जयपुरः जयपुर शहर में आबादी के हिसाब से सार्वजनिक परिवहन सेवा के वाहनों की संख्या नहीं बढ़ाई गई है. सालों पहले जो रूट और वाहन तय किए गए थे, आज उन्हीं रूटों पर उतने ही वाहन चल रहे हैं इस कारण जयपुर के लोगों को भारी परेशानी हो रही है.
जयपुर में संचालित होने वाली मिनी बसें रोज शहर में करीब 50 हजार यात्रियों को सफर कराती है. इनकी उपयोगिता इसीलिए भी है कि जेसीटीएसएल के पास भी पर्याप्त बसें नहीं है. जयपुर में वर्तमान में करीब 1500 बसों का संचालन किया जा रहा है. लेकिन शहर में बढ़ती आबादी के हिसाब से इनकी संख्या बहुत कम है. आज की आबादी को देखें तो करीब तीन हजार बसों की जरूरत है. अब परिवहन विभाग इस बसों की संख्या बढ़ाने पर विचार कर रहा है. इसके लिए आरटीओ की ओर से एक प्रस्ताव भी परिवहन विभाग को भेजा गया है. बसें की संख्या कम होने के कारण कबाड़ बसों को हटाया भी नहीं गया है. ये बसें 15 से 20 साल पुरानी हो गई है. ऐसे में शहर में करीब 700 बसें ही ऐसी होंगी जो पूरी तरह से फिट हैं. अगर रूटों पर बसों की संख्या बढ़ाई जाए तो शहर में नई बसें भी आएंगी. लेकिन सच्चाई यह है कि कई सालों बाद भी नई बसें नहीं आने के कारण पब्लिक ट्रांसपोर्ट बहुत सीमित हो गया है. मजबूरन लोगों को शहर के अंदर ही डग्गेमार वाहनों में यात्रा करनी पड़ रही है
यह है शहर में लो-फ्लोर बसों की स्तिथि
2011 में खरीदी थी 280 बसें 2020 में कंडम हो गई
-2013 में खरीदी 120 बसें मार्च 2023 में कंडम हो गई
-- 2016 और 2020 में कुल 200 बसें नई आई जो वर्तमान में संचालित हैं
1.50 लाख यात्री सफर करते हैं
1500 बसें होनी चाहिए आबादी के हिसाब से
करीब पांच साल पहले जेसीटीएसएल की ओर से शहर में 400 बसों का संचालन किया जाता था लेकिन साल दर साल बसों की संख्या घटती गई. सरकार ने शहर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर ध्यान नहीं दिया. अब बसों का आंकड़ा 200 पर आ गया है. बसें कम होने से यात्रियों को बस स्टॉप पर आधे घंटे में बसें मिल रही हैं. 2013 में जहां 400 बसें संचालित थी, अब घटकर 200 ही रह गई हैं. शहर में महज सौ बड़ी बसें चल रही हैं और सौ मिडी बसें चल रही हैं. 400 बसें होने के कारण शहर में 35 रूटों पर बसों का संचालन किया जाता था, जो अब घटकर 25 रह गया है. राजधानी में आबादी के हिसाब से वर्तमान में लो-फ्लोर बसों की संख्या करीब 1500 होनी चाहिए, मेट्रो का विस्तार अगर समय पर होता तो शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की समस्या हल हो सकती थी.