प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोले, स्वामी दयानंद सरस्वती जी का दिखाया मार्ग अमृतकाल में करोड़ों लोगों में कर रहा है आशा का संचार

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश स्वामी दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जन्मजयंती मना रहा है. मेरी इच्छा थी कि मैं स्वयं स्वामी जी की जन्मभूमि टंकारा पहुंचता, लेकिन ये संभव नहीं हो पाया.  मैं मन से हृदय से आप सब के बीच ही हूं. मेरा सौभाग्य रहा कि स्वामी जी की जन्मभूमि गुजरात में मुझे जन्म मिला. उनकी कर्मभूमि हरियाणा को भी मुझे जानने, समझने और कार्य करने का अवसर मिला. स्वाभाविक तौर पर मेरे जीवन में उनका एक अलग प्रभाव है, उनकी एक अलग भूमिका है. मैं आज इस अवसर पर स्वामी दयानंद सरस्वती जी को प्रणाम करता हूं, उन्हें नमन करता हूं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी सामाजिक कुरीतियों को मोहरा बनाकर अंग्रेजी हुकूमत हमें नीचा दिखाने की कोशिश करती थी. सामाजिक बदलाव का हवाला देकर तब कुछ लोगों द्वारा अंग्रेजी राज को सही ठहराया जाता था. ऐसे कालखंड में स्वामी दयानंद सरस्वती जी के पदार्पण से इन सब साजिशों को गहरा धक्का लगा. स्वामी दयानंद सरस्वती जी केवल एक वैदिक ऋषि ही नहीं थे, वो एक राष्ट्र चेतना के ऋषि भी थे. स्वामी दयानंद जी के जन्म के 200 वर्ष का ये पड़ाव उस समय आया है, जब भारत अपने अमृतकाल के प्रारंभिक वर्षों में है. स्वामी दयानंद जी भारत के उज्ज्वल भविष्य का सपना देखने वाले संत थे.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि स्वामी जी के मन में भारत को लेकर जो विश्वास था, अमृतकाल में हमें उसी विश्वास को अपने आत्मविश्वास में बदलना होगा. महर्षि दयानन्द ने अपने दौर में महिलाओं के अधिकारों और उनकी भागीदारी की बात की थी. नई नीतियों के जरिए, ईमानदार कोशिशों के जरिए देश आज अपनी बेटियों को आगे बढ़ा रहा है. कुछ महीने पहले ही देश ने नारी शक्ति वंदन अभिनियम पास करके लोकसभा और विधानसभा में महिला आरक्षण सुनिश्चित किया है. देश के इन प्रयासों से जन-जन को जोड़ना, ये आज महर्षि को सच्ची श्रद्धांजलि होगी. इन सभी सामाजिक कार्यों के लिए आपके पास भारत सरकार के नवगठित युवा संगठन की शक्ति भी है. देश के इस सबसे बड़े और सबसे युवा संगठन का नाम MYBHARAT है. दयानंद सरस्वती जी के सभी अनुयायियों से मेरा आग्रह है कि वो डीएवी शैक्षिक नेटवर्क के सभी विद्यार्थियों को My Bharat से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करें.