VIDEO: राजस्थान की सत्ता में महिलाओं की भागीदारी, पिछड़ेपन की दास्तां बयां कर रहे आंकड़े, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: साल 1952 से अब तक के राजस्थान के विधानसभा चुनाव में कुल महिला प्रत्याशियों के मुकाबले महज 18 प्रतिशत महिलाएं ही चुनाव जीत पाईं हैं. दूसरी ओर अब तक की कुल महिला प्रत्याशियों में से 64 प्रतिशत महिला प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो चुकी है. महिला प्रतिनिधित्व के मामले में आंकड़े पिछड़ेपन की दास्तां बयां कर रहे हैं. नारी शक्ति वंदन अधिनियम के जरिए महिला प्रतिनिधित्व बढ़ाने की कोशिशों के बीच 1952 से लेकर 2018 तक के राजस्थान के विधानसभा चुनाव के महिला प्रतिनिधित्व के आंकड़े बयां कर रहे हैं कि अब भी महिला जनप्रतिनिधि बनने की राह में कई रोडे हैं.

अब तक राजस्थान में विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की कुल संख्या 2294 में से महिला प्रत्याशियों की संख्या 1069 यानि 46.69% है.  लेकिन इनमें से महज जिसमें से 198 यानि 18.52% ही जीत पाईं जबकि 184 यानि 17% को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. सबसे अहम तथ्य यह है कि 1069 में से 689 यानि 64℅ महिला प्रत्याशियों की चुनाव में जमानत जब्त हुई है. 1990 और 1993 महिला जनप्रतिनिधित्व के लिए खराब सालों में से रहे. 1990 में 93 में से 72 यानि 77.41 प्रतिशत महिला प्रत्याशियों की और 1993 में 97 में से 73 यानि 75.25 प्रतिशत महिला प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई है. 

2018 के पिछले चुनाव में जमानत जब्ती वाली महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा 144 तक पहुंच गई जो कि कुल महिला प्रत्याशियों का 76 प्रतिशत है. 2008 में 154 में से 104 यानि 67 प्रतिशत महिलाओं की जमानत जब्त हुई है. 1952 में 4 में से एक भी महिला प्रत्याशी जीत नहीं पाईं,लेकिन एक भी महिला प्रत्याशी की जमानत जब्त नहीं हुई. 1972 में 17 महिला प्रत्याशी थीं जिनमें से 3 की ही यानि 17 प्रतिशत की ही जमानत जब्त हुई. 2008  और 2013 में सबसे ज्यादा 28-28 महिलाओं ने चुनाव जीता.

2008 के चुनाव में 154 महिला प्रत्याशी मैदान में उतरीं लेकिन इनमें से 104 महिलाओं की जमानत भी जब्त हुई. 2013 में 166 महिला प्रत्याशी थीं लेकिन उनमें केवल 28 महिलाएं ही जीतीं और 104 की जमानत जब्त हुई. 2008 और 2013 दोनों ही चुनाव में यह देखा गया कि 28-28 महिलाओं की जीत के साथ ही 104 महिला प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई है. यह ट्रेंड देखा गया कि 1998 तक महिला प्रत्याशियों की संख्या सौ से कम रही लेकिन 2003 के चुनाव में 108 महिलाएं प्रत्याशी बनीं जिनमें 12 महिलाएं ही चुनाव जीत सकीं और 76 महिला प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई.  इसके बाद से हर चुनाव में महिला प्रत्याशियों की संख्या सौ के पार ही रही और 2018 के पिछले चुनाव में तो यह संख्या 189 तक पहुंच गई.  

साल 1952 के आम चुनाव में हालांकि कोई महिला प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाईं लेकिन 1953 में हुए उपचुनाव में यशोदा देवी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतीं. उन्हें 14862 और कांग्रेस के नटवर लाल को 8451 वोट मिले और वे 6411 वोट से जीतीं. यह उपचुनाव एसएसपी के भेलजी का चुनाव अवैध घोषित होने के चलते हुआ था. यशोदा जहां पहली महिला विधायक थीं तो वहीं 1954 के एक उपचुनाव में जीतकर कमला बेनीवाल दूसरी महिला विधायक बनीं.