VIDEO: आखिर "सोटो" की RUHS में शिफ्टिंग से किसे था फायदा ? SMS मेडिकल कॉलेज के बजाय RUHS से गतिविधियां हो रही थी संचालित

जयपुर : ऑर्गन ट्रांसप्लांट फर्जी एनओसी प्रकरण में स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन यानी "सोटो" की भूमिका भी जांच के दायरे में है. प्रकरण के खुलासे के ठीक पहले सोटो को RUHS में शिफ्टिंग करने की प्लानिंग चल रही थी. खुद केन्द्र ने इस मामले में आपत्ति जताई,जिसके बाद मामला ठण्डे बस्ते में डाला गया. लेकिन अब इस पूरी कवायद ने सोटो में जिम्मेदारी संभालने वालों की मंशा पर सवाल जरूर खड़े कर दिए है.

ऑर्गन ट्रांसप्लांट NOC प्रकरण में हर दिन नए खुलासे हो रहे है. प्रकरण को लेकर गठित राज्य स्तरीय जांच कमेटी ने भले ही अपनी रिपोर्ट नहीं दी हो, लेकिन दस्तावेजों को खंगालने पर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने जरूर आए है. इसी तथ्यों में से एक है स्वास्थ्य मंत्रालय का वो पत्र, जिसमें "सोटो" की शिफ्टिंग को लेकर आपत्ति जताई गई थी. दरअसल, पिछले कुछ महिनों से "सोटो" की अधिकांश गतिविधियां SMS मेडिकल कॉलेज के बजाय RUHS से संचालित हो रही थी. ऐसे में पिछले साल तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव सुधांश पंत ने चिकित्सा विभाग को पत्र लिखकर कहा कि सोटो को RUHS में शिफ्ट करने की प्लानिंग की जानकारी मिल रही है. पत्र में साफ कहा कि प्रदेश का सबसे बड़ा संस्थान SMS मेडिकल कॉलेज है. कॉलेज में मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांट की सभी सुविधा उपलब्ध है. बावजूद इसके सोटो को RUHS में शिफ्ट करने का जो प्लान बनाया गया है. उससे सोटो का कामकाज प्रभावित होगा.

इधर आया पत्र, उधर जिम्मेदारों ने पीछे खींचे हाथ
ऑर्गन ट्रांसप्लांट NOC के "मकड़जाल" से जुड़ी बड़ी खबर
केन्द्र के पत्र पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मांगा था जवाब
इस मामले में सोटो के चेयरमैन, अतिरिक्त निदेशक के अलावा
SMS मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से जनवरी 2024 में मांगा जवाब
लेकिन केन्द्र सरकार की आपत्ति देख सभी ने ये कहते हुए साधी चुप्पी
इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं है SMS मेडिकल कॉलेज में विचाराधीन
आश्चर्य ये कि जब मामला नहीं था विचाराधीन,तो केन्द्र को कैसे लगी भनक
RUHS में लगे चिकित्सक किस आधार पर कर रहे थे सोटो में काम ?

प्रकरण में ACB के रडार पर आए सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह के हौंसले इतने बुलन्द थे कि वो किसी के नाम की भी एनओसी जारी कर देता था. ये कोई हमारा आरोप नहीं, बल्कि जांच में सामने आ रहे दस्तावेजों की बानगी है. एक दस्तावेज तो ऐसा भी सामने आया है, जिसमें राजस्थान के सीनियर आईएएस अधिकारी के नाम से एनओसी जारी कर दी गई.

फर्जीवाड़े की पराकाष्ठा....!
सिर्फ स्टेट लेवल कमेटी ही नहीं,IAS के फर्जी साइन से भी NOC
ACB के रडार पर आए सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह की करतूत
NOC पर फर्जी साइन का चलने का "खेल" तो गौरव के इतने बढ़ गए हौंसले...
...कि उससे एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के नाम से भी जारी कर दी NOC
दूसरे स्टेट में ट्रांसप्लांट के लिए पहुंची तो NOC देख चिकित्सक भी रह गए दंग
क्योंकि,राजस्थान के चिकित्सा निदेशालय के लेटर पैड पर जारी की गई थी ये NOC
दूसरे स्टेट के चिकित्सकों ने बकायदा इस बारे में लिखा एसएमएस प्रशासन को पत्र
लेकिन घुम फिरकर गौरव सिंह के हाथ पहुंच गया "फर्जीवाड़े" के खुलासे का ये पत्र
ऐसे में सवाल ये कि आखिर गौरव सिंह के मामले में क्यों बंधी थी सिस्टम की आंख ?
क्यों जिम्मेदारों ने एक बार भी गौरव ने ऐसी गंभीर शिकायतों पर नहीं किए जवाब-तलब

फर्जी एनओसी प्रकरण में एक तरफ जहां जांच कमेटी की पेश की जाने वाली रिपोर्ट पर सबकी नजर है, वहीं दूसरी ओर पुलिस ने निजी अस्पताल व आरोपियों पर शिकंजा कसना भी शुरू कर दिया है. प्रकरण में गिरफ्तार गौरव सिंह, विनोद और गिर्राज शर्मा को पुलिस ने रिमाण्ड पर लिया है. जिनसे पूछताछ में उम्मीद है कि मकड़जाल में तब्दील होते इस प्रकरण में कई खुलासे हो सकेंगे. निजी अस्पतालों के साथ ही जिम्मेदार चिकित्सकों पर भी शिकंजा कसेगा.