जयपुर: इमारतों की ऊंचाई की स्वीकृति देने के मामले में जयपुर विकास प्राधिकरण अब सर्च इंजन गूगल का सहारा नहीं लेगा. आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा ? गूगल नहीं तो फिर जेडीए किसकी लेगा मदद? जानने के लिए देखें फर्स्ट इंडिया न्यूज की ये खास खबर...
राजधानी में सांगानेर स्थित अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के फनल जोन को ध्यान में रखते हुए जयपुर विकास प्राधिकरण इमारतों की ऊंचाई स्वीकृत करता है. इसके लिए एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया की ओर से तय किए गए मानकों के आधार पर जेडीए यह तय करता है कि किस स्थान पर इमारत की कितनी अधिकतम ऊंचाई तय की जा सकती है. ऑथोरिटी ने इसके लिए हाल ही नया कलर कोडेड जोनिंग मैप (CCZM) लागू किया है. आपको पहले बताते हैं कि इमारतों की ऊंचाई की स्वीकृति देने की क्या प्रक्रिया है
- एयरपोर्ट ऑथारिटी ऑफ इंडिया ने वर्ष 2017 में कलर कोडेड जोनिंग मैप (CCZM) लागू किया था
- जेडीए ने पहले इसी CCZM के अनुसार इमारतों की ऊंचाई स्वीकृत की
- इसमें विभिन्न स्थानों पर इमारतों की अधिकतम ऊंचाई निर्धारित है
- पिछले करीब छह महीने से जेडीए उपयोग कर रहा है
- नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट एप्लिकेशन सिस्टम(NOCAS) का उपयोग कर रहा है
- ऑथोरिटी ओर से ही तैयार इस NOCAS में दर्ज करने होंते हैं
- प्रस्तावित ऊंचाई पता करने के लिए उस स्थान के लोंगिट्यूट और लेटिट्यूड दर्ज करने होंते हैं
- लेकिन एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने हाल ही नया CCZM लागू किया है
नया CCZM लागू करने के बाद एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने जयपुर विकास प्राधिकरण को पत्र लिखा. इस पत्र में कहा गया कि इस नए मैप के अनुसार ही भविष्य में इमारतों की ऊंचाई स्वीकृत की जाए. इस नए मैप को लेकर जेडीए के अपने इश्यू थे. इसी को लेकर हाल ही एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया और जेडीए के अधिकारियों की बैठक हुई. आपको बताते हैं कि इस मामले को लेकर जेडीए क्या इश्यू थे और बैठक में किस तरह इनका समाधान किया गया.
- इस बैठक में जेडीए अधिकारियों ने ऊंचाई कम होने की बात उठाई
- जेडीए अधिकारियों का कहना था
- जो नया CCZM लागू किया है उसमें इमारतों की ऊंचाई कम आ रही है
- पहले से 10 से 20 मीटर तक ऊंचाई कम आ रही है
- इस पर ऑथोरिटी के अधिकारियों ने बताया
- जयपुर एयरपोर्ट पर नया राडार सिस्टम लागू किया है
- इसी के चलते नया CCZM लागू किया गया है
- ऊंचाई में अंतर आने की वजह ग्राउंड लेवल में बदलाव है
- GOOGLE ने पिछले 6 महीने में ग्राउंड लेवल को बढ़ा दिया है
- ऐसे में जरूरी है कि ग्राउंड लेवल किया जाए पता
- डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (DGPS) से ही ग्राउंड लेवल पता किया जाए
- एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया की इस सलाह पर जेडीए काम करेगा