बाघों की नई नर्सरी बना सरिस्का टाइगर रिजर्व, 3 महीनों में 13 शावकों का हुआ जन्म

जयपुरः सरिस्का प्रदेश में बाघों की नई नर्सरी बन गया है. यहां पिछले तीन महीने में चार बाघिनों ने 13 शावकों को जन्म दिया है. सरिस्का में बाघों की संख्या बढ़कर 43 पहुंच गई है और उम्मीद की जा रही है वर्ष 2024 के अंत तक सरिस्का नर्सरी में 50 बाघ खेल रहे होंगे. वन मंत्री संजय शर्मा ने सरिस्का में बाघ पुनर्वास प्रक्रिया की सफलता पर खुशी जाहिर की है. 

टाइगर रिजर्व           बाघ       बाघिन     शावक     कुल
रणथंभौर                 28         30         15          73
सरिस्का                  11          14         18          43
धौलपुर                    02         03         05          10
विषधारी                  01          02        03           06
मुकंदरा                   01         01         -             02
अभेडा टी 114 के 2 शावक
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क टी 79 का एक शावक
प्रदेश में कुल           43         50         44           137

बाघ विहीन हो चुके सरिस्का में अब 43 बाघों की दहाड़ सुनाई दे रही है. वर्ष 2008 में सरिस्का में बाघ पुनर्वास कार्यक्रम शुरू किया था जो आज 43 बाघों की संख्या तक पहुंच गया है. पिछले तीन महीने में तीन बाघिनों ने 13 शावकों को जन्म दिया है. पहले एसटी 12 ने चार शावकों को जन्म दिया फिर एसटी 27 ने दो शावक डिलीवर किए और बाघिन एसटी 22 भी चार शावकों के साथ दिखी. अब बाघिन एसटी 17 भी तीन शावकों के साथ कैमरा ट्रेप में दिखी है. फर्स्ट इंडिया न्यूज़ ने सबसे पहले शावकों को लेकर खबर प्रसारित की थी. सरिस्का का बाघों से आबाद होना साबित करता है कि कोर क्षेत्र से गांवों का विस्थापन कितना अहम है. बाघिनों ने शावकों को जन्म देने के लिए उन्हीं स्थानों को चुना है जहां कभी ग्रामीण रहते थे और अब वहां जोरदार ग्रासलैंड है. इसका मतलब है कि बाघ अब स्ट्रेस में नहीं है और मानवीय दखल कम होने से नैसर्गिक वातावरण में वंश वृद्धि कर रहे  हैं. इस मामले में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पवन उपाध्याय का कहना है कि बाघ संरक्षण में बेहतर काम का ही प्रतिफल है. जल्द ही गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया को और सरल व सर्वमान्य बना रहे हैं. सरिस्का के फील्ड डायरेक्टर महेंद्र शर्मा की की प्रभावी मॉनिटरिंग और वाइल्डलाइफ के स्ट्रेस मैनेजमेंट को लेकर विशेष कार्य करने से सरिस्का तेजी से बाघों की नर्सरी के तौर पर तब्दील हो रहा है. मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पवन उपाध्याय कहते हैं कि बढ़ती बाघों की संख्या के लिए हम तैयार हैं.

अभी पर्याप्त क्षेत्र है और जरूरत पड़ी तो कुंभलगढ़ के टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद वहां भी ट्रांसलोकेशन किया जाएगा. प्रदेश में बाघों की बढ़ती संख्या को देखते हुए वन विभाग ने धौलपुर से कुंभलगढ़ तक वृहद टाइगर कॉरिडोर को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. इस वर्ष कुंभलगढ़ को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिल सकता है. इसी तरह सरिस्का में जल्द ही दूसरे वन मंडलों का 607 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जोड़े जाने की प्रक्रिया चल रही है. सरिस्का और रणथंभौर के बीच बाघों की संख्या का अंतर घटता जा रहा है. उम्मीद की जा रही है कि सरिस्का जल्द ही देश में बाघ संरक्षण के अग्रणी टाइगर रिजर्व की फेहरिस्त में शुमार हो जाएगा.