कोटाः बढती महंगाई ने रसोई का बजट बढाया तो कोटा में चौक-चौराहों पर चढने वाली कचौरी की कढाही तक भी महंगाई की ये आंच पहुंच गयी और दामों में सीधे एक तिहाई तक का जम्प आ गया. आमतौर पर 10 रुपये प्रति नग मिलने वाली कोटा की दाल की कचौरी अब प्रति नग 15 रूपये की हो गयी हैं.
कोटा में कचौरी के बड़े ब्रांड्स ने सामूहिक बैठक करके एकराय से कचौरी के दाम सीधे एक तिहाई तक बढा दिये हैं. दुकानदार इस बड़ी बढोतरी के सवाल पर कचौरी बनाने के काम में आने वाली सामग्री और मोटे तौर पर हींग-तेल-दाल और मैदा-मसाले-तेल तक के साल 2023 से 24 तक के दाम बताकर भावों में आये 20 से 25 और 40 फीसदी तक के इजाफे का हवाला देते हैं. बकौल दुकानदार जो मैदा एक साल पहले तक 28 रुपए किलो था वो अब 40 रुपय किलो हो गया हैं. एक साल में दोगनी होकर दाल 120 रुपए किलो के दाम में आ रही हैं तो कचौरी की जान हींग प्रति किलो 18-20 हजार से उछलकर किलो के 25 हजार तक के दाम पर जा पहुंची हैं. बात अगर मसालों की करें तो सभी मसाले भी करीब-करीब 20 से 25 फीसदी महंगे हुए हैं. बस इन्ही तर्को के आधार पर अब कोटा में कचौरी की महंगाई का बोझ ग्राहक के सिर पर सवार कर दिया गया हैं.
कोटा में सदानीरा नदी चम्बल 12 महिने ही बहती हैं और यहां कचौरी की खपत का सीजन भी पूरे 12 ही महिने का हैं..मौसम चाहे सर्दी का हो,गर्मी का या बारिश का,आप कोटा आयेंगे तो खौलते तेल में पकती कचौरियों के पककर काउन्टर पर आने की प्रतीक्षा लगाये भीङ आपको तकरीबन हर दुकान पर खङी ही मिलेगी. इसीलिये खट्टी चटनी के साथ कचौरी खाने के दीवाने कोटा वाले चटपटे स्वाद के लुत्फ के सामने दामों में इजाफे को ज्यादा तवज्जो नहीं देते. कचौरी की दुकानों पर बड़ी तादाद ऐसे लोगों की भीङ मिली जो दूरदराज के इलाकों से आये थे लेकिन कोटा शहर आयें और कचौरी नहीं खायें. ये भला कोटा और कचौरी के मामले में कैसे संभव हैं ?
हालांकि एक मोटे अनुमान के मुताबिक अचानक दामों में इजाफे से कोटा कचौरी की खपत फिलहाल 20 से 30 फीसदी तक टूट सकती हैं लेकिन रेट बढने के बाद भी कचौरी के शौकीन इस मुद्दे को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे और इससे लगता हैं कि महंगी हुयी कचौरी की कोटा के बाजार में स्वाद के मामले में कायम बादशाहत पर लंबे समय के नजरिये से कोई बहुत ज्यादा फर्क शायद नहीं पड़ने वाला।उम्मीद यहीं हैं कि कोचिंग और कचौरी अच्छे-बुरे दौर से निकलकर भी कोटा की पहचान आगे भी बदस्तूर बने रहेंगे.