VIDEO: फिर कूनो से राजस्थान आया चीता, 8 घण्टे की तफरीह के बाद घर वापसी, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से आज एक बार फिर एक चीता 85 किलोमीटर का सफर तय करके राजस्थान के करौली जिले के मंडरायल की करणपुर रेंज के सिमारा गांव तक पहुंच गया. चीते को अपने बीच पाकर ग्रामीणों में कौतूहल था, लेकिन राजस्थान और मध्य प्रदेश के वन अधिकारियों के बेहतर समन्वय, पुलिस के सहयोग और वन कर्मियों की सूझबूझ से 8 घंटे बाद चीते की घर वापसी पूरी तरह से सफल रही. हालांकि 4 महीने में कूनो से दो बार चीते का राजस्थान आना वन्य जीव प्रेमियों में एक चर्चा जरूर छेड़ गया है कि राजस्थान में भी चीते के पुनर्वास के प्रयास होने चाहिए. 

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से आज एक चीता करीब 85 किलोमीटर का सफर तय करके करौली जिले के मंडरायल के पास चंबल नदी के रोहू घाट तक पहुंच गया. कुछ ग्रामीणों ने सुबह जब चीते को देखा तो शोर मचाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते सैकड़ो की तादाद में ग्रामीण चीते के आसपास जमा हो गए. चीते के रेडियो कॉलर संकेत के आधार पर कूनो नेशनल पार्क की टीम ने राजस्थान के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक पवन उपाध्याय को इसकी सूचना दी. इसके बाद उपाध्याय ने रणथंभौर, करौली और धौलपुर जिले के वन अधिकारियों को अलर्ट कर दिया. 

रणथंभौर से फील्ड डायरेक्टर अनूप केआर, डीसीएफडॉ रामानंद भाकर, करौली के डीसीएफ पीयूष शर्मा, सुमित गौतम और तीन रेंज के रेंजर व फॉरेस्ट स्टाफ मौके पर पहुंच गए. कूनो से एक्सपर्ट की टीम आने तक इस बात के प्रयास राजस्थान के वन अधिकारी और पुलिस अधिकारी करते रहे कि ग्रामीण किसी तरह से तनाव प्रकट न करें क्योंकि एक आशंका यह थी कि या तो चीता उन्हें नुकसान न पहुंचा दे या वे चीते को नुकसान न पहुंचा दें. दोपहर करीब 3:00 बजे कूनो से एक्सपर्ट की टीम मौके पर पहुंची तो उन्होंने पूरे ऑपरेशन में अपने अनुभव और तकनीक की शानदार झलक दिखाई जो राजस्थान वन विभाग के लिए एक अच्छा लेसन रही.

एक्सपर्ट ने चीते को ट्रेंकुलाइज करने के लिए उसे पर डार्ट छोड़ा और चीता जैसे ही अर्द्धचेतन अवस्था में आया एक्सपर्ट ने बिना घबराए बहुत ही सौम्य तरीके से चीते को पकड़ा और फिर उसके बेहोश होने पर ड्रिप लगाई ताकि चीते के शरीर का तापमान संतुलित रहे और उसे पर बेहोशी के इंजेक्शन का ज्यादा असर न हो. इसके बाद कूनो नेशनल पार्क की टीम चीते को लेकर रवाना हो गई. फर्स्ट इंडिया न्यूज़ मने सबसे पहले चीते के मंडरायल पहुंचने और उसके ट्रेंकुलाइज किए जाने तक की खबर को प्रमुखता से एक्सक्लूसिवली दिखाया. इस पूरे ऑपरेशन की खास बात राजस्थान और मध्य प्रदेश के वन अधिकारियों के बीच बेहतर समन्वय रहा और मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक पवन उपाध्याय के सजक मॉनिटरिंग. 

आज की इस घटना में एक चर्चा जरूर वन्य जीव प्रेमियों के बीच छेड़ दी है. दरअसल 25 दिसंबर को कूनो नेशनल पार्क से एक चीता बारां जिले तक पहुंच गया था उसे ट्रेंकुलाइज करके वापस ले जाया गया. फिर आज एक और चीता करौली के मंडरायल पहुंचा. दरअसल यह सब वाइल्डलाइफ के पुराने नेचुरल माइग्रेटरी कॉरिडोर रहे हैं, जहां कभी वन्यजीवों का स्वच्छंद विचरण होता था. दूसरी खास बात यह है कि वन्य जीव विशेषज्ञ मानते हैं कि राजस्थान में भी चीतों के पुनर्वास के लिए मुफीद वातावरण है ऐसे में राजस्थान के वन विभाग को एनटीसीए व केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के साथ बातचीत करके मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व या बारां के शाहाबाद में चीतों को बसाने के प्रयास करने चाहिए.