रक्षाबंधन पर सबसे पहले देवताओं को बांधें राखी, ईश्वर करेंगे हर संकट से रक्षा, इस दिन इन बातों का रखें ध्यान

रक्षाबंधन पर सबसे पहले देवताओं को बांधें राखी, ईश्वर करेंगे हर संकट से रक्षा, इस दिन इन बातों का रखें ध्यान

जयपुर: रक्षाबंधन पर पहली राखी ईश्वर को ही बांधनी चाहिए. इससे ईश्वर हर संकट से रक्षा करते हैं. ईश्वर को राखी घर का पुरुष और महिला दोनों बांध सकते हैं. बहुत सारे परिवार में सावन पूर्णिमा पर भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डूगोपाल को राखी बांधी जाती है. रक्षाबंधन पर पहली राखी ईश्वर को ही बांधनी चाहिए. इससे ईश्वर हर संकट से रक्षा करते हैं. ईश्वर को राखी घर का पुरुष और महिला दोनों बांध सकते हैं. बहुत सारे परिवार में सावन पूर्णिमा पर भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डूगोपाल को राखी बांधी जाती है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिन बहनों के भाई नहीं होते, वो भी देवों को भाई मान कर राखी बांध सकती हैं. अलग-अलग लोग अलग-अलग देवताओं को राखी बांधते हैं. सबसे पहले देवी-देवताओं को राखी अर्पित करने से भाई-बहन को आशीर्वाद प्राप्त होता है. हिंदू धर्म में रक्षाबंधन के त्योहार का विशेष महत्व है. इस साल रक्षाबंधन का त्योहार सोमवार 19 अगस्त को मनाया जाने वाला है. यह पवित्र त्यौहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है.

ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस साल 19 अगस्त 2024 का दिन सभी के लिए बेहद शुभ है. इस दिन सावन का पांचवा सोमवार, पूर्णिमा और रक्षाबंधन का महासंयोग बन रहा है. ज्योतिषीय गणना के अनुसार साल 2024 में रक्षाबंधन और सावन के अंतिम सोमवार पर सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. साथ ही रवि योग, शोभन योग और श्रवण नक्षत्र का महासंयोग बनेगा. इस बार श्रावणी पूर्णिमा 19 अगस्त को सोमवार के दिन श्रवण उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र तथा शोभन योग की साक्षी में आ रही है. सोमवार के दिन श्रवण नक्षत्र के होने से सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. इस साल भी रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा. रक्षाबंधन पर भद्रा का साया सुबह 5:53 से शुरू होगा, जो कि दोपहर 1:32 तक रहेगा. भद्रा का वास पाताल लोक में है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस खास दिन देवी-देवताओं की पूजा का भी विशेष महत्व होता है. ऐसे में भाई की कलाई पर राखी बांधने से पहले भगवान को राखी अर्पित करना चाहिए.

गणेश जी
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि गणेश जी देवताओं में प्रथम पूजनीय माने जाते हैं. इस कारण रक्षाबंधन के दौरान सबसे पहले गणपति जी को राखी अर्पित करें. ऐसा करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं.

हनुमान जी
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हनुमान जी इस शुभ अवसर पर राखी बांधना बहुत फलदायी माना जाता है. साथ ही जिन बहनों को अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने का मौका नहीं मिलता है, वे हनुमान जी को राखी बांध सकती हैं.

शिव जी
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि रक्षाबंधन के पवित्र अवसर पर कई लोग महादेव को राखी चढ़ाते हैं. कहा जाता है कि ऐसा करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं. भक्त को सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है.

श्री कृष्ण
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि रक्षाबंधन के दिन कई बहनें भगवान श्री कृष्ण को अपना भाई मानकर राखी बांधती हैं. कहा जाता है कि पूरी श्रद्धा से ऐसा करने पर श्री कृष्ण भक्तों की रक्षा करते हैं.

गुरु और शिक्षक
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि व्यक्ति के जीवन में गुरु और शिक्षक का महत्वपूर्ण स्थान होता है. ईश्वर जन्म देता है तो गुरु मार्गदर्शन करता है और जीवन का बोध कराता है. अच्छे बुरे का भेद बताता है. शिक्षक के बिना हमें न सत्कर्म का ज्ञान हो सकता है और न ही ईश्वर का. संसार में केवल अधर्म, अराजकता और भय का वातावरण रहेगा. इसलिए समाज के प्रति उनके योगदान को देखते हुए राखी बांधकर उनका आभार प्रकट करना चाहिए. इसलिए इस दिन अपने गुरुजनों को रक्षा सूत्र बांधना चाहिए.

सैनिक
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सैनिक को हम केवल वीरगति प्राप्त होने या स्वतंत्रता दिवस इत्यादि अवसरों पर ही याद करते हैं. लेकिन वह हमारी रक्षा के लिए परिवारवालों, समाज, मित्रों और सुख-सुविधाओं का त्याग कर जान हथेली पर रखकर घर से दूर खड़ा रहता है. इसलिए उनको राखी बांधकर अपनेपन का एहसास कराना चाहिए. रक्षाबंधन के विशेष अवसर पर यदि महिलाएं सीमा पर या छावनी में जाकर सैनिकों को राखी बांधें तो उन्हें बहुत अच्छा लगेगा.

पेड़-पौधे
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि पेड़ पौधों में भी प्राण होते है. हमारे देश के वैज्ञानिक जेसी बसु ने सिद्ध किकया था कि पेड़ पौधे संवेदनशील होते हैं और वो महसूस कर सकते हैं. आपने देखा होगा कि सकारात्मक वातावरण में पेड़ अच्छे से फलता-फूलता है जबकि एक नकारात्मक वातावरण में वह मुरझा जाता है. इसलिए उसे प्रेम और आत्मीयता की आवश्यकता होती है. वहीं उससे मिली आक्सीजन पृथ्वी पर जीवन के लिए बहुत जरूरी है. इसलिए हिंदू धर्म में सभी प्रकार के पेड़-पौधों की पूजा का विधान है. ऐसे में रक्षाबंधन पर पेड़ पौधों को राखी बांधकर उनका आभार जताना चाहिए.

यजमान को जरूर बांधे रक्षासूत्र:
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि यजमान और पुरोहित का गहरा पारस्परिक संबंध होता है. यजमान अपनी दक्षिणा के रूप में पुरोहित के जीवन निर्वाह में मददगार होता है तो पुरोहित अपने मार्गदर्शन से यजमान को भटकने से बचाता है और उनके कल्याण, निष्कंटक जीवन के लिए प्रार्थना करते हैं. सबसे प्राचीन परंपरा के अनुसार  रक्षाबंधन पर पुरोहित अपने यजमान को राखी जरूर बांधते थे और उनके मंगल की कामना करते थे. इसलिए इस परंपरा को जरूर आगे बढ़ाना चाहिए.

रक्षाबंधन पर इन बातों का रखें ध्यान:
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन बहनों को सुबह स्नान करने के बाद भगवान को एक थाली में सुंदर सजी हुई राखियां चढ़ानी चाहिए. फिर उनके माथे पर कुमकुम और चावल लगाएं. इसके बाद उन्हें राखी बांधें और उनकी आरती उतारें. भगवान को लड्डुओं का भोग लगाएं. इस दौरान उनसे जीवन भर रक्षा करने की प्रार्थना करनी चाहिए.