असम में हिमंत बिस्वा सरकार का बड़ा फैसला, राज्य में मुस्लिम विवाह एवं तलाक कानून किया खत्म

असमः असम में हिमंत बिस्वा सरकार ने शुक्रवार रात राज्य में बाल विवाह पर रोक के लिए मुस्लिम विवाह एवं तलाक पंजीकरण कानून खत्म कर दिया है. उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को विधानसभा से हरी झंडी दिखाने के बाद अब असम ने भी इस दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान इस पर मुहर लगाई गई. 

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि 23 फरवरी को असम कैबिनेट ने एक अहम फैसला लेते हुए वर्षों पुराने असम मुस्लिम विवाह एवं तलाक पंजीकरण कानून को वापस ले लिया गया है. इस कानून में ऐसे प्रावधान थे कि अगर दूल्हा और दुल्हन शादी की कानूनी उम्र यानी लड़कियों के लिए 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल के नहीं हुए हैं, तो भी शादी को पंजीकृत कर दिया जाता था. यह असम में बाल विवाह रोकने की दिशा में अहम कदम है.

कैबिनेट मंत्री जयंत बरुआ ने सरकार के इस फैसले पर कहा कि ये समान नागरिक संहिता की दिशा में एक बड़ा कदम है. उन्होंने कहा हमारे मुख्यमंत्री ने पहले ही घोषणा की थी कि असम एक समान नागिक संहिता लागू करेगा. आज हमने मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून को निरस्त करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है.