जयपुर: जेडीए के जोन उपायुक्त कार्यालय और अधिशासी अभियंता कार्यालय में तैनात कनिष्ठ अभियंताओं के कामकाज को लेकर नई व्यवस्था लागू की गई है. हालांकि करीब ढाई साल पहले भी यही व्यवस्था लागू की गई थी,लेकिन तब यह फेल साबित हुई थी. जयपुर विकास प्राधिकरण में कुल 77 कनिष्ठ अभियंता तैनात हैं। इनमें में 22 कनिष्ठ अभियंता 18 जोन उपायुक्त कार्यालय, भवन निर्माण समिति प्रकोष्ठ और प्रवर्तन शाखा में लगे हुए हैं. जबकि विभिन्न जोनों के अधिशासी अभियंता कार्यालयों में करीब 20 और विभिन्न प्रोजेक्ट्स व अन्य स्थानों पर करीब 35 कनिष्ठ अभियंता लगे हुए हैं. जोन उपायुक्त कार्यालयों और जोन के अधिशासी अभियंता कार्यालयों में लगे हुए कनिष्ठ अभियंताओं के कामकाज को लेकर जेडीए प्रशासन ने नई व्यवस्था लागू कर दी है. आपको बताते हैं कि इन दोनों अलग-अलग शाखाओं में लगे हुए कनिष्ठ अभियंता अब किस तरह काम करेगा और इस नई व्यवस्था को लागू करने का उद्देश्य क्या है?
नई व्यवस्था लागू करने का उद्देश्य क्या?
-अब तक जोन उपायुक्त कार्यालय में लगे हुए कनिष्ठ अभियंता जोन से संबंधित कार्य
-जैसे भूमि या भूखंड की मौका रिपोर्ट व राजस्व से संबंधित अन्य कार्य ही कर रहे थे
-इसी तरह अधिशासी अभियंता कार्यालय में तैनात कनिष्ठ अभियंता विकास कार्य संबंधी ही काम कर रहे थे
-जेडीए प्रशासन ने अब आदेश जारी कर नई व्यवस्था लागू कर दी है
-अब जोन के अधिशासी अभियंता कार्यालय व जोन उपायुक्त कार्यालय में तैनात कनिष्ठ अभियंता सभी काम करेंगे
-इन दोनों कार्यालयों में तैनात कनिष्ठ अभियंता जोन से संबंधित व विकास कार्यों से संबंधित दोनों तरह के काम करेंगे
-इसके लिए पूरे जोन के क्षेत्र को इन दोनों कार्यालयों में लगे अभियंताओं की कुल संख्या के अनुसार बांटा दिया जाएगा
-जिस अभियंता के पास क्षेत्र के जिस हिस्से की जिम्मेदारी होगी
-उस हिस्से के विकास से संबंधित काम और जोन से संबंधित सभी काम उसी अभियंता के जिम्मे होंगे
-इस नई व्यवस्था के पीछे इन दोनों कार्यालयों में दोनों तरह के कार्यों के लिए अभियंताओं का समायोजन करना है
-साथ ही जोन उपायुक्त कार्यालय में आमजन से जुड़े कार्यों के निस्तारण की समय सीमा घटाना भी उद्देश्य है
-ताकि इन प्रकरणों का निस्तारण पहले से कम समय में किया जा सके
-जोन में पट्टा जारी करने,नाम हस्तांतरण,उप विभाजन व पुनर्गठन आदि के लिए नई एसओपी की तैयारी की जा रही है
-आमजन से जुड़े कई प्रकरणों के निस्तारण की समय सीमा इस नई एसओपी में घटाना प्रस्तावित है
-तय समय में मौका रिपोर्ट देने के लिए पहले से अधिक संख्या में अभियंता उपलब्ध कराने की कवायद है
जेडीए में इस नई व्यवस्था को लागू करने के लिए जो आदेश जारी किया गया है. उसमें इस नई व्यवस्था को लागू करने के पीछे तर्क दिया गया है कि जोन का कनिष्ठ अभियंता जो मौका रिपोर्ट करता है उसी मौका रिपोर्ट के आधार पर विकास कार्य किए जाते हैं. इस तर्क पर जानकार सवाल उठा रहे हैं. इनका कहना है कि मौका रिपोर्ट तो किसी प्रकरण विशेष को लेकर होती है. जबकि विकास कार्य के लिए अलग से मौका मुआयना व सर्वे कराया जाता है. बहरहाल एक अभियंता से जोन संबंधी और विकास संबंधी दोनों काम कराने की यह व्यवस्था करीब ढाई साल पहले भी लागू की गई थी. लेकिन कुछ ही महीने में यह व्यवस्था स्वत: ही फेल हो गई. आपको बताते हैं कि तब इस व्यवस्था के फेल होने के क्या कारण रहे.
व्यवस्था फेल होने के क्या कारण रहे:
-17 फरवरी 2022 को जेडीए ने आदेश जारी कर इसी तरह की व्यवस्था लागू कर दी थी
-लेकिन डेढ़ से दो महीने में अनौपचारिक तौर पर यह व्यवस्था खत्म हो गई
-बाद में छह से सात महीने में अभियंताओं के ट्रांसफर के बाद यह व्यवस्था पूरी तरह खत्म कर दी गई
-जानकारों के अनुसार जोन से संबंधित कार्य और विकास से संबंधित कार्य दोनों अलग-अलग प्रकृति के हैं
-जहां जोन से संबंधित कार्य में समयबद्धता की प्राथमिकता है तो
-विकास से संबंधित कार्य में प्राथमिकता मॉनिटरिंग व गुणवत्ता को लेकर है
-दोनों कार्यों की अलग-अलग प्रकृति के चलते ही ढाई साल पहले लागू की गई यह व्यवस्था फेल हो गई
-तब कनिष्ठ अभियंताओं ने आपसी सहमति से ही अपने-अपने काम बांट लिए थे