जयपुर: जयपुर के भांकरोटा में हुए दर्दनाक सड़क हादसे के बाद प्रदेश में सड़क सुरक्षा को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. अगर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं को सीमित करना है तो अब सरकार को सड़क सुरक्षा को लेकर कड़े और बड़े फैसले लेने ही होंगे.
प्रदेश में बीते कुछ महीनों में सड़क हादसों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है. राजस्थान देश के उन प्रमुख राज्यों में शामिल हैं. जहां सड़क हादसों और हादसों में जान गवाने लोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. लेकिन सच्चाई यह है कि प्रदेश में सड़क हादसों को कंट्रोल करने और रोड सेफ्टी को मजबूत करने के लिए सरकारों ने अधिक गंभीरता से काम किया ही नहीं है. पिछली सरकार ने परिवहन विभाग का नाम बदलकर परिवहन एवं सड़क सुरक्षा किया था लेकिन नामकरण के अलावा और कोई नया काम ना तो पिछली सरकार ने किया और ना ही उसके बाद हुआ. आज तक विभाग में पृथक रूप से सड़क सुरक्षा के लिए कैडर का गठन ही नहीं हुआ है. भारी भरकम राजस्व टारगेट को प्राप्त करने की भागम भाग में परिवहन विभाग का सड़क सुरक्षा से सरोकार सिर्फ़ कागजों तक ही सीमित है. इतना ही नहीं सड़क सुरक्षा के नाम पर विभाग के पास हर वर्ष 100 करोड़ रुपए का जो फंड है उसका भी सदुपयोग अभी तक विभाग कर नहीं पाया है. विभाग की ओर से यह राशि सड़क हादसों को कम करने की जगह दूसरे ही कामों पर खर्च हो रही है.
--- राजस्थान में हुए सड़क हादसों के आंकड़े ---
- 2020 में प्रदेश में 19114 सड़क हादसे हुए इनमें 9250 लोगों की मौत हुई
- 2021 में 20951 सड़क हादसे हुए इनमें 10043 लोगों की मौत हुई
- 2022 में 23614 सड़क हादसे हुए इनमें 11104 लोगों की मौत हुई
- 2023 में 23041 सड़क हादसे हुए इनमें 11762 लोगों की जान गई
प्रदेश में सड़क सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार को परिवहन विभाग से जुड़ी कई व्यवस्थाओं में आमूल चूल परिवर्तन करना होगा. फिटनेस सेंटरों की मनमानी, ग़लत चेकिंग प्रणाली, ड्राइविंग लाइसेंस बनने में गड़बड़ी और रोड इंजीनियरिंग समेत कई मसले ऐसे हैं जिन पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है.
1- परिवहन विभाग का नाम बदलकर परिवहन और सड़क सुरक्षा तो कर दिया गया है. पर आज तक सड़क सुरक्षा के नाम पर आज तक प्रथक केडर का गठन नहीं हुआ है. ऐसे में परिवहन विभाग में केडर रिव्यू और पुनर्गठन कर प्रथक से ज़िला परिवहन अधिकारी, अपर प्रादेशिक परिवहन अधिकारी, प्रादेशिक परिवहन अधिकारी, संयुक्त परिवहन आयुक्त, अपर परिवहन आयुक्त के पदो का सर्जन किया जाएं जो केवल सड़क सुरक्षा का कार्य ही देखें.
2- सरकार करीब प्रतिवर्ष सौ करोड़ रुपया सड़क सुरक्षा पर खर्च करती है. अतः इसका उपयोग कर सरकारी फिटनेस सेंटर्स ड्राइविंग स्कूल्स और ट्रेनिंग सेंटर्स का निर्माण हो फिटनेस सेंटर्स की मशीनेस की रिपोर्ट्स सीधा वाहन सॉफ्टवेर पर अपलोड हो और उसको edit नहीं किया जा सके. ऑटोमेट्ड ड्राइविंग ट्रैक का संचालन सरकार खुद करे और प्राइवेट सेंटर्स पर सरकार लगाम कसे.
3- रोड इंजीनियरिंग में तकनीकी एक्स्पर्ट को शामिल कर रोड डिज़ाइन किए जाएं इसे राजनीतिक दबाव और जनता के दबाव से अलग रखा जाए. राजमार्गों पर आवारा पशुओं का प्रवेश रोका जाए.
4- परिवहन विभाग की चेकिंग प्रणाली में सुधार करने के लिए चेकिंग प्लाजा की स्थापना हो सीज़र यार्ड भी बनाए जाएं.