ICET अमेरिका, भारत के लिए लोकतांत्रिक प्रौद्योगिकी पारितंत्र बनाने में अहम- White House

वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का मानना है कि ‘क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज’ (आईसीईटी) पर भारत-अमेरिका की पहल दोनों देशों के वास्ते एक लोकतांत्रिक प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए महत्वपूर्ण है. व्हाइट हाउस ने यह जानकारी दी.

भारत-अमेरिका संबंधों में आईसीईटी को “नेक्स्ट बिग थिंग” (एक बड़ा कदम) बताया जा रहा है. मंगलवार को यहां व्हाइट हाउस में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और भारत के अजित डोभाल द्वारा इसकी शुरुआत की गई थी.

लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण:
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन ज्यां-पियरे ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राष्ट्रपति का मानना है कि यह पहल अमेरिका और भारत के लिए एक लोकतांत्रिक प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों व हमारे लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है. इसलिए, हम इसे भारत के साथ बेहद महत्वपूर्ण पहल और साझेदारी के रूप में देखते हैं.

हमारी साझेदारी का नेतृत्व करने का निर्देश दिया:
आईसीईटी का मई 2022 में तोक्यो में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच बैठक के बाद पहली बार एक संयुक्त बयान में उल्लेख किया गया था. इसका मकसद दोनों देशों की सरकारों, व्यवसायों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सामरिक प्रौद्योगिकी साझेदारी तथा रक्षा औद्योगिक सहयोग को बढ़ाना तथा उसे विस्तार देना है. ज्यां-पियरे ने बुधवार को एक सवाल के जवाब में कहा कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री मोदी ने इस पहल की घोषणा तब की जब वे पिछले साल मई 2022 में एक बैठक में (तोक्यो में) मिले थे और अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों को महत्वपूर्ण उभरती प्रौद्योगिकियों में हमारी साझेदारी का नेतृत्व करने का निर्देश दिया. सोर्स-भाषा