VIDEO: रियायतों पर कठोर दिल रेलवे ! यात्रियों को नहीं मिल पा रही किराए में रियायतें, देखिए, ये खास रिपोर्ट

जयपुर: रेल यात्रियों को किराए में दी जाने वाली रियायतों को लेकर रेलवे का कठोर चेहरा सामने आ रहा है. पिछले ढाई साल से सैंकड़ों श्रेणियों के रेल यात्रियों को किराए में रियायत नहीं दी जा रही है. कोविड खत्म होने के बावजूद भी इन रियायतों को शुरू नहीं किया जा रहा है. क्या हैं कारण, क्यों रोजाना हजारों यात्री होते हैं परेशान, देखिए, ये खास रिपोर्ट...

रोजाना ढाई करोड़ लोगों की राह को आसान बनाने वाली रेलवे इन दिनों सिर्फ कमाई की गणित में व्यस्त है. कोविड़ के दौरान जहां स्पेशल ट्रेन और प्रीमियम ट्रेन के नाम पर यात्रियों से अधिक किराया वसूल किया जा रहा था, वहीं अब भी सबसे अधिक उपयोग में ली जाने वाली सीनियर सिटीजन जैसी रियायतें अघोषित रूप से बंद हैं. कोरोना महामारी के कारण भारत सहित पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था चरमरा गई. लेकिन रेलवे ने कोरोना को कमाई का अवसर मान लिया.

एक तरफ जहां संक्रमण को नियंत्रित करने के नाम पर रेगुलर चल रही ट्रेनों को स्पेशल बनाकर चलाया गया. तो वहीं टिकट पर दी जा रही रियायतों को बंद कर दिया गया. इस तरह रेल यात्रियों पर दोहरी मार पड़ रही है. कोरोना से पहले ट्रेनों में यात्रियों को टिकट पर 303 तरह की रियायत दी जा रही थी. लेकिन सीनियर सिटीजन, पत्रकार, पुलिस सहित अन्य रियायतों को बंद कर दिया गया है. फिलहाल 115 श्रेणियों में ही यात्रियों को रियायत दी जा रही है.  

रेलवे कैसे हुआ संवेदनहीन !:
- रेलवे द्वारा बीएसएफ सहित सभी डिफेंस कर्मियों को किराए में छूट दी जा रही
- लेकिन राजस्थान सहित अन्य राज्यों के पुलिस कर्मियों को किराए में छूट नहीं दे रहे
- जबकि गृह मंत्रालय ने रेलवे के साथ किया हुआ है एक विशेष अनुबंध
- जिसके तहत ऑन ड्युटी पुलिस कर्मियों को कोरोना से पहले थी फ्री यात्रा की सुविधा
- जिसे अभी भी कोरोना मानते हुए बंद किया हुआ
- सबसे अधिक ली जाने वाली सीनियर सिटीजन की रियायत भी बंद
- अभी रेलवे कैंसर, डीफ एंड डंब, मैंटल रिटायर्ड, ब्लाइंड और विकलांग यात्रियों को दे रहा छूट
- कोरोना से पहले जयपुर शहर के रेलवे स्टेशनों पर रोज करीब 350 सीनियर सिटीजन लेते थे टिकट
- लेकिन फिलहाल सभी को पूरा किराया देकर रिजर्वेशन टिकट लेना पड़ रहा
- रेलवे द्वारा पूर्व में सीनियर सिटीजन यात्रियों को टिकट पर मिलती थी 50 फीसदी की छूट

इसी तरह रेलवे द्वारा कैंसर जैसी गंभीर बीमारी में दी जाने वाली रियायत भी भेदभाव की दृष्टि से दी जा रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस बीमारी से जूझ रहे सामान्य यात्रियों को तो किराए में छूट दी जा रही है. लेकिन अगर इसी बीमारी से कोई रेलकर्मी लड़ रहा है, तो उसे किराए में कोई छूट नहीं दी जा रही. पिछले दिनों कैंसर बीमारी से पीड़ित एक रेलकर्मी का इलाज के दौरान रेलवे ने बाहर दूर ट्रांसफर कर दिया. जिसके कारण अब कर्मचारी के लिए परिवार से दूर इलाज कराना मुश्किल हो गया है.

ड्यूटी के दौरान मुफ्त यात्रा, बीमारी में नहीं ?:
- रेलवे कैंसर पीड़ित यात्रियों को देता है किराए में रियायत
- स्लीपर/थर्ड एसी में सिर्फ रिजर्वेशन और सुपरफास्ट चार्ज लिया जाता
- फर्स्ट या सैकंड एसी में कैंसर पीड़ितों को दी जाती 50 फीसदी छूट
- इसके लिए हॉस्पिटल से जारी करवाना होता है कंसेशन सर्टिफिकेट
- लेकिन कैंसर से पीड़ित रेल कर्मचारी को नहीं दी जा रही यह सुविधा
- दरअसल रेलकर्मियों को हर साल मुफ्त यात्रा के मिलते हैं 2 स्लीपर और 1 थर्ड एसी टिकट
- ऑन ड्यूटी यात्रा करने पर दिया जाता है थर्ड एसी का पास
- रेलकर्मी यदि बाहरी अस्पताल से कैंसर कंसेशन सर्टिफिकेट लेना चाहे तो नहीं मिलता
- अस्पताल प्रशासन दलील देते हैं कि रेलवे ने सर्टिफिकेट जारी करने पर लगाई है रोक