विधानसभा चुनाव में धन-बल का दुरुपयोग रोकने के लिए निर्वाचन आयोग के प्रयासों से नए कीर्तिमान हुए स्थापित, अब तक 690 करोड़ की नकदी और सामग्री जब्त

जयपुर: विधानसभा चुनाव में धन-बल का दुरुपयोग रोकने के लिए भारत निर्वाचन आयोग के प्रयासों के तहत चुनाव खर्च निगरानी के नए कीर्तिमान स्थापित हुए हैं. आचार संहिता के दौरान निर्वाचन विभाग के निर्देश पर गठित एफएस, एसएसटी एवं अन्य एन्फोर्समेंट एजेंसियों की ओर से कड़ी निगरानी और लगातार प्रयासों से राज्य में भारी मात्रा में अवैध नकदी अवैध शराब और अन्य सामग्री जब्त की गई.

मतदान दिवस पर भी निर्वाचन विभाग और अन्य एजेंसियां अवैध नकदी और अन्य वस्तुओं के परिवहन पर रोक के लिए कड़ी नजर रखेंगी ताकि मतदाताओं को प्रलोभन के जरिए प्रभावित नहीं किया जा सके. जब्ती के साथ-साथ निर्वाचन से जुड़े अधिकारी राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा चुनाव प्रचार में किए जाने वाले खर्च पर भी बारीक नजर बनाए हुए हैं. 

मुख्य निर्वाचन अधिकारी  प्रवीण गुप्ता ने बताया कि विधानसभा आम चुनाव-2018 की तुलना में इस वर्ष जब्ती का आंकड़ा 970 प्रतिशत बढ़ कर रिकार्ड स्तर पर पहुंच चुका है. 

- राजस्थान विधानसभा आम चुनाव- 2018 के दौरान आदर्श आचार संहिता की अवधि में कुल 70.8 करोड़ रुपए मूल्य की जब्ती की गई थी. 

व्यापक स्तर पर चौकसी, पड़ोसी राज्यों से समन्वय और इन्फोर्समेंट एजेंसिंयों के बीच परस्पर तालमेल से राजस्थान विधानसभा आम चुनाव में अवैध नकदी और वस्तुओं के परिवहन और वितरण को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सका है. 

24 नवम्बर, 2023 तक राजस्थान में 690 करोड़ रुपए मूल्य की जब्ती की गई है, जिसमें 95.79 करोड़ रुपए की नकदी, 55.18 करोड़ रुपए की शराब, 93.71 करोड़ रुपए मूल्य की ड्रग्स, 74.63 करोड़ रुपए मूल्य की बहुमूल्य धातुएं और 368.53 करोड़ रुपए से अधिक की फ्रीबीज एवं अन्य वस्तुएं शामिल हैं.   

आचार संहिता अवधि में अब तक राजस्थान पुलिस 429.88 करोड़ रुपए मूल्य की जब्ती कर चुकी है. आयकर विभाग ने 72.50 करोड़ रुपए मूल्य की नकदी और सामग्री जब्त की है, जबकि राज्य आबकारी विभाग, राज्य जीएसटी विभाग, केन्द्रीय जीएसटी एवं नारकोटिक्स ब्यूरो द्वारा क्रमशः 17.99 करोड़ रुपए, 116.16 करोड़, 32.67 करोड़ और 4.98 करोड़ रुपए मूल्य की जब्ती की गई है. 

चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से कई महीने पहले से ही प्रवर्तन एजेंसियों ने अपनी निगरानी तेज कर दी थी. चुनाव आयोग की ओर से विधानसभा चुनाव प्रक्रिया के दौरान निर्वाचन व्यय पर निगरानी रखने के लिए 70 व्यय पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए हैं. साथ ही, संदिग्ध विधानसभा क्षेत्रों को व्यय की दृष्टि से संवेदनशील चिन्हित कर इन पर कड़ी नजर भी रखी जा रही है.