जयपुर: राजस्थान यूथ कांग्रेस में चुनाव परिणाम के बाद से ही खींचतान जारी है. तीन जिला अध्यक्षों को हटाने के आदेश के बाद अब यह विवाद खुलकर सामने आ गया है. संगठन के प्रदेश प्रभारी ने बाकायदा प्रदेशाध्य़क्ष को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है. साथ ही आगे से बिना प्रभारी और सहप्रभारी की जानकारी औऱ हस्ताक्षर के बिना कोई भी आदेश जारी नहीं करने का भी फरमान सुना दिया है.
कांग्रेस के अग्रिम संगठन यूथ कांग्रेस में इन दिनों ऑल इज़ वैल नहीं चल रहा. दरअसल संगठन चुनाव के परिणाम के बाद से ही टॉप तीन पदाधिकारियों में अनबन चल रही है. प्रदेशाध्यक्ष के साथ संगठन ने वोटों के हिसाब से दो कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष यशवीर सूरा औऱ सुधीन्द्र मूंड को बनाया. उसके बाद बाकायदा तीनों को अलग-अलग जिलों का प्रभार दे दिया गया. साथ ही संगठन के राष्ट्रीय नेतृत्व ने यह भी तय कर दिया कि कोई भी आदेश,बैठक औऱ अन्य फैसले तीनों की सहमति,मौजूदगी औऱ हस्ताक्षर से होंगे. लेकिन फिर भी तीनों पदाधिकारियों में आपस में पटरी नहीं बैठी बुधवार को तीन जिलाध्यक्षों के हटाने के प्रदेशाध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया के सिंगल हस्ताक्षर वाले आदेश से विवाद खुलकर सामने आ गया. दोनों कार्यकारी अध्यक्ष ने दिल्ली में संगठन को उनके आदेश नहीं मानने की शिकायत दर्ज कराई. उसके बाद राजस्थान प्रभारी मोहम्म शाहिद ने संगठन के ऑफिशियल वाट्सएप्प ग्रुप में नई गाइडलाइन जारी करने के साथ प्रदेशाध्यक्ष को नोटिस थमा डाला.
- प्रभारी मोहम्मद शाहिद ने नोटिस में लिखा
- गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के लिए आपको नोटिस दिया जाता है
- आगे से कोई भी आदेश प्रभारी-सहप्रभारी के हस्ताक्षर के बिना नहीं निकलेंगे
प्रदेशाध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया के अलावा एक औऱ पदाधिकारी अर्बब खान पठान को भी नोटिस जारी किया है. हालांकि पठान ने तो हाथों हाथ वाट्सएप ग्रुप में माफी मांगते हुए आगे से दोबारा ऐसा नहीं करने का बोल दिया. लेकिन वाट्सएप ग्रुप की चैटिंग वायरल होते ही संगठन में दिल्ली से लेकर हड़कंप मच गया. हालांकि पहले ऐसा कोई खुलकर विवाद सामने इसलिए नहीं आय़ा क्योंकि इससे पहले प्रभारी और दोनों कार्यकारी अध्यक्षों के हस्ताक्षर से ही आदेश निकल रहे थे. लेकिन पहले ही सिंगल हस्ताक्षर के आदेश से बखेड़ा खड़ा हो गया.
चैटिंग वायरल होने और मामला मीडिया में आने के बाद संगठन हरकत में आय़ा. इसके बाद ग्रुप की बात बाहर जाने पर मामले को लेकर एक जांच कमेटी गठन जैसी बातें भी अब सामने आ रही है. लेकिन विपक्ष में कांग्रेस का हरावल दस्ता युवाओं के मुद्दों पर लड़ने के बजाय आपस में ही लड़ रहे है. अब देखना है कि इस विवाद के बाद आगे सहमति और ज्वॉइंट हस्ताक्षर वाले फैसले को कैसे मेंटेन रखा जाएगा या नई व्यवस्था लागू होती है.