जयपुरः भजन लाल सरकार के कैबिनेट मंत्रीपद से इस्तीफा देने के बाद किरोड़ी लाल मीणा राजस्थान की सियासत में चर्चा के केंद्र बिंदु बने हुए है. डॉ किरोड़ी ने दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. नड्डा ने किरोड़ी लाल मीणा को दिल्ली बुलाया था. लोकसभा चुनाव परिणाम में दौसा में बीजेपी को मिली पराजय के कारण किरोड़ी लाल मीणा ने अपना त्यागपत्र दिया है. उन्होंने घोषणा की थी कि दौसा लोकसभा सीट पर बीजेपी हारी तो मंत्री पद छोड़ दूंगा. नड्डा से मिलने के बाद सूत्रों की माने तो डॉक्टर किरोड़ी को लेकर तीन बाते चर्चा में चल रही. मंत्री पद पर बरकरार रहे, सरकार में उप मुख्यमंत्री सरीखे प्रभावी पद पर आने का या फिर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से तृतीय वर्ष शिक्षित डॉक्टर किरोडी लाल मीणा भारतीय जनता पार्टी के एक ऐसे आदिवासी नेता है जिन्होंने कांग्रेस के परंपरागत मीना वोट बैंक को बीजेपी से जोड़ने में बड़ा योगदान दिया खासतौर से पूर्वी राजस्थान में. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्वी राजस्थान में हार का सामना करना पड़ा था. दौसा,करौली धौलपुर ,टोंक सवाई माधोपुर और भरतपुर में बीजेपी के उम्मीदवार हार गए, यहां डॉ किरोड़ी का व्यापक प्रभाव माना जाता है अपने वर्ग के बीच. कहा जाता है कि बीजेपी लीडरशिप ने डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को पूर्व राजस्थान की सात लोकसभा सीटों की जिम्मदारी दी थी. दौसा के रोड शो में पीएम मोदी ने अपने साथ रखा था. चुनाव के दौरान उन्होंने दावा किया था कि दौसा और टोंक सवाई माधोपुर में भाजपा प्रत्याशियों की जीत होगी. अगर भाजपा के प्रत्याशी जीत नहीं पाते हैं तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे. भाजपा के प्रत्याशी दौसा और टोंक दोनों ही सीटों पर हार गए. यह एक बड़ा कारण है डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के त्याग पत्र का. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने डॉ किरोड़ी को इस्तीफा प्रकरण के मद्देनजर दिल्ली बुलाया. हालांकि डॉ किरोड़ी के त्याग पत्र को सीएम भजन लाल शर्मा ने मंजूर नहीं किया है
किरोड़ीलाल मीणा छात्र जीवन से ही राजनीति में हैं. विद्यार्थी परिषद में रहे ,आगे चलकर बीजेपी के हरावल दस्ते युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके. डॉ साहेब पहले भी मंत्री पद छोड़ चुके है जब वे वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री थे. गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान एसटी वर्ग के आरक्षण के पक्ष में डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद छोड़ दिया था. इसके बाद वे मीना समाज के बड़े नेता के तौर पर स्थापित भी हो गए. साल 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने पीए संगमा की पार्टी का दामन थामा और करीब 122 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे थे. चार सीटों पर राजपा ने जीत भी दर्ज की. 10 साल तक पार्टी से बाहर रहने के बाद 2018 में उनकी भाजपा में वापसी हुई.
दौसा से अकेले दम पर जग के चुनाव चिन्ह पर डॉ किरोड़ी लोकसभा का चुनाव जीत चुके है वो भी निर्दलीय.भारतीय जनता पार्टी में संघर्ष के प्रतीक के तौर पर डॉ किरोडी को जाना जाता है.सवाई माधोपुर के सीमेंट फैक्ट्री आंदोलन से लेकर अब तक. भैरों सिंह शेखावत,वसुंधरा राजे ही नही बल्कि पीएम मोदी भी उनकों संघर्ष शील नेता मानते है .मंत्री पद छोड़ने को लेकर नाराजगी की बात भी सामने आई है. उनके समर्थक मानते है कि डॉ किरोड़ी के कारण मीना समाज के विधायक अच्छी संख्या में विधानसभा चुनाव में जीते थे फिर डॉ किरोड़ी को ना तो उप मुख्यमंत्री बनाया गया और विभाग के आवंटन से भी उनके समर्थक ना खुश थे. समर्थक मानते थे डॉक्टर किरोड़ी को उनके कद के मुताबिक पद नही मिला इसलिए वो मंत्री पद पर कार्य करने के शुरू से इच्छुक नहीं थे. बीते लोकसभा चुनाव में उन्होंने पत्नी गोलमा देवी और भाई जगमोहन मीना का टिकट मांगा था लेकिन नही दिया गया . माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनो बाद डॉ किरोडी लाल मीणा प्रधानमंत्री मोदी या फिर गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने फिर दिल्ली आ सकते है. उनके भविष्य के सवाल को लेकर कई तरह की जानकारियां सूत्रों से हमें मिल रही है. संभावना है कि भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद पर भविष्य में उन्हें लाया जाए और ये संदेश दिया जाए कि एसटी वर्ग के नेता को बीजेपी का पहली बार प्रदेश अध्यक्ष दिया गया ,वैसे भी मीना वर्ग को कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है. दूसरी संभावना यह भी है कि उप मुख्यमंत्री बनाकर महत्वपूर्ण मंत्रालय उन्हें सौंपे जाए. तीसरी संभावना यह है कि उन्हें सत्ता और संगठन में कोई अन्य बड़ी जिम्मेदारी दी जाए ..राज्यपाल वो बनना नही चाहते है क्योंकि अभी सक्रिय सियासत में रहना है.