VIDEO: आखिर कब चंदलाई झील की ली जाएगी सुध? झील के पर्यटक स्थल के तौर पर विकास की कवायद अधूरी, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: जयपुर से कुछ ही दूरी पर स्थित चंदलाई झील की जिम्मेदार सरकारी एजेंसिंया आखिर कब लेंगी सुध? या फिर झील को पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित करने के ख्वाब यूं ही दम तोड़ देंगे. इस प्राचीन और वैभवशाली झील को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाना आखिर क्यों जरूरी है? 

जयपुर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रामसागर बांध या चंदलाई झील पूरे साल पानी से लबालब रहती है. इस बांध का निर्माण वर्ष 1872 में रियासत काल में किया गया था. करीब दस वर्ग किलोमीटर से अधिक इलाके में फैली यह झील अपने आप में कई कारणों से महत्वपूर्ण है. लेकिन इसके अस्तित्व को बचाने और इसे संवारने के मामले में जिम्मेदार सरकारी एजेंसी जेडीए, जल संसाधन विभाग प्रदूषण नियंत्रण मंडल और पर्यटन विभाग की उदासीनता के चलते यह झील दुर्दशा का शिकार हो रही है. आपको सबसे पहले बताते हैं कि इस झील का किस तरह से बहुआयामी महत्व है.

-इस झील के पानी से आस-पास के दो दर्जन से अधिक गांवों में खेती होती है.
-इन गांवों में झील का पानी कई नहरों से होते हुए पहुंचता है.
-एक अनुमान के मुताबिक इस झील के चारों तरफ करीब 20 हजार बीघा कृषि भूमि की सिंचाई होती है.
-झील के पानी से गेहूं,सरसों व विभिन्न प्रकार की सब्जियां उगाई जा रही है.
-इसके अलावा यह झील प्रवासी पक्षियों का पसंदीदा स्थान है.
-यहां 1 हजार से अधिक प्रजातियों के हजारों प्रवासी और स्थानीय पक्षी यहां आते हैं.
-इनमें लिटिल कॉरमॉरेंट,ग्रीन सेंडपाइपर,पर्पल मूरहेन,लिटिल ग्रेब,ग्रेटर फ्लेमिंगो,
-स्पॉट बिल्ड डक,यूरेशियन विगियोन,स्पोटेड रेंड शेंक व व्हाइट वेगटेल प्रजाति के प्रवासी पक्षी शामिल है.
-ये प्रवासी पक्षी अक्टूबर से मार्च के बीच चंदलाई झील आते हैं.
-इन पक्षियों के कारण शहर और शहर के बाहर कई पक्षी प्रेमी यहां आते हैं.
-इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग इस झील के सौन्दर्यन को देखने आते हैं.
-झील के सौन्दर्यन व आकार को देखते हुए जेडीए ने 20 करोड़ रुपए विकास योजना के लिए कंसेप्चुअल बनाई.
-झील को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने की यह योजना परवान नहीं चढ़ पाई.

इस सुंदर झील के वजूद को तेजी से खत्म करने का खेल चल रहा है. एक तरफ जहां झील पर अतिक्रमण किए जा रहे हैं वहीं इसके पानी को भी प्रदूषित किया जा रहा है. मामले में जिम्मेदार सरकारी एजेंसियां यूं ही मूकदर्शक बनकर बैठी रहीं तो वो दिन दूर नहीं जब इस झील अपना अस्तित्व खो देगी. आपको बताते हैं कि इस झील के आभामंडल पर आखिर किस वजह से ग्रहण लग रहा है.

-इस झील के किनारे तेजी से रंगाई-छपाई की इकाईयां लगाई जा रही हैं.
-चंदलाई गांव के नजदीक कुछ इकाईयां हाल ही शुरू हुई हैं और कुछ का काम चल रहा है.
-वाटिका रोड से चंदलाई बांध तक बड़ी संख्या में रंगाई-छपाई की इकाईयां लगाई गई हैं.
-इन इकाईयों से निकल रहा गंदा रासायनिक पानी सीधे चंदलाई झील में छोड़ा जा रहा है.
-कृषि भूमि पर अवैध रूप से रंगाई-छपाई की इकाईयां लगाने का खेल तेजी से चल रहा है
-इकाईयों से निकला गंदा पानी बिना परिशोधन के झील में छोड़ा जा रहा है.
-सांगानेर की रंगाई छपाई इकाईयों के निकले पानी को बिना परिशोधन छोड़ने पर काफी सख्ती है.
-जानकारों के अनुसार इसी सख्ती के चलते इस झील के नजदीक तेजी से इकाईयां लग रही हैं.
-इकाईयों से निकले रासायनिक गंदे पानी से झील का पानी प्रदूषित हो रहा है.
-इस मामले में प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने पिछले 20 अक्टूबर को यहां चार रंगाई-छपाई की इकाईयां सीज की थी.
-रामसागर बांध और उसके पास लगी रंगाई छपाई इकाईयां अपना औद्योगिक अपशिष्ट झील में ही डाल रही हैं.
-वहीं दूसरी तरफ स्थानीय लोगों के अनुसार झील पर अतिक्रमण भी किया जा रहा है.
-झील में मलबा व मिट्टी भरकर अतिक्रमण किया जा रहा है.

चंदलाई झील इसी तरह से दुर्दशा की शिकार रही है तो इससे ना केवल आस-पास के पर्यावरण को बर्बाद होगा. बल्कि शहर के लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर संकट खड़ा कर देगा. आपको बताते हैं झील को संरक्षित करने के लिए कारगर कदम नहीं उठाए गए तो किस तरह के दुष्परिणाम भुगतने होंगे.

-इस झील के पानी से उगाई फसलों की अधिकतर आपूर्ति जयपुर शहर व आस-पास के इलाको में होती है.
-रासायनिक रूप से प्रदूषित पानी से उगाई फसलों के कारण से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है.
-यहां उगाई सब्जियों,गेहूं व सरसों आदि के सेवन कई गंभीर बीमारियों का कारण बनेगा.
-विभिन्न प्रकार की दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों के लिए यह झील प्रवास स्थल है.
-पक्षियों का प्रवास स्थल होना इस झील का सबसे प्रमुख आकर्षण हैं.
-अगर झील का प्रदूषण नहीं रूका और अतिक्रमण से झील का गला घोंटा गया तो यहां प्रवासी पक्षी नहीं आएंगे.
-यहां पक्षियों का कलरव और उनके कारण दिखाई देने वाले मनोरम दृश्य लुप्त हो जाएंगे.
-यहीं नहीं बढ़ते रासायिनक प्रदूषण से झील में रहने वाले जीवों का अस्तित्व भी खतरे में हैं.
-झील पर बना बांध राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग के अधीन है.
-यहां कृषि भूमि पर अवैध रूप से लग रही इकाईयों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रदूषण नियंत्रण मंडल जिम्मेदार हैं.
-वहीं झील पर अतिक्रमण रोकने की जिम्मेदारी जेडीए की है.
-लेकिन मामले में सभी जिम्मेदार सरकारी एजेंसियां हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं.

जयपुर विकास प्राधिकरण ने तीन साल पहले चंदलाई झील को पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित करने के लिए कांसेप्चुअल प्लान बनाया था. इस प्लान के तहत करीब  20 करोड़ रुपए की लागत के विकास कार्य झील एरिया में कराए जाने थे. इसके अलावा पर्यटन विभाग ने साल भर पहले यहां बांध की पाल पर पर्यटकों के लिए सड़क और अन्य निर्माण कराए थे. आपको बताते हैं कि जेडीए के कांसेप्चुअल प्लान के मुताबिक किस तरह झील को संरक्षित करते हुए उसे संवारा जाना था और पर्यटन विभाग की ओर से कराए निर्माण कार्य का क्या वाकई फायदा झील और यहां आने वाले पर्यटकों को मिला?

-जेडीए के कांसेप्चुअल प्लान के मुताबिक राजस्थान झील विकास प्राधिकरण अधिनियम के तहत इस झील को संरक्षित किया जाना चाहिए.
-झील की चारदिवारी व मुख्य द्वार के द्वार के  निर्माण के साथ पार्किंग और पर्यटकों से संबंधित अन्य सुविधाएं विकसित की जानी थी.
-चिन्हित एरिया की थीम बेस्ड लैंड स्केपिंग की जानी थी.
-यहां आने वाले पक्षितयों के बारे मं जानकारी देने के लिए  बर्ड्स इंटरप्रीटेशन सेंटर और पक्षियों के लिए अस्पताल स्थापित किया जाना था.
-इसके अलावा यहां वॉच टावर,फूड कोर्ट,कैफेटेरिया/ रेस्तरां सहित अन्य गतिविधियां विकसित की जानी थी.
-जेडीए ने झील को पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित करने को लेकर अनापत्ति देने के लिए जल संसाधन विभाग को 22 मार्च 2021 को पत्र लिखा था.
-इस पर जल संसाधन विभाग ने 31 मार्च 21 को जेडीए को जवाब दिया कि झील एरिया में कहां कौनसे कार्य किए जाने, इस बारे में जानकारी भेजें.
-जेडीए ने कंसेप्चुअल प्लान की प्रति 19 जनवरी 2022 को सिंचाई विभाग को भेज दी.
-जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता ने जेडीए का जवाब कंसेप्चुअल प्लान के साथ विभाग के अतिरिक्त मुख्य अभियंता को भेज दिया.
-लेकिन इस कागजी कार्यवाही का नतीजा है कि अब तक चंदलाई झील के विकास को लेकर अब तक कोई कवायद शुरू नहीं हो पाई है.
-चंदलाई झील के दक्षिणी हिस्से पर बांध की पाल के बाहर पर्यटन विभाग की ओर से सड़क व अन्य निर्माण कार्य कराए गए थे.
-पर्यटन विभाग की ओर से साल भर पहले यहां सड़क निर्माण के साथ ही सौन्दर्यन कार्य किए गए थे.
-लेकिन इस निर्माण कार्य की इतनी घटिया क्वालिटी का था कि सड़क बनने के बाद ही पूरी तरह उखड़ गई.
-यहां लगाई जालियां टूट गई, दीवारों पर दरारे पड़ गई, कई स्थानों से प्लास्टर उखड़ गया.