4 हजार फीट की ऊंची अरावली पर्वत पर वागोर धुणी पर लगा श्रावण मास मेला, उमड़ा आस्था सैलाब

राजसमंद: अरावली की वादियों में राजसमंद जिले में पहाड़ी की चोटी पर स्थित वागोर धुणी बावजी स्थान पर श्रावण मास की द्वितीय पर मेला लगा. जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण पैदल पहाड़ी की चौटी पर पहुंचे.जहां पर जयकारों के साथ धुणी बावजी और आमज मां के दर्शन कर सुख समृद्धि की कामना की. गजपुर क्षेत्र की अरावली पर्वत शृखंला पर जमीन से 4 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित वागोर धुणी बावजी स्थान पर प्रति वर्ष श्रावण मास की द्वितीय पर मेला लगता है.

यह स्थान सुंखार, रिछेड़ और गजपुर के बीच अरावली की पर्वत शृखंला की चौटी पर स्थित है. यहां पर जाने में दो से ढ़ाई घंटे का समय लगता है.वागोर धुणी बावजी स्थान पर लगे मेले में गजपुर, सुखार, रिछेड़ तीनों पंचायत के आस-पास के बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचे. ग्रामीण बताते है कि यह स्थान 700 साल पुराना है.प्रतिवर्ष यहां पर मेला लगता है. साथ ही महाप्रसादी का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग पहुंचते है.

वागोर धुणी बावजी का स्थान जमीन लेवल से देखने पर पहाड़ की तिखी धार से दिखता है.मगर इस पहाड़ी की चौटी पर जमीन समतल है.यहां पर आने वाले लोग चारों तरफ पहाड़ों की हरियाली देख रोमांचित हो उठता है.यहां आने वाले लोगों वागोर धुणी बावजी और आमज मां के दर्शन कर यहां की पहाड़ियों का निहारते है.यहां पर आने वाले लोग पगडंडी के रास्ते से पैदल ही पहुंचते है.

अरावली की पर्वत माला पर घना जंगल होने के कारण लोग झुंड के रूप में जाते है क्योंकि यहां पर जंगली जानवरों का खतरा रहता है. मंदिर पर पहुंचने के लिए सिर्फ पगडंडी है, जिसके सहारे ग्रामीण मंदिर तक पहुंचते हैं और अपनी आस्था प्रकट करते हैं. वहीं पूरे रास्ते में पेयजल और बिजली का भी अभाव है हालांकि कुछ श्रद्धालु नहीं यहां पर सौर ऊर्जा से चलने वाली लाइट लगाई है, जिससे कि अब रास्ते में रोशनी और कुछ जगहों पर पानी की भी व्यवस्था की है.