जोशीमठ मुद्दे पर समिति गठित करने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर

नई दिल्ली: जोशीमठ में जमीन धंसने और घरों में दरारें पड़ने के मुद्दे पर गौर करने के वास्ते एक सेवानिवृत न्यायाधीश की अगुवाई में समिति बनाने और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास का केंद्र को निर्देश देने की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गयी है. बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों के प्रवेश द्वार जोशीमठ में सैंकड़ों मकानों में दरारें पैदा हो गयी हैं. 

जोशीमठ के 3000 से अधिक लोगों की दुश्वारियां सामने रखते हुए याचिका में कहा गया है कि निरंतर जमीन धंसने से कम से कम 570 मकानों में दरारें पैदा हो गयी हैं.  उसमें दावा किया गया है कि 60 से अधिक परिवार शहर से चले गये हैं जबकि अन्य वहीं रूककर अपनी जान जोखिम में डाले हुए हैं या फिर वे इस सर्दी में वैकल्पिक आवास की तलाश कर रहे हैं. याचिकाकर्ता और वकील रोहित डांडरियाल ने दावा किया कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा पिछले तीन सालों में जोशीमठ में चलायी गयी निर्माण गतिविधियों ने वर्तमान परिदृश्य में उत्प्रेरक का काम किया है एवं वहां के बाशिंदों के मौलिक अधिकारों का ‘उल्लंघन किया है.’ याचिका में कहा गया है, ‘‘ प्रतिवादी नंबर 1 (सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय) ने उत्तराखंड में चारधाम (केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री) के लिए कनेक्टिविटी सुधार के लिए कार्यक्रम में 12,000 करोड़ रुपये का निवेश किया.

 

उसमें कहा गया है कि बिजली मंत्रालय ने भी एनटीपीसी के माध्यम से 2976.5 करोड़ रुपये का निवेश किया और 520 मेगावाट के लिए 2013 में तपोवन विष्णुगढ़ विद्युत संयंत्र का निर्माण कार्य शुरू किया जो उत्तराखंड में धौलीगंगा नदी पर निर्माणाधीन है.  याचिका में अनुरोध किया गया है कि प्रशासन को निर्देश दिया जाए कि वह प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता में सभी संबंधित मंत्रालयों के प्रतिनिधियों की एक उच्चाधिकार प्राप्त संयुक्त समिति बनाये. जोशीमठ धीरे-धीरे धंस रहा है और इसके घरों, सड़कों तथा खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें आ रही हैं तथा कई मकान धंस गए हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने करीब 600 प्रभावित परिवारों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का निर्देश दिया है. सोर्स- भाषा