VIDEO: राजस्थान की अब तक की सबसे बड़ी वन्य जीव गणना संपन्न, वन्यजीवों की संख्या 3 लाख से ज्यादा होने का लगाया जा रहा अनुमान

जयपुर: प्रदेश की अब तक की सबसे बड़ी वन्य जीव गणना संपन्न हो गई है. वाटर होल पद्धति से की गई इस वन्य जीव गणना के आंकड़े संकलित किया जा रहे हैं और एक पखवाड़े में इन्हें संकलित कर प्रामाणिक आंकड़े सार्वजनिक किए जाएंगे. उम्मीद की जा रही है कि प्रदेश में इस बार वन्यजीवों की संख्या बड़ी है. अंतिम आंकड़े आने पर प्रे बेस सुधार, हैबिटेट इंप्रूवमेंट, रिजर्व प्लान, ग्रास लैंड विकास सहित जंगलात महकमें की विभिन्न योजना तैयार की जाएंगी जो भविष्य में प्रदेश के अंदर वन और वन्य जीवों की दशा और दिशा तय करेंगी. 

- प्रदेश में कितनी प्रजाति के और कितने वन्यजीव हैं यह इस गणना (आकलन) से होगा 
- प्रत्येक वन क्षेत्र में प्रे बेस की वास्तविकता का लग जायेगा पता
- मांसाहारी और शाकाहारी वन्यजीवों के अनुपात का लगेगा पता
- किस वन क्षेत्र में कौनसी नई प्रजाति पाई गई उसकी उसकी भी मिल जाएगी जानकारी
- किस वन क्षेत्र में वन्यजीवों की संख्या में कितनी वृद्धि हुई, इसके भी आंकड़े आ जाएंगे सामने
- कौनसे वन्य जीव किस वन क्षेत्र से गायब या खत्म हुए इसका भी लग जाएगा पता
- आकलन के आंकड़े परिशोधित होने के बाद किए जाएंगे सार्वजनिक
- बाघ, बघेरे, स्लॉथ बियर और हाइना सहित दूसरे वंयजीवों की संख्या में वृद्धि का लगाया जा रहा अनुमान
- इस आकलन के बाद वन विभाग को नए सिरे से वन्य जीव प्रबंधन की कार्य योजना बनाने में मिलेगी मदद
- प्रे बेस, हेबिटेट इम्प्रूवमेंट, रिजर्व प्लान तैयार करने में महत्वपूर्ण साबित होंगे ये आंकड़े

प्रदेश में वाटर होल पद्धति से वन्यजीवों की संख्या के आकलन का कार्य संपन्न हो गया है. भीषण गर्मी और चमड़ी को झुलसा देने वाली तेज धूप के बावजूद वनकर्मी और वॉलिंटियर्स ने 24 घंटे तक मचनों पर डटे रहकर वन्यजीवों की संख्या के आकलन को बखूबी संपन्न किया. प्रदेश के पांचो टाइगर रिजर्व, सभी लेपर्ड रिजर्व, कंजर्वेशन रिजर्व और संरक्षित वन क्षेत्र में वाटर होल्स पर मचान लगाकर वैशाख पूर्णिमा पर इस महत्वपूर्ण वन्य जीव आकलन को संपन्न किया गया. दरअसल राज्य में बाघ, बघेरा, जरख, सियार, जंगली बिल्ली, मरु बिल्ली, भारतीय लोमड़ी, रेगिस्तानी लोमड़ी, भेड़िया, भालू, सियागोश, चिंकारा, सांभर, चौसिंघा, कृष्ण मृग, जंगली

सुअर, सेही, उड़न गिलहरी, गोंडावन, सारस, गिद्ध की प्रदेश में पाई जाने वाली सभी प्रजातियां, उल्लू की प्रदेश में पाई जाने वाली सभी प्रजातियां शामिल हैं. 
उम्मीद है कि वन्यजीव गणना के परिणाम इस बार उत्साहजनक और सुखद होंगे. वन जीव गणना में मांसाहारी, शाकाहारी और रेप्टाइल्स तीन श्रेणियां में गणना की गई. पिछली गणना में प्रदेश के अंदर 2 लाख 52 हजार से ज्यादा वन्यजीवों की संख्या का आकलन किया गया था. इस बार इस संख्या के बढ़ने के उम्मीद जताई जा रही है. दरअसल कोरोना के दौर में वन क्षेत्र में मानव हस्तक्षेप कम हुआ था ऐसे में वन्य जीव स्वच्छंद वातावरण में विचरण करने लगे थे और उनकी ब्रीडिंग भी ठीक हुई थी. कुछ जंगलों में ग्रास लैंड विकसित किए गए थे. सरिस्का और दूसरे टाइगर रिजर्व से कुछ गांवों का विस्थापन हुआ है. 

इससे भी वन क्षेत्र में इंसानी दखल काम हुआ है इसके नतीजे इस वन्यजीव गणना में देखने को मिलेंगे. इस वन्यजीव गणना का सबसे खास पहलू रहेगा की वन क्षेत्र में प्रे बेस किस तरह का है, वह पता चल जाएगा. मांसाहारी और शाकाहारी वन्यजीवों का वन क्षेत्र वार अनुपात सामने आएगा. इससे भविष्य में प्रे बेस सुधार, हैबिटेट इंप्रूवमेंट और फॉरेस्ट मैनेजमेंट प्लान बनाने में वन विभाग को काफी मदद मिलेगी.