वन विभाग की तकनीकी नाकामी, 23 दिन से बाघ के दहशत में गुजर बसर कर रहे हजारों ग्रामीण

वन विभाग की तकनीकी नाकामी, 23 दिन से बाघ के दहशत में गुजर बसर कर रहे हजारों ग्रामीण

जयपुर: वन विभाग की तकनीकी नाकामी एक बाघ और हजारों इंसानों की दहशत का कारण बनती जा रही है. जी हां सरिस्का का युवा बाघ एसटी 2303 हो खुद दूसरे बाघों से जान बचाकर भागा आज 23 दिन बाद भी वन विभाग की पकड़ में नहीं आया है. इस बाघ की वजह से राजस्थान के हरियाणा से लगते कई गांवों और हरियाणा के झाबुआ और उसके आसपास के गांवों में दहशत का माहौल है. 

मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक पवन कुमार उपाध्याय इस बाघ को ट्रेंकुलाइजर कर रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व भेजने के आदेश कर चुके हैं.. लेकिन तकनीकी दक्षता के अभाव, संसाधनों के सही इस्तेमाल नहीं करने और सुनियोजित योजना बनाकर इस बाघ को पकड़ने में विफलता के चलते बाघ भी दहशत में है और आसपास के ग्रामीण भी. बाघ सेंट 2303 15 अगस्त को सरिस्का से निकलकर हरियाणा की तरफ चल पड़ा था. 

इसके रास्ते में आए 5 ग्रामीणों को उसने घायल किया और फिर बदहवास भागता हुआ रेवाड़ी जिले के झाबुआ के जंगलों में अपने आप को छुपाता फिर रहा है. आज सरिस्का के फील्ड डायरेक्टर संग्राम सिंह कटियार भी मौके पर पहुंचे क्योंकि यह बैग झाबुआ से 13 किलोमीटर दूर उजोली गांव के मैदाने में पहुंच गया. यहां आज पूरा दिन था जब यह बाघ ड्रोन के जरिए साइट भी हुआ लेकिन रेस्क्यू टीम ट्रेंकुलाइज करने की हिम्मत नहीं जुटा सकी. जेसीबी के जरिए बाजरे के खेत में इस बैग की शाम तक सर्च चलती रहे लेकिन संसाधन और तकनीकी दक्षता के अभाव में अभी भी यह बाघ पकड़ से दूर है. 

सूत्रों का कहना है कि राजस्थान का वन विभाग अपनी नाकामी छुपाने के लिए मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के एक्सपर्ट्स को नहीं बुला रहा है. ऐसे में आशंका इस बात की है कि यह बाघ ग्रामीणों को और नुकसान न पहुंचा दे या फिर ग्रामीण इस भाग को हताहत कर दें. आज भी वन विभाग की रेस्क्यू टीम पुलिस और प्रशासन के नुमाइंदे मौके पर मौजूद रहे लेकिन बाघ को ट्रेंकुलाइज नहीं कर पाए.