लोकसभा में संविधान पर चर्चा; राजनाथ सिंह बोले- संविधान ने हमें प्रजा से नागरिक का दर्ज दिया

लोकसभा में संविधान पर चर्चा; राजनाथ सिंह बोले- संविधान ने हमें प्रजा से नागरिक का दर्ज दिया

नई दिल्ली: लोकसभा में संविधान पर चर्चा शुरू हो गई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी शुरुआत की. उन्होंने कहा कि संविधान सिर्फ कानूनी दस्तावेज नहीं है. संविधान ने हमें प्रजा से नागरिक का दर्ज दिया है. संविधान से हमें सरकार चुनने का अधिकार मिला है. संविधान देश की आकांक्षाओं का प्रतिबिम्ब है. संविधान से जुड़े महापुरुषों को मेरा नमन है.

संविधान देश को आदर्श राष्ट्र बनाने का रोडमैप है. संविधान भारत के गौरव का रोडमैप है. संविधान नागरिकों की गरिमा सुनिश्चित करने का रोडमैप है. संविधान अनुशासन और कर्तव्य का रोडमैप है. संविधान ने राष्ट्रीय एकता को सुनिश्चित किया है. संविधान में सभी नागरिकों के लिए धार्मिक स्वतंत्रता है.

संविधान किसी एक पार्टी की देन नहीं है:
राजनाथ सिंह ने संविधान पर बहस के दौरान कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि संविधान को एक पार्टी की देन के रूप में हाइजैक किया गया. यह किसी एक पार्टी की देन नहीं है, बल्कि यह पूरे देश का है. भारत के लोगों के द्वारा, भारत के लोगों के अनुरूप बनाया गया दस्तावेज है. पश्चिमी सभ्यता में नाइट वॉचमैन स्टेट का कॉन्सेप्ट है. हमारे देश में राजधर्म की बात कही गई है. हमारे यहां राजा भी राजधर्म से बंधा हुआ है. उसकी शक्तियां लोगों के कल्याण के लिए है. कमजोर वर्गों की रक्षा के लिए है. हमारा संविधान नागरिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. हमारा संविधान नागरिकों के समग्र विकास में रास्ते में आने वाली बाधाओं को हटाने का निर्देश देता है.

महिला सशक्तिकरण में हमारी सरकार हर संभव प्रयास कर रही:
राजनाथ सिंह ने कहा कि महिला सशक्तिकरण में हमारी सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. हमने नारी शक्ति वंदन अधिनियम भी पास किया है. इससे राजनीतिक क्षेत्र की महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा. इसी सोच के तहत हमारी सरकार ने 2018 में राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया है. आजाद भारत में ये पहली बार हुआ. हमने 2019 में संवैधानिक संशोधन किया, ताकि आर्थिक आधार पर आरक्षण मिले. समग्र और समावेशी विकास के सभी काम हमारे संवैधानिक मूल्यों और आदर्शों के जीवंत रूप हैं. 

कांग्रेस ने संविधान को बदलने की कोशिश कीः 
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमने जो भी संवैधानिक संशोधन किए हैं, उनसभी का उद्देश्य सामाजिक कल्याण था. हमने अनुच्छेद 370 को निरस्त किया ताकि भारत की अखंडता सुनिश्चित हो. हमने जीएसटी कानून बनाया. जीएसटी काउंसिल में राज्यों की सहमत से टैक्स दरें निर्धारित की जाती हैं. लोगों का जीवन आसान हुआ है. लेकिन हमने संविधान को कांग्रेस की तरह राजनीतिक हित साधने का जरिया नहीं बनाया. जब नेहरू पीएम थे, तब 17 बार संविधान में संशोधन किया गया. इंदिरा गांधी के समय पर 28 बार, राजीव गांधी के समय 10 बार, मनमोहन सिंह के समय 7 बार संविधान में संशोधन किए गए.