VIDEO: 700 करोड़ रुपए आमदनी वाली जमीन को लेकर अनदेखी, करीब 600 किसान योजना के लिए दे चुके हैं अपनी जमीन, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: जयपुर विकास प्राधिकरण के खजाने में 700 करोड रुपए देने वाली मौके की योजना पर पिछले कांग्रेस राज में कोई काम नहीं हुआ. जेडीए के जिम्मेदार अधिकारी योजना को लेकर लापरवाह हैं. नतीजन योजना के लिए जमीन गवां देने वाले किसानों को मुआवजे का लंबे समय से इंतजार है. 

जयपुर की मुख्य सीकर रोड पर ग्राम नींदड़ में जेडीए ने 14 साल पहले यहां बड़ी आवासीय योजना प्रस्तावित की थी कई किसानों से योजना के नाम पर उनकी जमीन भी ले ली गई ना तो योजना पूरी तरह धरातल पर उतर पाई और ना ही किसानों को अपनी जमीन देने के बावजूद इतने सालों में अब तक मुआवजा मिल पाया यह योजना इतनी बड़ी है और यहां के मौजूदा बाजार भाव की बात करें तो इस अकेली योजना से जेडीए को करीब 700 करोड रुपए का राजस्व मिल सकता है. चार साल पहले किसानों के एक धड़े ने अधिक मुआवजे की मांग पर आंदोलन किया था. उसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया. आपको सबसे पहले योजना की जानकारी देते हैं.

-यह नींदड़ आवासीय योजना 327 हैक्टेयर में प्रस्तावित है 

-करीब 286 हेक्टेयर भूमि अवाप्ति के लिए पहली अधिसूचना 4 जनवरी 2010 को जारी की गयी थी

-शेष 41.45 हैक्टेयर भूमि जविप्रा की स्वंय की भूमि है

-भूमि अवाप्ति का अवार्ड दिनांक 31 मई  2013 को जारी किया गया 

-41.27 हैक्टेयर भूमि का नकद मुआवजा सिविल कोर्ट में जमा कराया जा चुका है

-अवाप्ति के खिलाफ काश्तकारों की ओर से दायर याचिकाओं को हाईकोर्ट खारिज कर चुका है

-सुप्रीम कोर्ट ने भी 4 सितम्बर 2018 के अपने आदेश में अवाप्ति की प्रक्रिया को सही माना है

-करीब 600 खातेदार जेडीए के पक्ष में अपनी 122 हैक्टेयर भूमि समर्पित कर चुके हैं

योजना से प्रभावित करीब 600 खातेदार अपनी खुद की जमीन जेडीए को दे चुके हैं. इनमें से कई खातेदार पिछले 8 से 10 साल से अपनी जमीन देने के बदले मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं. जल्द मुआवजा देने की मांग को लेकर नींदड़ आरक्षण पत्रधारी किसान संघर्ष समिति की ओर से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को ज्ञापन भी दिया गया.

-जमीन देने वाले करीब 450 खातेदारों को जेडीए आरक्षण पत्र जारी कर चुका है

-इन खातेदारों को 20% आवासीय और पांच प्रतिशत व्यावसायिक भूमि देने का आरक्षण पत्र दे चुका है

-27 नवंबर 2017 को जेडीए ने करीब 90 खातेदारों को भूखंड आवंटित किए थे

-इन किसानों की मांग थी कि हम अपनी जमीन दे चुके हैं

-हमारे पास रहने के लिए कोई जमीन नहीं बची है 

-ऐसे में मकान बनाने के लिए जेडीए ने लॉटरी के माध्यम से भूखंडों का आवंटन किया था

-लेकिन पूरा 25% विकसित भूखंड का मुआवजा नहीं दिया गया था

-करीब डेढ़ सौ खातेदार ऐसे हैं जिन्होंने वर्ष 2020 तक जेडीए को अपनी जमीन समर्पित कर दी थी

-लेकिन जेडीए ने इन्हें 4 साल बीतने के बावजूद आरक्षण पत्र जारी नहीं किया है

-इस तरह करीब 600 खातेदार या किसान योजना के लिए अपनी जमीन दे चुके हैं

-लेकिन जेडीए ने इन्हें विकसित भूखंड का पूरा मुआवजा अब तक नहीं दिया है

-जेडीए 1 जनवरी 2020 को यहां काम शुरू किया था 

-लेकिन किसानों के एक  धड़े ने अधिक मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया

-बाद में इन किसानों की मांग को लेकर जेडीए और राज्य सरकार के स्तर पर बैठक भी हुई

-इसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया

इस मौके की भूमि पर प्रस्तावित यह नींदड़ आवासीय योजना जेडीए का खजाना भर भर सकती है. आपको बताते हैं कि किस तरह से इस योजना के चलते जेडीए के खजाने में धन वर्षा हो सकती है.

यह योजना 14 नंबर की पुलिया से मात्र डेढ़ से 2 किलोमीटर पर है

योजना की भूमि सीकर रोड से बिल्कुल लगती हुई है

यहां आवासीय और व्यावसायिक बाजार भाव 40 हजार से ₹1 लाख रुपए प्रति वर्ग गज तक हैं

इस कुल योजना का 40 फीसदी हिस्सा सुविधा क्षेत्र और सड़क के लिए प्रस्तावित है

25 फ़ीसदी जमीन किसानों को बतौर मुआवजे दी जानी है

इस तरह जेडीए के खुद के पास 35 फ़ीसदी जमीन बचेगी

अगर यहां बाजार भाव औसतन ₹50 हजार प्रति वर्ग गज माने

तो जेडीए को करीब 700 करोड रुपए का राजस्व मिल सकता है

साल पहले लाई गई इस योजना को लेकर अगर सार्थक प्रयास किए होते तो इस योजना ने बहुत पहले ही मूर्त रूप ले लिया होता और जेडीए को भी अच्छा खासा राजस्व मिल जाता. मुआवजे का इंतजार कर रहे किसानों को अब प्रदेश की नई सरकार से बड़ी उम्मीदें हैं. उन्हें उम्मीद है कि मौजूदा सरकार इस योजना को जरूर साकार करेगी.