नई दिल्लीः आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार को बड़ी सफलता हाथ लगी है. भारत और EFTA के बीच व्यापार-आर्थिक साझेदारी समझौता हुआ है. भारत-यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ ने TEPA पर साइन किए है.
समझौते में इकोनॉमी के 14 हिस्से शामिल रहे. जिसमें वस्तुओं से संबंधित बाजार पहुंच, उत्पत्ति के नियम शामिल, व्यापार सुविधा, व्यापार उपचार, स्वच्छता शामिल, पादप स्वच्छता उपाय, व्यापार में तकनीकी बाधाएं शामिल, निवेश प्रोत्साहन, सेवाओं पर बाजार पहुंच शामिल, बौद्धिक संपदा अधिकार, व्यापार पर फोकस रहा है.
लगभग 16 साल की बातचीत के बाद यह समझौता संभव हो सका है. इससे व्यापार और विदेशी निवेश बढ़ेगा. ईएफटीए में स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन शामिल हैं. गोयल ने कहा कि व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते के तहत ईएफटीए देश अगले 15 साल में भारत में 100 अरब डॉलर का निवेश करेंगे. यह एक बाध्यकारी समझौता है.
वहीं पार्मेलिन ने कहा, यूरोपीय देश अपनी ओर से, भारत के विशाल बाजार और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था द्वारा प्रदान किए जाने वाले आर्थिक अवसरों तक पहुंच प्राप्त करेंगे. भारत ने समझौते के कार्यान्वयन के बाद ब्लॉक के सदस्य देशों से पहले 10 वर्षों के दौरान 50 अरब डॉलर की निवेश प्रतिबद्धता और अगले पांच साल में 50 अरब डॉलर की निवेश प्रतिबद्धता मांगी है. इससे देश में विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा और 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे.