VIDEO: गहलोत का देवदर्शन ! चुनावी साल में 'हिंदुत्व' के मुद्दे पर टक्कर लेने की तैयारी, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: घोषणाओं का पिटारा खोलने के बाद अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चुनावी साल में भाजपा के हिंदुत्व कार्ड का काट ढूंढने में जुट गए हैं. भाजपा द्वारा चुनावी में हिंदुत्व के नाम पर हार्ड कार्ड खेलने की संभावना को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी अब उसी अंदाज में जवाब देने लगे है. पिछले एक साल में प्रदेश का शायद ही कोई ऐसा हिंदु धार्मिक स्थल होगा, जहां पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नहीं गए.  मुख्यमंत्री आवास पर इस वर्ष रामनवमी पर यह मंत्रोच्चार, हवन और आरती की तस्वीरें सामान्य नहीं, खास है.

सूबे के मुखिया यानि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद अपने परिवारजन व ईष्ट मित्रों के साथ पूजा-अर्चना में जुटे है. रामनवमी हो या फिर नवरात्र या फिर शिवरात्रि पूरे देश में विशेष पूजा होती है, लेकिन बात जब कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री की हो, तो चर्चा होना स्वभाविक है. यह चुनावी साल है. बजट में तो पिछले दो साल से बम्पर घोषणाएं हो रही है, घोषणाओं का लाभ जनता तक पहुंचाने के लिए महंगाई राहत कैंप भी लगाए जा रहे है, लेकिन असली बात चुनावी मुद्दे की है. कांग्रेस को लगता है कि भाजपा एक बार फिर हिंदुत्व का हार्ड कार्ड खेलकर राजस्थान के चुनावी समर में कूदेगी, तो क्यों न इस कार्ड का काट ढूंढ ही लिया जाए. इसका जिम्मा अब खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ही उठा लिया है.

अब चूंकि बात हिंदु व हिंदुत्व की चल ही पड़ी है, तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी भाजपा को इस कार्ड पर खेलने का मौका नहीं देना चाहते. पिछले एक साल की बात करें, तो प्रदेश का शायद ही ऐसा कोई प्रमुख हिंदु धार्मिक स्थल होगा, जहां प्रदेश के मुखिया ने शीश न झुकाया हो. पिछले साल इसी जून महीने की 25 तारीख को मुख्यमंत्री गहलोत शेखावाटी के प्रमुख धार्मिक स्थल सालासर पहुंचे. इसके बाद सिलसिला लगातार चल रहा है. जयपुर के आराध्य गोविंद देवजी की जब पिछले साल 20 अगस्त को शोभायात्रा निकाली गई, तो मुख्यमंत्री भी चौपड़ पर पहुंचकर उसमें शामिल हुए. दो सितंबर को रामदेवरा में रामदेवजी की समाधि पर पहुंचकर एक पंथ दो काज कर दिए. 25 सितंबर की सियासी घटना के दिन जैसलमेर की तनोट यात्रा तो आपके ध्यान होगी ही. जयपुर से सीधे तनोट माता पहुंचकर पूजा-अर्चना की और सीधे जयपुर लौट आए. मेवाड़ में घर-घर के आराध्य नाथद्वारा के श्रीनाथजी के दर्शन करके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा से पहले आशीर्वाद ले लिया. वागड़ क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक स्थल मानगढ़ धाम व बेणेश्वर धाम पहुंचकर भी मुख्यमंत्री ने वागड़ की जनता का प्यार हासिल किया.

सीएम अशोक गहलोत का देवदर्शन !:
-पूजा-पाठ व देव-दर्शन पर विशेष ध्यान
-कभी सालासर बालाजी, तो कभी नाथद्वारा पहुंचे गहलोत
-कभी जयपुर में गोविंददेवजी की शोभायात्रा में शामिल हुए
-तो कभी तनोट माता से लेकर त्रिपुरा सुंदरी तक दर्शन को पहुंचे
-रामदेवरा,, मानगढ़ धाम व पुष्कर में भी पहुंचे गहलोत
-खोले के हनुमानजी से लेकर जोधपुर में गणेशजी के दर्शन किए
-श्रावण व नवरात्र में मुख्यमंत्री आवास पर होती है विशेष पूजा
-वहीं गहलोत सरकार में देवस्थान विभाग में है खासा सक्रिय
-विभाग की मंत्री भी पदयात्राएं निकाल कर रही देवदर्शन
-कभी रामकथा का आयोजन, तो कभी सामूहिक हनुमान चालीसा
-चुनावी साल में 'कांग्रेस सरकार' का यह सॉफ्ट हिंदुत्व चर्चा में
-BJP को उसी की भाषा में जवाब देने में जुटे गहलोत

एक नवंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उसी पुष्कर घाट पर पहुंचे, जहां पर राहुल गांधी ने सबसे पहले अपना गौत्र बताकर देश में सुर्खियां बटोरी थी. महज संयोग ही है या कुछ और. मुख्यमंत्री गहलोत पहले नाथद्वारा पहुंचे. उसके कुछ दिनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वहां आए. मुख्यमंत्री पिछले साल पुष्कर गए थे, इस साल प्रधानमंत्री ने राजस्थान का चुनावी शंखनाद इसी पुष्कर की धरती से किया. नागौर के रेण में रामस्नेही संप्रदाय की प्रधान पीठ रामधाम में दर्शन करके मुख्यमंत्री ने इस संप्रदाय के प्रति अपना स्नेह दिखाया. अब ताजा चर्चा बांसवाड़ा के प्रसिद्ध त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में दर्शन की है. यह वही मंदिर है, जिसके प्रति पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की गहरी आस्था है. राजे के कार्यकाल में इस मंदिर का कायाकल्प हुआ था. सीएम गहलोत तो एक कदम आगे निकले. न केवल शाम की पूजा की, बल्कि रात्रि विश्राम भी इसी पवित्र भूमि पर किया. 

ऐसा नहीं है कि मुख्यमंत्री गहलोत सिर्फ देवदर्शन ही कर रहे है, बल्कि अपनी सरकार के देवस्थान विभाग को भी एक्टिव मोड में रखा है. कांग्रेस सरकारों के इतिहास में पहली बार है, जब देवस्थान विभाग व उसकी मंत्री सक्रिय है. देवस्थान विभाग ने इस कार्यकाल में रामनवमी पर मंदिरों में रामकथा करवाई, तो हनुमान जन्मोत्सव पर सुंदरकांड पाठ करवाए. सावन के महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक कराया. अब अब सरकारी मंदिरों में ऊं लिखे पीले ध्वज लहरा रहे हैं. सरकार ने 593 मंदिरों के लिए 593 लाख का बजट भी दिया है. पुजारियों का मानदेय 3 हजार से बढाकर 5 हजार रुपए किया. इतना ही नहीं प्रदेश के बुजुर्गों को धार्मिक यात्राएं कराई जा रही है. विभाग की मंत्री कहती है कि भाजपा सिर्फ भडकाती है, हम काम करते है.

देवस्थान विभाग के माध्यम से कराए विभिन्न आयोजन:
-रामनवमी पर मंदिरों में रामकथा करवाई
-हनुमान जन्मोत्सव पर सुंदरकांड पाठ करवाए
-सावन के महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक कराया
-अब सरकारी मंदिरों में ऊं लिखे पीले ध्वज लहरा रहे हैं
-593 मंदिरों के लिए 593 लाख का बजट दिया सीएम गहलोत ने
-पुजारियों का मानदेय 3 हजार से बढाकर 5 हजार रुपए किया

गहलोत सरकार द्वारा प्रदेश के बुजुर्गों को धार्मिक यात्राएं कराई जा रही है. जयपुर के आराध्य गोविन्द देवजी मंदिर को महाकाल मंदिर की तर्ज पर विकसित करने का फैसला किया है. जब मुद्दा चुनावी हो तो मंदिर के साथ गाय की भी बात होगी. मुख्यमंत्री गहलोत का दावा है कि  4 साल में गौसेवा पर 2 हजार 500 करोड़ रुपए खर्च किया गया है. इसके साथ ही देश में राजस्थान की सरकार ने पहली बार गौशाला के लिए 6 महीने के बजट को बढ़ाकर 9 महीने का कर दिया.