जयपुर: ग्रामीण विकास और आपदा प्रबंधन मंत्री किरोड़ी लाल मीणा रविवार को कैबिनेट की बैठक में गए और जरूरी राजकाज के काम भी निपटा रहे हैं लेकिन उनके सरकारी आवास की दिक्कत अभी दूर नहीं हुई. आलम यह है कि मंत्रियों को आवास आवंटन के लिए बनाई मंत्रियों की कमेटी के अध्यक्ष होने के बावजूद उन्हें अभी तक सरकारी आवास नहीं मिला है.
सचिवालय के सामान्य प्रशासन विभाग में डॉक्टर किरोड़ीलाल मीना के सरकारी बंगले को लेकर पत्रावली का काफी मूवमेंट हो चुका है खुद डॉक्टर मीना की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिश पर उन्हें बंगला भी आवंटित हो चुका है लेकिन अभी तक उन्हें यह सरकारी आवास मिला नहीं है.
- 14 जनवरी को 17 मंत्रियों को राजकीय आवास आवंटन किया गया था.
- फिर 9 फरवरी को 6 मंत्रियों को सरकारी बंगलों का आवंटन हुआ जिसमें खुद डॉक्टर किरोडी लाल मीणा को 14 सिविल लाइंस आवंटित किया गया.
- यह बंगला पूर्व उप राष्ट्रपति और पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत की मृत्यु के बाद उनके परिजनों के पास है.
- ऐसे में यह बंगला खाली होने की प्रत्याशा में आवंटित किया गया.
- लेकिन आवंटन के 7 माह गुजरने के बाद भी यह बंगला खाली नहीं हुआ.
--- ऐसे हुई बंगलों की अदला बदली ---
- पूर्व में डॉक्टर किरोडी लाल मीणा की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने 14 जनवरी को आवास आवंटित किए थे.
- जिसके बाद 9 फरवरी को जारी सूची में मंत्रियों के आवास में अदला-बदली और संशोधन हुआ.
- पूर्व में पूर्व मंत्री रघु शर्मा का बंगला आवंटित हुआ था किरोड़ी लाल मीणा को
- लेकिन 9 फरवरी को जारी संशोधन की सूची में किरोड़ी को 14, सिविल लाइंस का किया आवंटन
- और इसी सूची में मंत्री मदन दिलावर को मिला पूर्व मंत्री रघु का 18, सिविल लाइंस का बंगला.
- जबकि दिलावर को पहले मिला था 385, सिविल लाइंस.
- इसी तरह हेमंत मीणा को बी 2 भगत सिंह मार्ग के स्थान पर 382 ए सिविल लाइंस किया आवंटित.
- विजय चौधरी को 383 ए के स्थान पर मिला 385, सिविल लाइंस
--- अब यह है स्थिति ---
- आलम यह है कि अब बार-बार किरोड़ी लाल मीणा के लिए सरकारी आवास आवंटन को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग में मशक्कत जारी है.
- मशक्कत इसे लेकर भी है कि यदि किरोड़ी लाल को आवंटित 14 सिविल लाइंस खाली नहीं हो पाया तो उन्हें सरकारी आवास कहां पर दिया जाए ?
- इसका कारण यह है कि कैबिनेट मंत्री के हिसाब से उनकी श्रेणी का सरकारी आवास कमोबेश उपलब्ध नहीं है.
- सिविल लाइंस में तो इसकी उपलब्धता लगभग शून्य है और गांधीनगर व अन्य स्थानों पर भी उपलब्धता की समस्या है.
ऐसे में करीब 7 माह से आवास आवंटन के मामले में स्थिति जस की तस बनी हुई है.