जयपुरः दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर तक बढ़ने के मद्देनजर राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के चौथे चरण के तहत सख्त प्रतिबंध लागू किए हैं. इस फैसले के तहत, राजस्थान के अलवर और भरतपुर जिलों में करीब तीन हज़ार खदानों, क्रेशर और ईंट भट्टों को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश जारी किया गया है. यह कदम वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उठाया गया है, जिससे दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में स्थित नागरिकों की सेहत को सुरक्षा प्रदान की जा सके.
1. **कंस्ट्रक्शन और डेमोलिशन गतिविधियाँ**: इस चरण में निर्माण और ध्वस्तीकरण कार्यों को रोकने के लिए आदेश जारी किया गया है. इसके अलावा, यदि कोई निर्माण कार्य आवश्यक हो, तो उसे प्रदूषण नियंत्रण मानकों का पालन करते हुए ही किया जा सकेगा. इससे धूल के कणों का उत्सर्जन कम करने में मदद मिलेगी.
2. **ऑटोमोटिव और औद्योगिक उत्सर्जन**: सभी प्रकार के ऑटोमोबाइल और औद्योगिक संस्थानों को निर्धारित मानकों के अनुसार प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों का पालन करना अनिवार्य होगा. इस कदम से वाहन और उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषक तत्वों को कम करने का प्रयास किया जाएगा.
3. **पुआल जलाने पर प्रतिबंध**: राजस्थान सहित कुछ अन्य राज्यों में खेतों में फसल कटाई के बाद पुआल जलाने की समस्या काफी गंभीर है. GRAP 4 के तहत इस पर सख्ती से प्रतिबंध लगाया गया है, जिससे कृषि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके.
4. **प्रदूषणकारी उद्योगों की निगरानी**: इन उद्योगों को श्वसन और जल प्रदूषण नियंत्रण उपायों को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया गया है. इसके साथ ही ऐसे उद्योगों के संचालन की अनुमति केवल तब तक दी जाएगी, जब तक वे निर्धारित प्रदूषण मानकों का पालन नहीं करेंगे.
5. **पब्लिक ट्रांसपोर्ट का बढ़ावा**: GRAP 4 के अंतर्गत निजी वाहनों की संख्या को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने पर जोर दिया गया है. सरकार द्वारा पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित सार्वजनिक परिवहन जैसे इलेक्ट्रिक बसों और मेट्रो सेवाओं का विस्तार किया जाएगा.
6. **खनन गतिविधियां बंद**: इसके तहत गैर जरूरी खनन कार्य को तत्काल बंद किया गया है. खदान क्रेशर और ईंट उद्योग इसके दायरे में आते हैं.
यह महत्वपूर्ण निर्णय राजस्थान सरकार की अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) अपर्णा अरोड़ा की अध्यक्षता में हुई एक बैठक के बाद लिया गया. बैठक में प्रदूषण नियंत्रण और वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए कई उपायों पर चर्चा की गई. इसके बाद, RSPCB के सदस्य सचिव विजय एन ने इन प्रतिबंधों को लागू करने के आदेश जारी किए. इस आदेश के तहत अलवर और भरतपुर में स्थित खदानें, क्रेशर और ईंट भट्टे, जो कि वायु में धूल कणों का प्रमुख स्रोत हैं, को तत्काल प्रभाव से बंद करने का निर्देश दिया गया है.
GRAP 4 के तहत प्रतिबंधों का महत्व
GRAP का चौथा चरण उस समय लागू किया जाता है जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 से ऊपर चला जाता है, और यह गंभीर प्रदूषण की स्थिति को दर्शाता है. इस चरण के तहत पर्यावरणीय नियंत्रण उपायों को सख्ती से लागू किया जाता है. राजस्थान के अलवर और भरतपुर जैसे प्रदूषित क्षेत्रों में खदानों, क्रेशरों और ईंट भट्टों से निकलने वाली धूल के कारण वायु गुणवत्ता में और भी गिरावट आ जाती है. इन इकाइयों को बंद करने से वायु में प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों की संख्या में कमी आएगी, और इससे दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की हवा में सुधार हो सकता है.
आदेश का प्रभाव और कार्यान्वयन
यह आदेश राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी किया गया है, जो राज्य सरकार के पर्यावरण संरक्षण विभाग का एक अहम हिस्सा है. इन खदानों, क्रेशरों और ईंट भट्टों के बंद होने से प्रदूषण के स्तर में तत्काल कमी की उम्मीद जताई जा रही है. हालांकि, यह कदम क्षेत्रीय उद्योगों और श्रमिकों के लिए कुछ समय के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि यह उनकी आर्थिक गतिविधियों पर असर डाल सकता है. फिर भी, यह कदम लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए बेहद जरूरी है, खासकर उस समय जब दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण से संबंधित स्वास्थ्य संकट गंभीर रूप ले चुका है.
स्वास्थ्य पर असर और आगे के कदम
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों में श्वसन रोगों और अस्थमा जैसी बीमारियों की दर में वृद्धि हुई है. राजस्थान के इन जिलों में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए यह कदम एक सकारात्मक दिशा में बढ़ाया गया है. इसके साथ ही, राज्य सरकार ने अन्य प्रदूषणकारी गतिविधियों पर भी सख्त निगरानी रखने की योजना बनाई है, ताकि वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके.
निष्कर्ष
राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा GRAP 4 के तहत अलवर और भरतपुर में खदानों, क्रेशरों और ईंट भट्टों को बंद करने का आदेश एक महत्वपूर्ण कदम है, जो दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद करेगा. प्रदूषण से जुड़ी गंभीर समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार ने इस फैसले को लागू किया है ताकि प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सके और नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके. आगे बढ़ते हुए, राजस्थान सरकार और RSPCB को ऐसे कदमों की निरंतर निगरानी और कार्यान्वयन के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे.