Jaisalmer News: हड़ताल के बीच हमदर्द बने चिकित्सक, निजी अस्पताल ने निःशुल्क इलाज कर मरीज को दिया जीवनदान

जैसलमेर: राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में निजी अस्पताल संचालक व डॉक्टर हड़ताल पर है. पिछले लंबे समय से डॉक्टर बिल निरस्त करने की जिद पर अड़े हैं. इसके चलते स्वास्थ्य सेवाओं का बहिष्कार कर रखा है. खुईयाला निवासी गोरखाराम की दोनों किडनियां खराब है. लम्बे अर्से से डायलिसिस चल रहा है. सप्ताह में दो बार डायलिसिस की जरूरत पड़ती है. उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई. उसकी पत्नी दुर्गा व ससुर चेतनराम उसे माहेश्वरी अस्पताल लेकर गए. हड़ताल के चलते अस्पताल खाली था.

अस्पताल के प्रबंधक डॉ. वी.डी. जेठा ने जब गोरखाराम की जांच की तो उन्हें लगा कि इसके पास बिल्कुल समय नहीं है. यदि डायलिसिस नहीं मिला तो जान जा सकती है. चिरंजीवी योजना का बहिष्कार चल रहा है तो उन्होंने गरीब परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अपने ट्रस्ट के खर्च से ही उसका डायलिसिस करने का निर्णय लिया. तुरंत इलाज शुरू किया और गोरखाराम की जिंदगी बचा ली. इधर, छप्पर पाड़ा निवासी राणाराम जब माहेश्वरी अस्पताल पहुंचा तो उसका शुगर लेवल 550 था, कुछ भी हो सकता था. अस्पताल प्रबंधन ने उसे भी भर्ती कर उपचार शुरू कर दिया. 18 मार्च से निजी अस्पताल बंद है. 

जैसलमेर में डायलिसिस की सुविधा सरकारी अस्पताल व माहेश्वरी अस्पताल में ही:
जैसलमेर में डायलिसिस की सुविधा सरकारी अस्पताल व माहेश्वरी अस्पताल में ही उपलब्ध है. चिरंजीव योजना के तहत लोगों को निशुल्क सुविधा मिल रही है. हड़ताल के दौरान मरीज रमेश कुमार को प्रबंधन ने निशुल्क डायलिसिस का मना किया तो रमेश के परिजनों ने बताया कि वे बहुत गरीब है और पैसे खर्च करके डायलिसिस नहीं करवा सकते. वहां मौजूद जगदीश राठी जो कि डॉ. वी.डी. जेठा के रिश्तेदार भी है, उन्होंने कहा कि मेरी तरफ से गरीब लोगों को डायलिसिस की सुविधा दी जाए. करीब तीन रोगियों को उनके खर्च पर सुविधा दी गई. बाद में डॉ. जेठा ने ट्रस्ट की सहमति से निर्णय लिया कि क्यों न गरीब लोगों का खर्च माहेश्वरी समिति ही उठा ले. ऐसे करके करीब 16 डायलिसिस समिति ने अपने खर्च पर कर दिए. जिससे कइयों की जान बच गई.