जयपुर: करीब तीन दशक संगीत को दे चुके. जाने-माने गायक सुखविंदर सिंह (Sukhwinder Singh) का 1st इंडिया न्यूज के CEO एवं मैनेजिंग एडिटर पवन अरोड़ा (Pawan Arora) ने KeyNote by Pawan Arora के तहत उनके करियर और संगीत कला जगत को लेकर खास बातचीत की.
सवाल- बचपन से ही सिंगिंग में करियर बनाने का अहसास था?
जवाब- मैं बादशाह तो नहीं हूं, लेकिन बचपन से ही मुझे अहसास था कि यही मेरी दुनिया है. यही मेरा संसार है, यही दोस्त है, यही मेरा ईस्ट है, इसका मुझे चस्का लगा-सुखविंदर सिंह ये मेरा जीवन हो गया, धीरे धीरे वो शिद्दत बढ़ती चली गई-सुखविंदर सिंह आज भी वो इस तलाश में रहती है कि और बेहतर कैसे हुआ जाए ?
सवाल- मुंबई कैसे आना हुआ, गांव से ?
जवाब- मुंबई फिल्म इंडस्ट्री जो है वो हिंदी संगीत और सिनेमा के लिए सागर है. मुझे फिल्म, संगीत बहुत अट्रैक्ट करता था. लेकिन मुझे शुरू में ये था कि इंडियन क्लासिकल की जो जड़े हैं, उनके साथ जुड़ जाऊं तो रियाज करने की आदत और प्रैक्टिस करने की आदत, बचपन में मैंने एक कहावत पढ़ी थी, कि जो सुन सकता है वो समझ सकता है जो समझ सकता है, वो कर सकता है, फिर मैंने सुनना शुरू किया, पढ़ा. फिर कुछ ऐसे लोगों के साथ उठना बैठना शुरू हुआ जो तरक्की पसंद हैं और जो पॉजिटिव हैं.
सवाल- आपके शास्त्रीय संगीत के गुरू कौन हैं?
जवाब- मेरे ऑफिशियल जो गुरू हैं वो हैं श्री बलवंत राय जसवाल साहब, उस वक्त रेड जैकेट टाई, व्हाइट शर्ट देखकर उन्होंने सोचा कि ये टिकेगा की नहीं. उनको लगा कि शायद ये फंकी है, इसको मॉडर्न टेक्निक से सिखाना पड़ेगा. उनके यहां मैं 6 दिन रहा, उन्होंने मुझे बताया कि हमेशा अपने से बेहतर सिंगर को सुनते रहना. एक तो तुम्हारा मनोरंजन हो जाएगा, दूसरा वो तुमको सबक भी दे जाएगा.
सवाल- कैरियर में ए. आर. रहमान की क्या भूमिका रही ?
जवाब- HE IS GODFATHER, वो एक ऐसे पर्सन हैं जिनके लिए मैं कह सकता हूं कि उन्होंने मुझे लॉन्च किया. आगे भी भविष्य में जो भी हो रहा है, उसकी शुरूआत ए. आर रहमान साहब से हुई. पहली बार में ही तीन गाने, उसमें एक तमिल गाना भी था, उन्होंने मुझसे गाना लिखने के लिए भी पूछा. इसके बाद मैंने तक्षक फिल्म का 'मुझे रंग दे, मुझे रंग दे' गाना लिखा. फिर उन्होंने दिल से फिल्म के लिए मणिरत्नम साहब के लिए पंजाबी गाना करने को कहा... गाना था 'थैयां थैयां थैयां थैयां', जो आज छैयां छैयां हैं. फिर मैंने पीर बाबा बुल्ले शाह साहब का कलाम सुनाया. तो उन्होंने कहा कि इस गाने को लेकर सही सिंगर कौन सा होगा ? तो फिर मैंने कह दिया कि मैं कोशिश करता हूं. दूसरे दिन में सफेद लिबास में, शांत तरीके से एक व्यक्ति मेरे सामने बैठे थे. उन्होंने मेरा माथा चूमा और उन्होंने कहा कि मेरा नाम गुलजार है. उन्होंने 'थैयां थैयां' सुना था, उसी शाम को 'छैयां छैयां' हो गया.
सवाल- गुलजार साहब के साथ अनुभव कैसा है?
जवाब- मैं परसों गाना गाकर आया हूं, विशाल भारद्वाज का गाना है. फिल्म का नाम पता नहीं है, शाहिद कपूर की फिल्म है. आपको बता दूं कि ऐसी फितरत है उनकी लिखने की, ऐसा लगता है कि कोई टीन एजर लिख रहा है. इतना बेहतरीन तरीके से लिखते हैं, वो लिखते हैं बीड़ी जलाई ले.. पान को लेकर उन्होंने ऐसा गाना लिखा कि जो नहीं भी शौकीन हैं वो भी पान खाएंगे. वो अच्छा संजोग बना, उनके साथ मेरी एक तरीके से मित्रता है. उनके बारे में आपको बताऊं कि साउथ में फेमस इडली, सांभर है तो जैसा गुलजार साहब के यहां बनता है वैसा साउथ में भी नहीं बनता. मैं 40 इडली खा जाता हूं, 20 साथ में लेकर जाता हूं. उनके साथ जो प्रेम है, वो अद्भुत है, मुझे उनका प्यार, उनकी दुआ उनका सहयोग बहुत मिला. वही बात जो सुन सकता है, वो समझ सकता है, जो समझ लेगा वो कर लेगा.
सवाल- मोदी जी के साथ गायकी के अनुभव के बारे में बताएं
जवाब- वो मेरा सौभाग्य है, वो सामने बैठे होते हैं, वहां के प्रेसिडेंट भी होते हैं. पहले शो में मुझे थोड़ी झिझक हुई, फिर बाद में शो के बाद जब मैं मिला तो उन्होंने कंधे पर हाथ रखकर बोला कि अगले शो में शेरवानी पहनना. फिर इजराइल में शेरवानी पहनी, उसके बाद कई ऐसे मौके बने जब उनके साथ रहा. वो एक सराहनीय मौका होता है, खास तौर पर जनसाधारण जो होते हैं वो मेरे हीरो होते हैं.
सवाल- मोदी जी की कौन सी बात खास लगी?
जवाब- एप्रिसिएशन बहुत है उनमें.
सवाल- फिल्म फेयर, राष्ट्रीय पुरस्कार और ग्रैमी अवॉर्ड मिलने के बाद क्या सोच है?
जवाब- मैं सोचता हूं कि Reward is Bigger than Award. अवॉर्ड जो है वो 5 लोगों की जूरी तय करती है, उसका भी अपना महत्व है. अगर नहीं मिलता तो आप अपने आप को गिरने ना दें, आप अपने आपको कायम रखें.
सवाल- स्टेज पर गाना और फिल्म रिकॉर्डिंग में क्या अंतर है?
जवाब- वैसे शुरुआत फिल्म रिकॉर्डिंग से शुरू होती है, उसको बहुत गंभीरता से करना पड़ता है. मैं कभी भी Seriously काम नहीं करता, Sincerely करता हूं. मैं थोड़ा फंकी मूड वाला हूं, मुझे उछल-कूद, मौज-मस्ती अच्छी लगती है. उसको जब हम अच्छे से निभाते हैं तो रिकॉर्डिंग में उसको लोग अपनाते हैं. तब उसके बाद बारी आती है स्टेज पर, स्टेज का एक औरा होता है. लोग सामने हैं, उनकी आंखों की चमक से पता चलता है कि आपको नेक्स्ट स्टेप क्या लेना है ? मेरी कभी लिस्ट नहीं बनती कि पूरे शो में क्या करना है ? बस पहला गाना पता होता है. हम लोगों की आंखों से चुराते हैं, वहां पर मैं खुद को एग्रेसिव नहीं करता. मुझे ऐसा लगता है कि एक इंसान वहां बैठा होता है, उसकी तरफ देखता रहता हूं वो है. मैं खुद भी वहां बैठा होता हूं, वो मुझे ज्यादा नायाब लगता है. ये मलंगों की दुनिया है, ये कैलकुलेशन का काम नहीं है. जो मलंग होता है, उसको दूसरों की इज्जत करना आता है.
सवाल- साउंड रिकॉर्डिंग और टेक्निक के बारे में क्या राय है?
जवाब- देखिए 'टेक्निक इज नॉट ए बैड थिंग्स' टेक्निक अगर डवलप करती है. तो आपको बीच का रास्ता बनाना पड़ता है, टेक्निक और नेचुरल.आप आज देख रहे हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एक तरफ उसका नाम है. आर्टिफिशियल दूसरी तरफ है इंटेलिजेंस, तो वो कॉम्बिनेशन है. तो अगर आप टेक्निक को यूज करते हैं तो उसमें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. मैं खुद टेक्निक में विश्वास करता हूं. लेकिन एक तरफ मैं ये भी सोचता हूं कि जब पाकीजा, मदर इंडिया के गाने रिकॉर्ड हुए होंगे. तब ये टेक्निक तो नहीं थी, पर उस वक्त भी कोई ना कोई टेक्निक होगी. बीच का रास्ता ये है कि आप टेक्निक को ही मत इस्तेमाल करिए. नेचुरल फोम होना चाहिए, उस कॉम्बिनेशन को बनाना होगा.
सवाल- कभी स्टेज शो में गाना भूलने का अनुभव हुआ है?
जवाब- हां मुझे एक फनी बात लगती है, एक बार मेरा और रहमान का कोलकाता में शो था. तो हमने डिसाइड किया कि बंगाली गाना गाएंगे, तो उन्होंने रोमन में लिखा और मैंने हिंदी में लिख लिया. उसके लिए हमें टेलिप्रॉम्प्टर चाहिए था, जब वो गाना गाने लगे. तो उसी वक्त ऐसा कुछ हुआ कि वो म्यूजिक स्टार्ट हो गया. हमने रिकॉर्डिंग की थी, कुछ-कुछ शब्द जोड़ दिए, अलाप जोड़ दिए. बाद में किसी ने कहा कि आपने बॉलीवुड और बंगाली का क्या कॉम्बिनेशन बनाया ?
सवाल- किस शहर में जाना सबसे अच्छा लगता है?
जवाब- हर जगह अच्छा लगता है अमेरिका, लंदन में पजेसिव ज्यादा हैं. वो हर बात को नोटिस करते हैं, आपके पहनावे, स्टेज परफॉर्मेंस को देखते हैं. उनको लगता है कि कुछ भी हमारे मैपिंग के बाहर ना हो, यहां के लोग बिंदास हैं. आर्टिस्ट के गानों पर लोग तभी थिरकते हैं, जब आप अंदर से थिरकते हैं. ये मलंग वाला काम है, न चैलेंज देता है, न लेता है, ये काम दिल से होना चाहिए.
सवाल- क्या कभी गाड़ी में रियाज करते हैं?
जवाब- गाड़ी में, बाग-बगीचे में कहीं भी कर लेता हूं. जब आप कुल देवी या देवता को आदर देते हैं, तो वो भी आपको आदर देते हैं.
सवाल- नए सिंगर्स को क्या सलाह देना चाहेंगे?
जवाब- मंथन, मंथन ही एक रास्ता है, SELF INVESTIGATION. वो खुद से ही अपने एक सच्चे दोस्त हो सकते हैं. पहले जब वो किसी को सिंगिंग करके सुना रहे हैं, तो सबसे पहले खुद को सुनाएं. उससे खुद की CAPABILITY और CAPACITY पता चलेगी. इससे उनको पता चलेगा कि तराजू में उनका वजन कितना है ? जब खुद को सुनाएंगे तो उसका रास्ता निकल आएगा. इसके बाद एक चीज ध्यान रखनी होगी कि उनका चेहरा, लिबास, मोहरा, उनका गला है. इसी से बात बनेगी, आप साधारण वस्त्र भी पहनकर परफॉर्म कर सकते हैं. मैं खुद साधारण ही कपड़े पहनता हूं, मेरे ज्यादातर कपड़े Customize होते हैं. 1,400 रुपए में सबसे बेस्ट अटायर बन जाता है. कभी-कभी गिफ्ट हो जाते हैं तो पहन लेता हूं. तो अगर आप सोचेंगे और हो जाएगा, तो ये नहीं होने वाला, आपको करना होगा. 24 घंटे अच्छी नींद के साथ कम से कम 30 मिनट तो आपको देने होंगे. और ये बहुत बड़ी बात नहीं है, लोग कहते हैं कि मेहनत का फल मीठा होता है. लेकिन उसमें एक एडिशन कर लीजिए कि सही मेहनत का फल मीठा होता है.
सवाल- वर्तमान में कौन से गाने गा रहे हैं?
जवाब- अभी तीन प्रोजेक्ट बहुत अच्छे हैं. हालांकि अभी मैं विशाल जी का गाना गाकर आया हूं गुलजार साहब का लिखा हुआ. वो बार-बार कौंध रहा है, वो अभी रिलीज होना है. एक रोहित शेट्टी और एक अनीस बज्मी की फिल्म है. एक साउथ की फिल्म है, रहमान के साथ और मेरे 31 दिसंबर को दो सिंगल एक साथ रिलीज होंगे. एक मेरा मूड आया है कि Club Singing With Good Melody वाले गाने करने हैं. इसका मुझे अच्छा रिस्पॉन्स भी आया है, वो अभी रिलीज होंगे, उसमें मेरा किरदार एक सिंगर का है.
सवाल- आपकी आवाज किस हीरो पर ज्यादा सूट करती है?
जवाब- मैं हीरो से ज्यादा उसके कैरेक्टर के लिए गाता हूं. कोई भी कलाकार हो, वो जो चरित्र निभाते हैं वो खुद नहीं हो सकते. आप देखिए दो दिन के गैप में सेम हीरो के लिए दर्दे डिस्को गा रहा हूं. दो दिन बाद चक दे इंडिया गा रहा हूं, शाहरुख भाई के लिए तो वो जो किरदार निभाते हैं, उसके साथ में गाता हूं.
सवाल- आपका दिल के करीब सबसे पसंदीदा गाना कौन सा है?
जवाब- वैसे तो सारे हैं, देखिए बगीचे में तरह-तरह के फूल होते हैं. लेकिन खुशबू सब में से आती है, मेरा जो अपना कैरेक्टर है. उसके हिसाब से मुझे फंकी गाने बहुत अच्छे लगते हैं. मेरा जो संगीत के साथ प्यार है, वो बहुत तेज-तर्रार सा है.
सवाल- आप सूफी भी गाते हैं कभी ?
जवाब- सूफी से ही शुरू हुआ है, छैयां-छैयां सूफी ही है. जितना डांस सूफी में है उतना किसी में भी नहीं है. जिन्होंने बुल्ले शाह को मलंग बना दिया, जिन्होंने रहमत को रमता बना दिया. रमता जोगी, कभी संत महात्मा, वली, दरगाह हो या आश्रम हो. जब वो संगीत की लौ के शब्दों के जाल में रम जाते हैं तो जब वो नाचते हैं. वो नजारे मैंने बहुत देखे हैं, सूफिज्म में तो बहुत डांस है. रात के शो के बाद अभी थोड़ी नजर भी उतारनी है. क्योंकि कल शो के बाद भी होटल आए तो शो से ज्यादा पब्लिक वहां थी. जब वो प्यार देते हैं तो अपनी झोली को भी बड़ा करना पड़ता है. यानि सोच को भी बड़ा करना पड़ता है. एक बात मुझे अटल बिहारी वाजपेयी साहब की बहुत अच्छी लगती है. उनकी एक किताब है, जिसका टाइटल है 'सबसे ऊंचा पहाड़ सबसे ज्यादा अकेला होता है. मेरे दिल को ये बात छू गई, तो ये बात कल मैंने जयपुर में ही उन ब्यूरोक्रेट्स से कही वो आपके भी मित्र हैं, हमारे भी हैं, उनसे जब ये बात कही तो उन्होंने बताया कि सबसे ऊंचा पहाड़, सबसे अकेला इसलिए होता है. क्योंकि वो अपने से छोटे पहाड़ों को छोटा समझता है, ये भी एक वजह हो सकती है.
सवाल- रैपिड फायर राउंड खेलते हैं, एक शब्द में जवाब देना है ?
जवाब- संगीत- जिंदगी...मोहब्बत-जूनून...पैसा- केवल जरूरत...शोहरत-ड्रीम...रिश्ते-हमेशा बने रहें...मृत्यु या मोक्ष-जब होना होगा देखी जाएगी...दोस्ती- आई लव फ्रेंड्स...इंसान का सबसे बेहतर दोस्त उसकी मां होती है. उससे बेहतर कोई नहीं हो सकता, दोस्ती का रिश्ता कमाल का होता है. वो परवाह नहीं करता कि तुम सुखविंदर सिंह हो वो घर आते हैं तो सीधा बोलते हैं ओए अंडे उबाल दे, और मैं कर भी देता हूं. इसमें कोई लालच नहीं है, मां दो ही चीजें पूछती है, सेहत कैसी है और खाना खा लिया. तुम क्या कर रहे, तरक्की कर रहे हो या नहीं कभी नहीं पूछती, बाकी जिंदगी में दोस्त बनते रहने चाहिए.