VIDEO : विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कम वोटिंग को लेकर हुआ सर्वे, कई कारण आये सामने, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: विधानसभा उप चुनाव से पूर्व राजस्थान में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हुई कम वोटिंग का बड़ा कारण सियासी उदासीनता, सही प्रत्याशी या विकल्प की अनुपलब्धता,लंबी कतारें,परिवहन का अभाव और मौसम सही न होने को माना गया है. कम वोटिंग प्रतिशत को लेकर बढ़ी चिंता के बीच निर्वाचन विभाग के नॉलेज एटिट्यूड प्रेक्टिस बेसलाइन सर्वे में ये कारण उभरकर सामने आए हैं. इसके बाद करौली और बीकानेर जैसे जिलों में स्वीप की गतिविधियां बढ़ाने के साथ विशेष शिविर लगाने, युवा वोटर्स को आकर्षित करने सहित कई कदम उठाने की सिफारिश की गई है. नॉलेज एटीट्यूड प्रेक्टिस-KAP बेसलाइन सर्वे ने चुनाव के लिए बनाए गए स्टेट आइकन बनाए गए सेलिब्रिटी या खास व्यक्तित्व की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं.  

स्टेट आइकन की भूमिका को लेकर सवाल:
-इस सर्वे के तहत कुल 10834 में से 52.01 प्रतिशत यानि 5635 वोटर्स ने इन स्टेट आइकन से मतदान के लिए मैसेज या संदेश नहीं पाए.
-इससे यह पता चला है कि सिर्फ स्टेट आइकन बनाने के बजाय उनकी ओर से वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के प्रयासों की भी खास तरह से मॉनिटरिंग जरूरी है.

वेबसाइट की जानकारी और अन्य जागरुकता का अभाव:
-सर्वे में यह पाया गया कि भारत निर्वाचन आयोग के ऑनलाइन और पारदर्शी सिस्टम के बावजूद इसे लेकर जागरुकता का अभाव रहा.
-आयोग की वेबसाइट www.voters.eci.gov.in का एक्सेस 71.81 प्रतिशत मतदाता नहीं कर पाए.सिर्फ 28.19 प्रतिशत वोटर्स ही इसका एक्सेस कर सके.

सही प्रत्याशी न मिलना और सियासी उदासीनता:
सर्वे में यह देखा गया कि वोटर खुद के वोटिंग अधिकार से भलीभांति परिचित था और साथ ही उसे यह पसंद नहीं था कि उसके मतदान में कोई बाहरी हस्तक्षेप हो, लेकिन वोटर्स में सियासी उदासीनता देखी गई. ऐसा उपयुक्त प्रत्याशी न मिल पाने को भी माना जा रहा है. 70.65 प्रतिशत वोटर्स ने प्रत्याशियों की परख करके या देखकर वोटिंग की और पार्टी से जुड़ाव,परिवार,जाति और धर्म से ज्यादा प्रत्याशी वोटिंग का प्रमुख आधार रहा है.

लंबी कतारें:
-सर्वे ने पोलिंग बूथों के रेशनलाइजेशन पर जोर दिया है. करीब 63.22 प्रतिशत वोटर्स ने यह सबसे ज्यादा अहम समस्या बताई.
-कई क्षेत्रों में मतदाताओं की लंबी कतारें होना और परिवहन साधनों का अभाव भी कम वोटिंग का एक बड़ा कारण माना गया.
-विधानसभा चुनाव से लोकसभा चुनाव में वोटर्स की दिलचस्पी कम होना
सर्वे के निष्कर्षों के अनुसार विधानसभा चुनाव से लोकसभा चुनाव में वोटर्स की वोटिंग के प्रति कम दिलचस्पी रही.
-सर्वे के दौरान पाया गया कि विधानसभा चुनाव में 91.07 प्रतिशत के मुकाबले 95.70 प्रतिशत वोटर्स ने विधानसभा चुनाव में वोटिंग की.
-वहीं लोकसभा चुनाव में सर्वे के दौरान 90.38 प्रतिशत के मुकाबले 88.14 प्रतिशत वोटर्स ने ही वोटिंग की.
-बेसलाइन सर्वे में जवाब देने वाले 29 प्रतिशत लोगों ने यह माना कि चुनाव में बाहुबल का उपयोग 3 प्रतिशत तक कम हुआ है.

ईवीएम की विश्वसनीयता:
-भले ही हरियाणा मे एक्जिट पोल से उलट विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद ईवीएम पर फिर सवाल उठाए गए हों,लेकिन सर्वे में यह पाया गया कि 
84.23 प्रतिशत मतदाताओं ने ईवीएम पर भरोसा जताया है.
-सर्वे में सबसे कम 80.98 प्रतिशत एसटी वर्ग ने,81.76 प्रतिशत एससी वर्ग ने,84.81 प्रतिशत ओबीसी वर्ग ने और 86.66 प्रतिशत सामान्य वर्ग ने ईवीएम पर भरोसा जताया है.

97 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं ने वोटिंग के दौरान मतदान कराने वाले कर्मियों,सहायक स्टाफ का व्यवहार और आचरण या रुख सहयोगी माना है. इस व्यापक सर्वे में वोटिंग को अनिवार्य करने पर ज्यादातर वोटर्स ने सकारात्मक रुख दिखाया है जो कि लोकतंत्र में उनकी आस्था को बताता है.