खेतों से लेकर मंडियों तक में सफेद सोने की बहार, कीमत ने छू लिया है आसमान

खेतों से लेकर मंडियों तक में सफेद सोने की बहार, कीमत ने छू लिया है आसमान

जयपुर: इन दिनों सोने के दामों में लगी आग ने स्वर्ण-रजत मार्केट में तूफान ला रखा हैं तो कोटा संभाग के खेतों से लेकर मंडियों तक में सफेद सोने की बहार हैं.  जी-हॉ, अंचल में लहसुन की अच्छी पैदावार के बाद इस बार इसके दाम इतने बेहतरीन मिल रहे हैं कि किसानों ने इस फसल को लहसुन के बजाय; सफेद सोना; कहना शुरु कर दिया हैं. 

जी-हॉ..जिस तरह से सोना रिकॉर्ड हाई पर हैं,करीब-करीब उसी तरह से कोटा के सफेद सोने ने भी दामों में जो तेजी दिखायी हैं. इससे कोटा अंचल के किसानों और किसान परिवारों में खुशियों की लहर छा गयी हैं. सबसे निम्न गुणवत्ता के छर्री लहसुन के भी आराम से 70 रुपये किलो तक मिल रहे हैं और अच्छी गुणवत्ता और मोटी कली वाला लहसुन तो 100-150 से लेकर किस्म के हिसाब से 200-250 रुपये किलो तक में बिक रहा हैं और इसीलिये हाङौति की मंडियों में प्रफुल्लित किसान ने अब लहसुन का दूसरा नामकरण -सफेद सोना- ही कर डाला हैं और किसानों के बीच चौतरफा लहसुन की मेहरबानीयों के चर्चे हैं.

हालांकि लहसुन के दामों का ट्रेक कोटा में ज्यादा अच्छा भी नहीं रहा हैं. कुछ सालों पहले यहीं लहसुन 2 से लेकर 5 और 10 से 20 रुपये किलो में भी बिकता देखा गया था. शायद यहीं वजह रही कि 2021-22 में 1.15 लाख हैक्टेयर का रकबा 2022-23 में घटकर 80 हजार हैक्टेयर ही रह गया. हालांकि बिते साल से दाम ठीक मिलने शुरु हुये तो इस साल रकबा फिर बढकर 90 हजार हैक्टेयर के आसपास तक पहुंच गया और इस साल का उत्पादन का आंकङा भी 6 लाख मिट्रिक टन के आसपास का हैं. कोटा में मोटे तौर पर लहसुन की यमुना सफेद-2 और यमुना सफेद-3 किस्मों की बुआई हुयी हैं,जिनके वैज्ञानिक नाम जी-50 और जी-282 हैं. और फिलहाल इन किस्मों के उत्पादन से लेकर दामों तक के बाजार ने मंडियों से लेकर हाङौति के लहसुन खेत-खलिहानों तक को गुलजार कर रखा हैं.

कुछ समय पहले तक देश की मंडियों में चौतरफा चीन के मोटी गांठों वाले लहसुन का बाजार तेजी से फैला लेकिन सरकार ने भी इस इम्पोर्ट को फिलहाल होल्ड पर डाल रखा हैं और समय के साथ इस चाइना इम्पोर्टेड लहसुन से किसान से आढतियों तक का मोहभंग भी होता जा रहा हैं और एक बार फिर से बाजार में देश में ही उत्पादित देशी लहसुन की बहार हैं.कोटा के खेतों में पैदा हुआ ये सफेद सोना औषधिय उपयोग के लिये भी बेहतर माना जाता हैं और वैसे देश के करीब सभी हिस्सों और विशेषकर दक्षिण भारत से कोटा के लहसुन की खुब डिमांड आ रही हैं. इस बीच व्यापारी आगाह कर रहे हैं कि दामों में उछाल से खुश हो रहा किसान लहसुन की सार-संभाल करना नहीं भूले.क्योंकि मौसम तेज गर्मी का हैं और लहसुन की देकभाल ऐसे ही करनी पङती हैं..जैसे किसी छोटे बच्चे की.

प्रदेश का 80 फीसदी से अधिक लहसुन उत्पादित करके कोटा अंचल लहसुन उत्पादन में प्रदेश में अव्वल हैं. दाम नहीं मिलने से बिते कुछ सालों में यहां के किसान का लहसुन की खेती से मोहभंग होता जा रहा था लेकिन इस बार आयी दामों की बहार ने ऐसा लगता हैं कि सफेद सोने की खेती से हाङौति के किसान की दोस्ती एक बार फिर से करा दी हैं.