मिशन चंद्रयान-3 आज होगा लॉन्च, जानें कैसे काम करता हैं रॉकेट और क्यों खतरनाक हैं लैंडिंग

मिशन चंद्रयान-3 आज होगा लॉन्च, जानें कैसे काम करता हैं रॉकेट और क्यों खतरनाक हैं लैंडिंग

नई दिल्लीः भारत का तीसरा मून मिशन चंद्रयान-3 आज लॉन्च होने वाला हैं. इसे लेकर ISRO की तरफ से पूरी तैयारी कर ली गई है और अब लॉन्चिंग की बारी है. चंद्रयान-3 को आज दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा. इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़ा जाएगा.

इस बार भारत की कोशिश हैं कि इसे रोवर की सफलतापूर्वक चांद पर लैंडिंग कराई जाए. अगर भारत ऐसा करने में कामयाब हो जाता है को तो वो अमेरिका और चीन जैसे देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा. हालांकि, दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर उतारने वाला भारत पहला देश होगा. आजतक किसी भी देश ने दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर नहीं उतारा है. तो आइये उससे पहले समझते हैं. कि आखिर मिशन चंद्रयान-3 क्या हैं.

इसरो इससे पहले साल 2008 में चंद्रयान-1 और 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च कर चुका है. चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था. चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था. चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर के साथ-साथ लैंडर और रोवर भी थे. चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं होगा, सिर्फ लैंडर और रोवर ही रहेंग. इसरो ने इस बार भी लैंडर का नाम 'विक्रम' और रोवर का 'प्रज्ञान' रखा है. चंद्रयान-2 में भी लैंडर और रोवर के यही नाम थे. 

लेकिन सभी के मन में एक ही सवाल हैं कि आज छोड़े जाने वाला चंद्रयान-3 कब लैंडिंग करेगा. तो बता दें इसरो के मुताबिक चंद्रयान आज से करीब 40 दिन बाद ये अपनी कक्षा में पहुंचेगा और चांद पर चक्कर लगाने के बाद रोवर लैंड होगा. 

धरती से चांद की कुल दूरी 3.84 लाख किमीः
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बाद तीन स्टेप होंगे. पहला प्रपल्शन मॉड्यूल होगा, जिसमें लैंडर रोवर को चंद्रमा की ऑर्बिट में 100 km ऊपर छोड़ेगा. इसके बाद दूसरा लैंडर मॉड्यूल वाला पार्ट होगा, जिसमें रोवर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारेगा. इसके बाद आखिरी स्टेप रोवर होगा, इसमें रोवर चांद पर उतरकर उसकी साइंटिफिक स्टडी करेगा. 

धरती से चांद की कुल दूरी 3.84 लाख km की है. ऐसे में रॉकेट का सफर कुल 36 हजार किमी का होगा. रॉकेट रोवर को पृथ्वी के बाहरी ऑर्बिट तक ले जाएगा. इसमें करीब 16 मिनट लगेंगे. बाहरी ऑर्बिट से बाद का सफर प्रोपल्शन मॉड्यूल से चांद के ऑर्बिट में पहुंचकर कई स्टेज में ऑर्बिट घटाएगा. 100 km के ऑर्बिट में पहुंचने पर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग अंत में लैंडर चांद पर उतरेगा.