भारत ने 2022-23 में सर्वाधिक 15,920 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात किया- Rajnath Singh

नई दिल्ली: भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 में सर्वाधिक 15,920 करोड़ रुपये के रक्षा उपकरणों (हार्डवेयर) का निर्यात किया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस उपलब्धि को ‘मेक इन इंडिया’ के प्रति उत्साह का परिणाम बताया.

वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का रक्षा निर्यात 2016-17 के 1,521 करोड़ रुपये के मुकाबले 10 गुना बढ़कर 15,920 करोड़ रुपये हो गया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ट्वीट किया है कि भारत का रक्षा निर्यात वित्त वर्ष 2022-23 में अभी तक के सर्वाधित स्तर 15,920 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. यह देश के लिए उल्लेखनीय उपलब्धि है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रेरणादायक नेतृत्व में हमारा रक्षा निर्यात तेजी से बढ़ता रहेगा.वहीं एक ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी ने इस उपलब्धि को भारत की प्रतिभा और ‘मेक इन इंडिया’ के प्रति उत्साह का नतीजा बताया है.

निर्यात करने पर ध्यान केन्द्रीत कर रहा:
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दिखाता है कि क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों हुए सुधार के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं. हमारी सरकार भारत को रक्षा उत्पाद का ‘हब’ बनाने का समर्थन करती रहेगी. रक्षा मंत्रालय भारत, मुख्य रूप से ड्रोनियर-228 विमानों, 155 एमएम एडवांस्ड टोड आर्टिनरी गन्स (एटीएजी) (तोप), ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल सिस्टम्स, राडार, सिमुलेटर, माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल्स, आर्मर्ड व्हीकल्स, पिनाक रॉकेट और लॉन्चर, एम्युनिशन, थर्मल इमेजर, बॉडी आर्मर, सिस्टम, लाइन रिप्लेसिएबिल यूनिट्स और एवियॉनिक्स और स्मॉल आर्म्स के भाग और घटकों जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स का निर्यात करने पर ध्यान केन्द्रीत कर रहा है.

भारत की बढ़ती रक्षा निर्माण क्षमताओं का प्रमाण:
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, दुनिया में एलसीए-तेजस, लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर, एयरक्राफ्ट कैरियर, एमआरओ गतिवधियों की मांग बढ़ रही है. भारत फिलहाल 85 से ज्यादा देशों को रक्षा उत्पादों का निर्यात कर रहा है.  मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारतीय उद्योग ने वर्तमान में रक्षा उत्पादों का निर्यात करने वाली 100 कंपनियों के साथ डिजाइन और विकास की अपनी क्षमता दुनिया को दिखाई है. बढ़ता रक्षा निर्यात और एयरो इंडिया 2023 में 104 देशों की भागीदारी भारत की बढ़ती रक्षा निर्माण क्षमताओं का प्रमाण है.

35,000 करोड़ रुपये तक ले जाने का लक्ष्य तय किया:
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2020-21 में 8,434 करोड़ रुपये, 2019-20 में 9,115 करोड़ रुपये और 2018-19 में 10,745 करोड़ रुपये के सैन्य हार्डवेयर का निर्यात किया था. 2017-18 में देश का कुल रक्षा निर्यात 4,682 करोड़ रुपये और 2016-17 में 1,521 करोड़ रुपये का था. केंद्र सरकार ने 2024-25 तक 1,75,000 करोड़ रुपये के रक्षा हार्डवेयर के उत्पादन के साथ ही रक्षा निर्यात को 35,000 करोड़ रुपये तक ले जाने का लक्ष्य तय किया है.

सरल और उद्योग के अनुकूल बना दिया गया:
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने पिछले 5-6 वर्षों के दौरान कई नीतिगत पहल की हैं और सुधार किए हैं. ऑनलाइन निर्यात की व्यवस्था के साथ देरी को कम करने और कारोबारी सुगमता के साथ निर्यात प्रक्रियाओं को सरल और उद्योग के अनुकूल बना दिया गया है. बयान के अनुसार सरकार ने प्रौद्योगिकी/ बड़े प्लेटफॉर्म्स और और उपकरणों के अंगों और घटकों के निर्यात/ हस्तांतरण के लिए तीन ओपन जनरल एक्सपोर्ट लाइसेंग (ओजीईएल) अधिसूचित किए हैं.

निर्यात अवसरों पर प्रतिक्रिया देने में सक्षम हो सकें:
ओजीईएल एक बार में दिया जाने वाला निर्यात लाइसेंस है, जो ओजीईएल की वैधता के दौरान निर्यात अधिकार की मांग किए बिना ओजीईएल में उल्लिखित विशिष्ट वस्तुओं में से निर्दिष्ट वस्तुओं के निर्यात करने की अनुमति देता है. रक्षा मंत्रालय के अनुसार विभिन्न देशों से प्राप्त निर्यात के अनुरोधों को वास्तविक समय के आधार पर ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से पंजीकृत भारतीय रक्षा निर्यातकों तक पहुंचाया जाता है, ताकि वे निर्यात अवसरों पर प्रतिक्रिया देने में सक्षम हो सकें. सोर्स-भाषा