जयपुर: राजधानी में दहेज उत्पीड़न के मामलो में बेहताशा वृद्वि हुई है. या फिर यू कहे की पति पत्नी के बीच रिश्ते अब दरकने लगे है. जंहा कोरोना काल से पहले शहर के महिला थानो में कुछ ही मामले दर्ज होते थे. लेकिन कोरोन के बाद चारो महिला थानो में दहेज के मामले बढते ही जा रहे है. हालात यह है की जनवरी से अब तक शहर के महिला थानो में दहेज उत्पीडन के मामले 700 पार तक पहुंच गए है. ये तो तब है जब पुलिस पहले पति पत्नी की काउन्सिंल करती है. फिर भी मतभेद होने पर मामला दर्ज किया जाता है.
शहर में दरकते रिश्ते
विवाह के कई सालो बाद भी अलग हो रहे पति पत्नी
घट रही पति पत्नी की संघर्ष क्षमता
जयपुर पुलिस कर रही इन रिश्तो को बचाने का प्रयास
इसके बावजूद भी पारिवारिक कोर्ट में आ रही तलाक की हजारो अर्जियां
हल्की फुल्की तूतू मेंमें में भी अब लोग पहुंच रहे थाने में
समय रहते इन रिश्तो को बचाने की है जरूरत
प्रदेश की राजधानी में पति पत्नी के रिेश्ते अब दरकने लगे है. रोजाना शहर के महिला थानो में कई ऐसे केस पहुंच रहे है. जिन्होने विवाह के बाद कई साल तो साथ गुजारे लेकिन अब पत्नी या पति अलग होना चाह रहे है. और जब ये होता है तो पत्नी दहेज उत्पीडन का आरोप लेकर थाने पहुंच जाती है. और पति, ससुर और पूरे ससुरालपक्ष पर दहेज मांगने का आरोप लगाती है. ऐसे में पुलिस पहले तो पत्नी पति को साथ बैठाकर उनकी काउंसिंलिग करते है. फिर भी नही मानने पर एडिशल एसपी स्तर का अधिकारी वर और वधू पक्ष के परिवार से बाते करते है. जिससे की दोनेा का घर बसा रहे. फिर भी सफलता नही मिलने पर इन मामलो में एफआईआर दर्ज की जाती है. पुलिस अधिकारियों की माने तो पुलिस हर सम्भव कोशिश करती है. जिससे की पति पत्नी का घर बसा रहे और कोई कानून कार्रवाही ना हो सके इसके बावजूद भी अगर पति पत्नी साथ रहने की बात को स्वीकार नही करते. तब जाकर एफआईआर दर्ज की जाती है. और अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाती है.
ऐसा नही है की दहेज उत्पीडन की एफआईआर दर्ज होने के बाद पति पत्नी का घर बचाने का प्रयास पुलिस छोड देती है..बल्कि आखिर तक पुलिस अधिकरी यही चाहते है की किसी भी सूरत में अगर पति पत्नी मामला दर्ज होने के बाद भी एक दूसरे के साथ रहना स्वीकार कर लेते है तो कोर्ट में राजीनामे का शपथ पत्र पेश कर मामले में कार्रवाई स्थगित करवा दी जाती है.
उधर इन मामलो में दूसरे एंगल से सोचे और विधि विशेषज्ञो की माने तो विधि विशेषज्ञों का मानना है कि इसका पूरा दारोमदार शिक्षित कामकाजी महिलाओं पर है यह सच है कि टकराव का कारण धैर्य की कमी और अहंकार होता है. इसी कारण कई बार तलाक की नौबत आ जाती है अपने अधिकारों के प्रति भी वे बहुत अधिक जागरूक हुई हैं और अब अपनी गरिमा से वे घटिया समझौते नहीं करना चाहती हैं पति परमेश्वर और सात जन्मों के साथ जैसे जुमले अब उन्हें रास नहीं आते अपने स्वतंत्र अस्तित्व कैरियर और गरिमा को बनाए रखने के प्रति वे सजग हैं पर इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि वह पति के साथ रहना नहीं चाहती वे दांपत्य तो चाहती हैं पर अत्याचार सहकर नहीं सच्ची सहभागिता तभी संभव है जब एक दूसरे के प्रति प्रेम व विश्वास हो
जब हम नजदीक से देखते हैं तो पाते हैं कि ज्यादातर शादियां बोझिल हैं बस निभाई चली जा रही है बहुत सी शादियां बच्चों का मुंह देखकर नेम रही है कुछ परिवार के समाज के डर से अलग नहीं हो पाते हैं तो कुछ में इतनी हिम्मत नहीं होती या फिर आर्थिक मजबूरियां होती हैं इसके बावजूद भी दिन-प्रतिदिन दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा सहित तलाक के मुकदमों में दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है. पति पत्नी में झगड़े के कारण पिछले एक दशक में देश भर में तलाक दर्द 3 गुना हो गई है दिल्ली को तो तलाक की राजधानी कहा जाने लगा है राजस्थान की राजधानी जयपुर में 5 पारिवारिक न्यायालय कार्यरत हैं इनमें वर्तमान में 10,000 से अधिक मुकदमें लंबित हैं. जयपुर जिले में पांच पारिवारिक न्यायालय कार्यरत हैं जिनमें हर महीने करीब 150 से 175 तलाक होते हैं और करीब 500 से अधिक नए मुकदमे दर्ज होते हैं.
पुलिस अपनी जगह सही है. कोर्ट कचहरी अपनी जगह सही है. तो फिर इन दरकते रिश्तो की असलियत क्या है. सहनशीलता और संर्घष करने की शक्ति की कमी होने के चलते ही पति पत्नी का रिश्ता टूट रहा है. ऐसे में एक बार फिर जरूरत है संयुक्त परिवार प्रणाली को याद करने की..जिससे की टूटती जोडियो को बनाया रखा जा सके.
... फर्स्ट इंडिया के लिए सत्यनारायण शर्मा के साथ कमलकांत व्यास की रिपोर्ट, जयपुर