कर रहे हैं वहां आज तक दुनिया का कोई भी देश नहीं पहुंच पाया है. जिसका बड़ा कारण यहां कई उबड़-खाबड़ और जोखिम भरे इलाके हैं इसके साथ ही चांद के इस क्षेत्र में ज्यादा अंधेरा होने की वजह से भी लैंडिंग में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा जब लूनर नाइट होती है तो यहां का तापमान -230 डिग्री तक गिर जाता है, जिस वजह से ये चांद के दुर्लभ इलाकों में से एक है.