जयपुर : सरिस्का में बढ़ती बाघों की आबादी और इलाके की जंग वहां के बाघों को अब जयपुर की ओर आने को मजबूर कर रही है. सरिस्का के बाघ एसटी 24 के जमवारामगढ़ आने के 27 महीने बाद एक और बाघ एसटी 2305 पिछले दिनों 28 नवंबर को रात सरिस्का से चलकर जयपुर जिले के रायसर पहुंच गया. वन विभाग ने दोनों ही बाघों की मॉनिटरिंग बढ़ा दी है. सरिस्का के बाघों का हरियाणा और राजस्थान के दूसरे जिलों में यायावरी करना हैबिटेट इंप्रूवमेंट और टाइगर मैनेजमेंट की जरूरत पर मिश्रित संकेत दे रहा भी है.
सरिस्का के बाघों की जयपुर जिले में दस्तक !
- 27 महीने के अंतराल के बाद जयपुर जिले में सरिस्का का एक और बाघ पहुंचा
- 24 अगस्त 2022 को एसटी 24 अजबगढ़ से चलकर आया था जमवारामगढ़
- अब एसटी 2305 ने 28 नवंबर को जयपुर जिले में दर्ज कराई आमद
- फिलहाल रायसर रेंज के दांतली नाके के कानी खोर में डाल रखा डेरा
- जबकि एसटी 24 भी रायसर रेंज के निम्भी क्षेत्र में मौजूद
- राजधानी जयपुर से एसटी 2305 के दूरी करीब 57 किलोमीटर
- जबकि एसटी 24 की दूरी है करीब 35 किलोमीटर
- बेहतर प्रे बेस के चलते बाघ रायसर व जमवारामगढ़ को बना रहे टैरेटरी
- सरिस्का में बाघों की संख्या बढ़ने से इलाके की तलाश में बाघ निकल रहे बाहर
- फिलहाल एसटी 2305 के पगमार्क के क्षेत्र में लगाए ट्रैप कैमरे
- FD संग्राम सिंह कटियार ने एसटी 2305 की ट्रेकिंग के लिए 4 टीमें राउंड द क्लॉक की तैनात
- बड़ा सवाल 'क्या जमवारामगढ़ व रायसर बन रहा बाघों के नया बसेरा ?'
- क्या इस क्षेत्र में बाघिन को इस क्षेत्र में ट्रांसलोकेट करने के लिए NTCA देगा नियमों में छूट ?
सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों की आबादी 43 के स्तर पर पहुंच गई है. बाघों की आबादी के हिसाब से इलाका छोटा पड़ने लगा है. अभी भी सरिस्का में कोर क्षेत्र में कई गांव बसे हुए हैं. ऐसे में बाघ अपने टेरिटरी की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं. पिछले दिनों बाघ एसटी 2303 सरिस्का से निकलकर हरियाणा पहुंच गया था उसे करीब ढाई महीने की मशक्कत के बाद ट्रेंकुलाइज किया गया और रामगढ़ विषधारी भेज दिया गया. अब इसी का भाई एसटी 2305 तीन महीने इधर-उधर भटकने के बाद आखिर सरिस्का से निकल 28 नवंबर की रात रायसर रेंज के कानी खोर क्षेत्र में पहुंच गया. दोनों ही बाघ इन दिनों रायसर रेंज में है.
इनमें एसटी 24 ने निम्भी के आसपास डेरा डाल रखा है तो सच 2305 दांतली नाके के कानी खोर क्षेत्र में विचरण कर रहा है. दोनों के बीच संघर्ष न हो इसके लिए भी वन विभाग ने कुछ टीमों को यहां पर तैनात किया है. मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक पवन उपाध्याय के निर्देश पर सरिस्का के फील्ड डायरेक्टर संग्राम सिंह कटियार इस बाघ के विचरण की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. वन्य जीव विशेषज्ञों का कहना है कि सरिस्का में बाघों की बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिए जरूरी है कि वहां से गांव का विस्थापन किया जाए ताकि वहां हैबिटेट इंप्रूवमेंट हो और वहां के बाघ वहीं पर रहें.
हालांकि विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि दो बाघ क्योंकि अब जयपुर जिले में है ऐसे में डिगोता एंक्लोजर में एक फीमेल बाघिन को ट्रांसलोकेट करना चाहिए ताकि यहां बाघों की आबादी बड़े और सरिस्का का एक सब कोर एरिया तैयार किया जा सके. एनटीसीए की एसओपी के मुताबिक बाघ या बाघिन की शिफ्टिंग कोर क्षेत्र में ही हो सकती है. ऐसे में इस क्षेत्र में बाघिन को शिफ्ट करने के लिए एनटीसीए से विशेष अनुमति लेनी होगी.