VIDEO: प्रदेश के 12 प्रतिशत मतदाता रहे हैं "भाग्य विधाता", कांग्रेस या भाजपा में जिस पार्टी को करते हैं वोट उस पार्टी को प्रचंड बहुमत के साथ मिलती है सत्ता

जयपुर: विधानसभा चुनावों में प्रदेश के 12 प्रतिशत मतदाता कांग्रेस या भाजपा में से जिस पार्टी की तरफ चले जाते हैं,उस पार्टी की तो प्रचंड बहुमत मिलता है लेकिन दूसरी पार्टी का सूपड़ा साफ हो जाता है. 

पिछले तीस साल में प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के आंकड़ों की पड़ताल में यह सामने आया कि एक साथ 12 प्रतिशत मतदाता चुनाव में जिस पार्टी को एक तरफा वोट देते हैं. वे उस पार्टी को अर्श तक पहुंचा देते हैं. जबकि दूसरी पार्टी फर्श पर आ जाती है. वर्ष 1993 और पिछली बार वर्ष 2018 तक छह बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. आपको सबसे पहले बताते हैं कि वोट प्रतिशत के मामूली अंतर से भी किस प्रकार एक पार्टी सरकार बनाने के करीब पहुंच जाती है. 

-वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 38.60 प्रतिशत वोट मिले थे

-इतने वोट पाकर भाजपा ने 95 सीटों पर जीत दर्ज की थी

-इसके बावजूद भाजपा ने जरूरी आकड़ा जुटा कर सरकार बना ली

-जबकि सत्ता से बाहर रही कांग्रेस को तब  38.27 प्रतिशत वोट मिले थे

-दोनों पार्टियों में वोट प्रतिशत का अंतर महज 0.33 प्रतिशत ही था

-वर्ष 2018 के चुनाव में प्रदेश की सत्ता पर कांग्रेस ने कब्जा किया था

-कांग्रेस को 39.30 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट दिया था

-इसकी बदौलत कांग्रेस ने 100 सीटों पर जीत दर्ज की थी

-तब भाजपा को 38.77 प्रतिशत वोट मिले थे

-और भाजपा के उम्मीदवार 73 सीटों पर जीते थे

-दोनों पार्टियों में वोट प्रतिशत का अंतर महज 0.53 प्रतिशत ही था

-इसी तरह वर्ष 2008 में कांग्रेस को भाजपा से 2.55 प्रतिशत अधिक वोट मिले थे

-इसके चलते कांग्रेस को 96 और भाजपा को 78 सीटें मिली

-कांग्रेस ने जब जरूरी आकड़ा जुटा कर सरकार बना ली थी

-वर्ष 2003 में भाजपा को कांग्रेस से 3.55 प्रतिशत अधिक वोट मिले थे

-तब भाजपा ने स्पष्ट बहुमत से अधिक कुल 120 सीटों पर जीत दर्ज की थी

वर्ष 1993 से लेकर पिछली बार वर्ष 2018 तक हुए विधानसभा चुनावों में किसी भी पार्टी को अधिकतम करीब 45 फीसदी वोट मिले हैं. जबकि न्यूनतम करीब 33 फीसदी वोट मिले हैं. आपको बताते हैं कि किस तरह वोटों में यह 12 प्रतिशत का अंतर एक पार्टी को जहां प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज कर देता तो दूसरी पार्टी का सूपड़ा साफ कर देता है.

- वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 153 सीटों का प्रचंड बहुमत मिला था

-तब कांग्रेस को 44.95 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट दिया था

-जबकि भाजपा को तब महज 33.23 प्रतिशत ही वोट मिले थे

-भाजपा को केवल 33 सीटें ही मिली थी

-कांग्रेस को भाजपा से 117 सीटें ज्यादा मिली थी

-कुछ ऐसा ही वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में हुआ था

-तब भाजपा को 45.17 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट दिया था

-इस वोट प्रतिशत पर भाजपा को 163 सीटें मिली थी

-इस चुनाव में कांग्रेस को 33.07 प्रतिशत ही वोट मिले थे

-इसके चलते कांग्रेस को महज 21 सीटें ही मिली थी

-पिछले तीस चुनाव में इन दो चुनावों कांग्रेस को जो अधिकतम व न्यूनतम

-और भाजपा को जो अधिकतम व न्यूनतम वोट मिले थे

-इन अधिकतम और न्यूनतम वोटों का अंतर करीब 12 फीसदी रहा है

-यह ट्रेंड यह बताता है कि ये 12 फीसदी मतदाता किसी एक पार्टी को शानदार जीत दिलाते हैं 

-वहीं दूसरी पार्टी को निराशाजनक प्रदर्शन के लिए मजबूर कर देते हैं