VIDEO: कैसे मिले कांग्रेस को संजीवनी? क्या संगठन में जान फूंकने के लिए कांग्रेस उठा सकती है बड़ा कदम, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: लगातार चुनाव में शिकस्त झेलने वाली कांग्रेस आखिरकार खुद को अब कैसे मजबूत करेगी. पिछले दिनों कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में खड़गे ने कड़े शब्दों में संगठन में बदलाव करने का खाका पेश किया. खड़गे की दो टूक बातों से यह अंदाजा लगाया जा सकता है  पार्टी में जान फूंकने के लिए अब हाईकमान रोडमैप बनाने में जुट गया है. लिहाजा कांग्रेस गलियारों में एक बार फिर कामराज प्लान-2 लागू करने की चर्चाएं तेज हो गई है.

लगातार तीन लोकसभा चुनाव सहित कईं राज्यों में चुनाव में हार दर हार मिलने के चलते कांग्रेस हाईकमान से लेकर कार्यकर्ता तक निराश और हताश है. लिहाजा कैसे फिर से कांग्रेस को मजबूत किया जाए और कैसे संगठन में नई जान फूंकी जाए. इसको लेकर पिछले दिनों दिग्गजों ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में खूब चिंतन और मनन किया. जिस तरह खड़गे ने संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बड़े बदलाव करने का बयान दिया. उसके बाद कांग्रेस गलियारों में तो यही मैसेज गया कि अब हाईकमान वाकई अब कड़े कदम उठाते हुए कोई रोडमैप तैयार करने जा रहा है. लिहाजा एक बार फिर पार्टी का कामराज प्लान चर्चाओं में है. आईए, सबसे पहले आपको कामराज प्लान के बारे में बता देते हैं.

- 1962 में चीन के साथ युद्ध में भारत को शिकस्त मिली थी
- जंग हारने से पीएम नेहरू और कांग्रेस की लोकप्रियता में काफी गिरावट आ गई
- कांग्रेस का ग्राफ गिरने लगा था और जनता में पकड़ी ढीली होती गई
- तब तमिलनाडु के तत्कालीन सीएम के कामराज ने नेहरू को एक फार्मूला बताया
- यह फार्मूला था वरिष्ठ नेताओं को सीएम औऱ मंत्री पद छोड़कर संगठन में काम करना चाहिए
- नेहरू ने तत्काल इस फार्मूले को लागू किया और यह कामराज प्लान कहलाया
- कामराज सहित कईं सीएम और केंद्रीय मंत्रियों के तुरंत इस्तीफे हो गए
- इस प्लान का मकसद कांग्रेसियों में सत्ता के बजाय संगठन के प्रति समर्पण भाव पैदा करना था

अब सवाल यह बड़ा है कि ऐसा चुनौती भरा कदम क्या कांग्रेस हाईकमान उठा सकता है. हालांकि मौजूदा दौर में संगठन को धार देने की दिशा में यह प्लान एक अचूक हथियार साबित हो सकता है. लेकिन कामराज प्लान के पार्ट दो को लागू करने में कईं जोखिम है. युवाओं को आगे बढाने और सीनियर्स का सम्मान बनाए रखना एक बड़ा चैलेंज होगा. पार्टी पद,टिकट और राज्यसभा सांसदों जैसे पदों से वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करना इतना आसान भी नहीं है. लेकिन खड़गे के बयान से तो लगता है अब हाईकमान पूरे संगठन की सर्जरी करने का प्लान कर रहा है.

कांग्रेस में किसी फैसले और प्लान पर चर्चा करना तो बेहद आसान होता है. लेकिन फिर उसे लागू करना बड़ा चैलेजिंग होता है. उदयपुर चिंतन शिविर के फैसलों का हश्र सबके सामने है. संगठन में नई जान फूंकने के लिए बड़े-बड़े फैसले लिए गए पर लागू हुए चंद डिसीजन. अब देखना है कि कामराज प्लान 2 चर्चा तक ही सीमित होकर रह जाता है या वाकई धरातल पर लागू होगा.