संक्रामक बीमारियों की जद में "राजस्थान" ! गर्मी के तेवरों के बीच घर-घर में फैली बीमारियां; SMS समेत सभी अस्पतालों की OPD में हाउसफुल जैसे हाल

जयपुर: प्रदेश में संक्रामक बीमारियों ने भले ही आमजन को जद में ले रखा हो, लेकिन चिकित्सा विभाग मूकदर्शक की भूमिका में नजर आ रहा है. हालात ये है कि गर्मी के तेवरों के बीच घर-घर सर्दी, खासी जुखाम और बुखार के मरीज देखे जा रहे हैं. इंफ्लुएंजा लाइक इलनेस श्रेणी के कई केस आने के बावजूद अभी तक स्वाइन फ्लू और H3N2 जैसी संक्रामक बीमारियों की जांच की गति धीमी है. जांच के अभाव में एक तरफ जहां केस चिन्हित नहीं हो पा रहे है, वहीं दूसरी ओर संक्रमण दिन प्रतिदिन फैलता जा रहा है. आखिर क्या है राजस्थान में बीमारियों के मौजूदा हालात, पेश है फर्स्ट इंडिया की एक्सक्लुसिव रिपोर्ट...

देश में एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस के बढ़ते मामलों ने भले ही दहशत मचा दी हो, लेकिन राजस्थान के चिकित्सा विभाग को इससे शायद ज्यादा चिंता नहीं है. दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, ओडिशा और मध्य प्रदेश के साथ ही राजस्थान में भी एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस के केस चिन्हित किए गए है. चिकित्सा विभाग की माने तो अब तक 60 से अधिक केस चिन्हित किए जा चुके हैं. आश्चर्य ये है कि एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस के बढ़ते केस के साथ ही राजस्थान के कमोबेश हर अस्पताल में इंफ्लुएंजा लाइक इलनेस श्रेणी के केस बढ़े है, बावजूद इसके अभी तक जांच का दायरा महज चार सरकारी संस्थानों तक ही सीमित है. खुद चिकित्सक एकाएक इंफ्लुएंजा लाइक इलनेस के केस बढ़ने से चिंतित है. उनका कहना है कि मरीजों में बीमारियों के लक्षण तो दिख रहे है, लेकिन इन मरीजों का जब टेस्ट कराया जा रहा तो रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है. ऐसे में अंदेशा है कि कहीं वायरस अपना स्वरूप तो नहीं बदल रहा है.

देशभर में दहशत, राजस्थान में खानापूर्ति की जांच:-
- गर्मी के तेवरों के बीच घर-घर में फैली बीमारियों से जुड़ी खबर
- प्रदेश में सिर्फ चार सरकारी संस्थानों में एच3एन2 इन्फ्लूएंजा जांच
- जबकि स्वाइन फ्लू की भी महज 7 सरकारी संस्थानों में हो रही जांच
- चिकित्सा विभाग की रिपोर्ट की माने तो जनवरी माह में 8 केस
- फरवरी में 44 केस और मार्च में अब तक 10 केस एच3एन2 के चिन्हित
- चिकित्सकों का तर्क,यदि जांच का बढ़े दायरा, तो केस भी बढ़ता तय

प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल की बात की जाए तो इन दिनों ओपीडी में आ रहे मरीजों से पुराने सभी रिकॉर्ड तोड दिए है. रोजाना 13 से 14 हजार मरीज ओपीडी में आ रहे हैं. लेकिन यदि एच3एन2 इन्फ्लूएंजा की जांच देखे तो सिर्फ 15 से 20 मरीजों की ही सैम्पलिंग की जा रही है. चिकित्सकों के अनुसार ओपीडी में आने वाला हर तीसरा-चौथा मरीज इस वायरस या फिर इससे जुड़ते लक्षणों वाले पहुंच रहे हैं. चिकित्सकों की माने तो मरीज नाक बंद, जुखाम, गले में दर्द और बुखार के शिकायत को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. H3N2 इन्फ्लूएंजा के मरीजों में तेज बुखार के बाद लंबे समय तक खांसी चलने की शिकायत होती है. हालांकि, अभी ज्यादातर माइल्ड केस आ रहे हैं.

डॉक्टर्स के अनुसार एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस फ्लू श्रेणी का है, मौसम में बदलाव के साथ इसके मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. इसमें बुखार सामान्यत: 3 से 4 दिन रहता है, लेकिन कुछ केस में 6 से 7 दिन में भी बुखार ठीक नहीं हो रहा है. इस वायरस की चपेट में आने वाले मरीजों में बुखार टूटने के बाद खांसी शुरू होती है और ये लंबे समय तक रहती है. कुछ मामलों में निमोनिया होने की भी कंडीशन बन रही है. बताया जा रहा है कि प्रदेश के अस्पतालों में जिस तुलना में इस वायरस के सिम्पटम्स के मरीज पहुंच रहे हैं उस तुलना में जांच नहीं हो रही है. एसएमएस अस्पताल के चिकित्सक डॉ.पुनित सक्सैना ने बताया कि एहतियात बरत के इस वायरस के बचा जा सकता है. 

यूं करें खुद का बचाव:- 
- सर्दी-खांसी के मरीजों से बनानी चाहिए दूरी
- लोगों को करनी चाहिए सोशल डिस्टेंसिंग
- भीड़ में मास्क का करना चाहिए उपयोग
- मेडिकॉज के अलावा गर्भवती महिलाएं, बुजुर्गों को वैक्सीनेट किया जाना चाहिए

केन्द्र की सख्ती के बाद हालांकि राजस्थान का चिकित्सा महकमा भी अब सक्रिय हुआ है. सूत्रों की माने तो सभी फील्ड अधिकारियों को निर्देश दिए गए है कि वे जांच का दायरा बढ़ाने के साथ ही संक्रामक बीमारियों की रोजाना रिपोर्ट मुख्यालय को भेजे. अब देखना ये होगा कि ये सक्रियता फील्ड में कितना असर दिखाती है और संक्रमण को काबू में करने में मददगार साबित होती है.