जयपुर: प्रदेश के पानी के महकमे की गलती का खमियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है. दरअसल जलदाय विभाग में उपभोक्ताओं के मीटर की रीडिंग लाने के लिए मीटर रीडर ही नहीं है. इस कारण न केवल विभाग को राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि प्रदेश की जनता को पेनल्टी लगाकर कई महीनों का बकाया बिल थमाया जा रहा है. जयपुर शहर में ही अभी भी ऐसे लाखों उपभोक्ता है जिनके यहां से कई महीनों से मीटर की रीडिंग ही नहीं हुई.
जलदाय विभाग में उपभोक्ताओं पर पड़ रही है बड़ी मार
-विभाग की गलती का खमियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है
-जलदाय विभाग में नहीं है अब कोई भी मीटर रीडर
-ऐसे में न मीटर रीडिंग हो रही, न ही बिल वितरित किए जा रहे
-कुछ जगह ठेकेदारों के भरोसे रीडिंग करा रहा है जलदाय विभाग
-कई महीनों के बकाया बिल एक साथ भेजे जा रहा है उपभोक्ताओं को
-पेनल्टी लगाकर बिल थमाए जा रहे हैं प्रदेश के कई इलाकों में
-जबकि समय पर बिल जलदाय विभाग ही नहीं दिया उपभोक्ताओं को
-राजधानी जयपुर में ही अधिकांश इलाकों में महीनों से बिल वितरण ही नहीं
-बस ऑनलाइन भुगतान से जुड़े उपभोक्ता ही समय पर जमा करा पा रहे बिल
-मीटर रीडर नहीं होने से जलदाय विभाग कों करोड़ों रुपए की हो रही राजस्व हानि
-600 करोड़ रुपए से अधिक बकाया चल रहा है जलदाय विभाग का
-दरअसल बिल नहीं देने के कारण उपभोक्ता जमा नहीं करा पा रहे राशि
-राजधानी जयपुर में ही कुछ जगह ठेकेदारों के भरोसे चल रहा विभाग
-ठेकेदार के कर्मचारी कई दिनों तक अपने पास ही पड़े रखते हैं बिल
-विभाग के खुद के कर्मचारी नहीं होने से अवैध कनेक्शन पर नहीं लगती लगाम
-आवासीय परिसर में होटल व अस्पताल चलाने वालों की श्रेणी नहीं बदली जा रही
-इस कारण जलदाय विभाग को हो रहा है करोड़ों का राजस्व नुकसान
राजस्थान वाटर वर्क्स कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप यादव का कहना है कि विभाग में मीटर रीडर नहीं होने की वजह से कई क्षेत्रों में बिल वितरण नहीं हो रहे और ना ही रीडिंग आ रही है फील्ड में कर्मचारियों की नहीं होने की वजह से अवैध कनेक्शन भी हो रहे बकाया राशि भी बढ़ रही है उपभोक्ता जो भी बिल जमा करवा रहे हैं वह सिर्फ ऑनलाइन उनके पास मैसेज आते हैं तो वह जमा कर देते हैं. यादव ने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि सरकार राजस्व का ध्यान रखते हुए मी रीडरों की भर्ती के साथ-साथ ही तकनीकी कर्मचारियों की भर्ती करें जिससे सरकार जो वास्तव में पानी दे रही है उसका पैसा उपभोक्ताओं से वसूला जा सके. प्रदेश में करीब 20 लाख पानी के कनेक्शन है उनमें 2000 मीटर रीडरों कीभर्ती की जाए और जल योजनाओं को चलाने के लिए 20000 तकनीकी कर्मचारियों की भर्ती की जाए.
जलदाय विभाग में जब पहले मीटर रीडर हुआ करते थे, तब वे घर घर जाकर रीडिंग भी लाते थे और अवैध कनेक्शन की जानकारी भी रखते थे. अब राजधानी जयपुर में ही विभाग का एक भी मीटर रीडर नहीं है. जयपुर में लाखों अवैध कनेक्शन है, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही, क्योंकि फील्ड में कर्मचारी नहीं है. इसी तरह लाखों मीटर खराब भी पड़े है, ऐसे में उनकी रीडिंग ठेकेदारों के प्रतिनिधियों से भी नहीं हो सकती. जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी से जब इस बारे में बात की गई, तो उन्होंने भरोसा दिलाया है कि जल्दी ही भर्ती की प्रक्रिया भी बढ़ेगी और मीटर रीडर नहीं होने से उपभोक्ताओं को जो नुकसान हो रहा है, उसको लेकर नीतिगत फैसला किया जाएगा.
जलदाय विभाग में तकनीकी कर्मचारियों की कमी के कारण आज भ्रष्टाचार के मामले लगातार सामने आ रहे है, क्योंकि विभाग अब पूरी तरह से ठेकेदारो के भरोसे हो गया है. ठेकेदारों के काम जांचने के लिए नीचले स्तर तक कर्मचारी ही नहीं है. ऐसा अब मीटर रीडिंग में हो रहा है. जब मीटर रीडर ही नहीं है, तो कैसे रीडिंग आएगी, कैसे सही बिल बनेंगे और कैसे अवैध कनेक्शन पर नजर रखी जाएगी.