VIDEO: सेहत के सौगादरों पर अब सख्त कानूनी प्रहार ! शुद्ध के लिए युद्ध अभियान की कार्रवाईयों का पोस्टमार्टम, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की निरोगी राजस्थान की सोच को साकार करने के लिए मिलावटियों पर अब कानूनी प्रहार सख्ती से शुरू हो गया है. शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत अभी तक कार्रवाईयां सैम्पल उठाने तक सिमटी रहती थी, लेकिन पिछले एक सालों में इन कार्रवाईयों के प्रकरण न्यायालय में पेश करने में रिकॉर्ड तेजी आई है.पिछले पांच सालों की बात की जाए तो वर्ष 2022 में अब तक के सर्वाधिक चालान कोर्ट में पेश कर दोषियों पर कानूनी कार्रवाई की गई है.आखिर क्या है विभाग के एक्शन की बानगी और फील्ड में क्या आएगा इफेक्ट, देखिए ये खास रिपोर्ट

चिकित्सा विभाग वैसे तो हर साल शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलाता है.इस अभियान में मिलावट रोकने का दावा तो किया जाता है, लेकिन सच्चाई ये है कि कार्रवाईयों से इतर मिलावटखोर नए-नए "हाईटैक" तरीकों से जनता को बेखोफ जहर बेच रहे है.इसके साथ ही पिछले सालों में कानूनी कार्रवाईयों की कछुआ चाल भी मिलावटियों के हौसले बुलन्द कर रही थी.लेकिन सीएम गहलोत के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि नियंत्रण आयुक्तालय बनाने के फैसले के बाद कुछ तस्वीर बदल रही है.डेडिकेटेड प्रशासनिक मुखिया मिलने के साथ ही प्रदेश में न सिर्फ कार्रवाईयां तेज हुई है, बल्कि पिछले एक साल में रिकॉर्ड तोड चालान कोर्ट में पेश कर मिलावटखोरों पर कानूनी शिकंजा कसा गया है.खुद सूबे के चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा मानने है कि जब तक सख्त कानूनी कार्रवाई नहीं की जाए, तब तक मिलावट को रोकना मुश्किल है.

मिलावटियों पर कार्रवाई की बानगी: 
वर्ष : निरीक्षण : नमूने उठाए : सब स्टेण्डर्ड : मिसब्राण्ड : अनसेफ : एडीएम कोर्ट में चालान: सीजेएम में चालान

2019 : : 8396 :: 6790 :: 1104 :: 510 ::175 :: 1343 :: 137
2020 :: 8766 ::7445 :: 1230 :: 551 :: 145 :: 1515 ::150
2021 ::  6664 :: 6403 ::1113  :: 457 ::106 :::: 1774 ::115
2022 :: 13426 :: 14051 :: 2439 :: 1049 :: 282 : 2970 :: 118

खाद्य सुरक्षा एवं औषधि नियंत्रण आयुक्तालय की स्थापना के साथ ही न सिर्फ कोर्ट में चालान पेश करने विशेष फोकस किया है, बल्कि कोर्ट में इन प्रकरणों का निस्तारण भी कराने में सफलता पाई है.पिछले एक साल की बात की जाए तो एडीएम कोर्ट में 2133 और सीजेएम कोर्ट में 32 मामलों में निर्णय दिया गया, जो पिछले पांच सालों में सबसे अधिक है.इस दौरान मिलावटियों पर 8.47 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया और 28 लोगों को सजा भी हुई है. खाद्य पदार्थों में मिलावट हमारे समाज के लिए कलक बन गया है.बाजार में कुछ भी खाद्य सामग्री खरीदने जाए तो जेहन में एक बात जरूर आती है कि क्या यह शुद्ध है.ये मौत का कारोबार इसलिए ही फैल रहा है, क्योंकि मिलावटियों पर सख्त कानूनी कार्रवाईयां नहीं हो रही थी.खैर, देर से ही सही, लेकिन अब उम्मीद ये है कि मिलावटियों पर कानूनी शिकंजा कसने की रफ्तार में तेजी के पॉजिटिव इफेक्ट जरूर आएंगे.मिलावटखोरों के हौसले टूटेंगे ताकि आमजन को शुद्ध से समझौता नहीं करना पड़े.