भारत, नामीबिया के लिए वैश्विक मंच पर सहयोग करने का वक्त- एस जयशंकर

विंडहोक (नामीबिया): विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि उच्च ब्याज दरों के साथ ऋण संकट और तनावपूर्ण भू-राजनीतिक स्थितियों जैसे कारकों से पैदा हुए ‘बहुत चुनौतीपूर्ण’ अंतरराष्ट्रीय हालात के बीच भारत तथा नामीबिया जैसे देशों के लिए वैश्विक मंच पर सहयोग के लिए एक साथ मिलकर काम करने का वक्त आ गया है. जयशंकर ने नामीबिया के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री नेतुम्बो नंदी-नदैत्वाह के साथ यहां भारत और नामीबिया के बीच पहले संयुक्त सहयोग आयोग की बैठक के समापन के अवसर पर यह टिप्पणी की. बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने बढ़ती द्विपक्षीय साझेदारी की रूपरेखा पर चर्चा की, जिसमें ऊर्जा, बुनियादी ढांचा, वन्यजीव संरक्षण, व्यापार और निवेश, खाद्य सुरक्षा, डिजीटल, क्षमता निर्माण, स्वास्थ्य, रक्षा और कला, संस्कृति, विरासत जैसे क्षेत्रों के अलावा लोगों के बीच परस्पर संबध क्षेत्र शामिल हैं.

जयशंकर ने बैठक के बाद ट्वीट किया कि भारत और नामीबिया के बीच पहले संयुक्त सहयोग आयोग की बैठक संपन्न होने पर खुशी हुई. उन्होंने कहा कि भारतीयों के दिल-ओ-दिमाग में नामीबिया के लिए बहुत खास स्थान है. उन्होंने अपने शुरुआती संबोधन में कहा कि और इसलिए हमने नामीबिया की आजादी का समर्थन किया और हमें यह देखकर बहुत खुशी है कि नामीबिया ने राष्ट्रों के समुदाय में अपना उचित स्थान बनाया है तथा वह अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का गौरवशाली संरक्षक बन गया है. विदेश मंत्री ने कहा कि जब आप अपनी आजादी की 33वीं वर्षगांठ का जश्न मना रहे हैं तो मैं आपको बता दूं कि हम आपका गौरव साझा करते हैं और आपकी प्रगति तथा आपकी सफलता की सराहना करते हैं. उन्होंने कहा कि जब दोनों देशों की बैठक हो रही है तो वे दुनिया तथा उन चुनौतियों से बेखबर नहीं रह सकते जिनका विभिन्न मामलों में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था सामना कर रही है. जयशंकर ने कहा कि ये चुनौतियां लोगों की जिंदगियों पर असर डालती हैं. उन्होंने कहा किर दुनिया में पिछले तीन या चार सालों से जो हो रहा है, ग्लोबल साउथ खासतौर से उससे पीड़ित है. 

उन्होंने कहा कि महामारी के बाद उच्च ब्याज दरों के साथ ऋण संकट, तनावपूर्ण भू-राजनीतिक स्थितियों के अलावा जलवायु परिवर्तन की पारिस्थितिकी, आर्थिक और सामाजिक लागत ने स्वास्थ्य, आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां पैदा की हैं. मुझे लगता है कि इन सभी ने आज मिलकर वास्तव में एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण अंतरराष्ट्रीय स्थिति पैदा की है. उन्होंने कहा कि इसलिए यह वक्त हमारे जैसे देशों के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर सहयोग के लिए एक साथ मिलकर काम करने का है. जयशंकर ने ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, परिवहन और संपर्क, डिजिटल, औषधि (फार्मास्यूटिकल), खाद्य सुरक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और संस्कृति के क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि भारत की लगभग 400 कंपनियां नामीबिया में काम कर रही हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हम निश्चित तौर पर फिर से भारत द्वारा और अधिक निवेश, अधिक साझेदारियां, मजबूत कौशल साझेदारी देखेंगे. जयशंकर ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि ‘हमारी साझेदारी आज एक नए युग में प्रवेश कर रही है’ और वह इस पर उपमुख्यमंत्री के साथ मिलकर काम करने को लेकर उत्साहित हैं. 

विदेश मंत्री ने विंडहोक में सूचना प्रौद्योगिकी में भारत-नामीबिया उत्कृष्टता केंद्र के उद्घाटन में भी भाग लिया. उन्होंने ट्वीट किया कि डिजीटल अफ्रीका के साथ हमारी साझेदारी में यह केंद्र एक उल्लेखनीय योगदान है. यह नामीबिया की प्राथमिकताओं के अनुरूप है और अनुसंधान, नवोन्मेष, साइबर सुरक्षा तथा सुशासन में योगदान देगा. जयशंकर ने भारत के आर्थिक हितों को बढ़ाने तथा वास्तविक मित्रता बनाने के लिए नामीबिया में सक्रिय गुजरात के भारतीय हीरा व्यवसायों की भी प्रशंसा की. उन्होंने कहा, ‘‘नामीबिया में गुजरात के भारतीय हीरा व्यवसायों को सक्रिय देखकर अच्छा लगा. वे वास्तविक मित्रता बनाते हुए हमारे आर्थिक हितों को बढ़ा रहे हैं. नामीबिया सरकार स्थानीय अर्थव्यवस्था में उनके योगदान की सराहना करती है. सोर्स- भाषा